भारत को स्थायी सदस्यता से वंचित रखने वाली सुरक्षा परिषद ‘ओल्ड क्लब’ बनी है – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

बेंगलुरु – भारत को स्थायी सदस्यता बहाल करने से इनकार कर रही संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कड़ी आलोचना की है। ‘अफने सदस्यों की संख्या बढ़ाने से अपना प्रभाव कम होगा, यह विचार रखने वाले किसी पुराने क्लब जैसी स्थिति संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की हुई है। सुरक्षा परिषद के सदस्यों को अपना शुरू किया खेल आगे भी वैसे ही जारी रखना है। लेकिन, इससे पूरे विश्व का नुकसान हो रहा है और सुरक्षा परिषद प्रभाव खो रही हैं’, ऐसा आरोप विदेश मंत्री जयशंकर ने लगाया।

बंगलुरू में रोटरी इन्स्टीट्यूट ने आयोजित किए समारोह में जयशंकर बोल रहे थे। उनसे सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर भारत के दावे को लेकर सवाल किया गया। इसपर जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने यह कहकर फटकार लगाई कि, सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों को उनके कारोबार पर सवाल करना पसंत नहीं हैं, उन्हें अपने अधिकार दूसरों को नहीं देने हैं। भारत को स्थायी सदस्यता से वंचित रखने वाली सुरक्षा परिषद ‘ओल्ड क्लब’ बनी है - विदेश मंत्री एस.जयशंकरलेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकांश सदस्य देश सुरक्षा परिषद का विस्तार चाहते हैं। इसके लिए सुधार करना ज़रूरी हैं, यही उनका कहना है। इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ के २०० देशों से सवाल किया तो वह बता देंगे सुधार ज़रूरी हैं, ऐसा जयशंकर ने कहा।

संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन हुआ तब सीर्फ ५० देश इसके सदस्य थे। उस समय आगे के दौर में सुधार करके सुरक्षा परिषद का विस्तार करना तय भी हुआ था। लेकिन, यह सुधार नहीं किए गए। जिन्होंने यह खेल शुरू किया, उन्हें यह खेल वैसे का वैसा ही शुरू रखना हैं। लेकिन, सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से भारत को ज्यादा देर तक दूर नहीं रखा जा सकेगा। भारत को स्थायी सदस्यता प्राप्त होकर रहेगी, यह विश्वास विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बीच व्यक्त किया। पूरे विश्व को इसका अहसास हुआ हैं और भारत भी इसी दिशा में कोशिश कर रहा हैं। इस मुद्दे पर इतिहास भारत में पक्ष में खड़ा हैं, यह भी उन्होंने स्पष्ट किया।

इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की राजदूत रूचिरा कंबोज ने भी राष्ट्र संघ में अपने भाषण में यही कहा था कि, सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भारत का अधिकार हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में लगभग ८० देशों ने राष्ट्र संघ में सुधार करना आवश्यक होने की बात स्पष्ट की थी, इसकी याद भी राजदूत कंबोज ने करायी। फिर भी संयुक्त राष्ट्र संघ इसे अनदेखा कर रहा हैं, ऐसी आलोचना भारत के राजदूत ने की थी। लेकिन, यही भूमिका कायम रखी तो सुरक्षा परिषद ‘आऊटडेटेड’ और प्रभावहीन होने का खतरा होने की संभावना पर भारत की राजदूत कंबोज ने ध्यान आकर्षित किया। भारत ने पहल करके अफ्रीकी महासंघ को जी २० की सदस्यता प्राप्त करने का अवसर दिया, इससे राष्ट्र संघ सबक सीखे, ऐसा कंबोज ने कहा था।

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