अरुणाचल प्रदेश की सीमा से केंद्रीय गृह मंत्री ने चीन को दी चेतावनी

किबिथू/बीजिंग – सुई की नोक जितनी भार की जमीन भी कोई हथिया नहीं सकता, ऐसा बयान बड़े ड़टकर कह रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर बौखलाए चीन की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। भारत के गृहमंत्री का यह दौरान दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्र की शांति और मेल-मिलाप बिगाड़ने वाला है, ऐसा बयान चीन के विदेश मंत्रालय ने किया। साथ ही फिर एक बार अरुणाचल प्रदेश हमारे संप्रभुता का क्षेत्र होने का दावा करके चीन ने शहा के इस दौरे का विरोध किया। लेकिन, इस दौरे को चीन विरोध करना उम्मीद के अनुसार ही था, इसके आगे जाकर चीन इसपर कुछ भी नहीं कर सकता, ऐसा भारत के पूर्व सेना और राजनीतिक अधिकारी कह रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री का यह दौरा यानी भारत ने चीन को जड़ा करारा तमाचा है, यह कहकर इन पूर्व अधिकारियों ने इस दौरे का स्वागत किया।

केंद्रीय गृह मंत्रीअरुणाचल प्रदेश के ११ ठिकानों के नाम चीन ने हाल ही में बदल दिए थे। भारत ने ‘जी २०’ बैठक का अरुणाचल प्रदेश में आयोजन किया था। उस बैठक में अनुपस्थित रहकर चीन ने अपना विरोध जताया था। इसके बाद भारत के विरोध में कुछ भी करके दिखाने के दबाव में आए चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ११ ठिकानों के नाम बदलने के कम खतरे वाले विकल्प का चयन किया था। इसपर भारत के विदेश मंत्रालय ने यह चेतावनी दी थी कि, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा, नाम बदलकर इसमें बदलाव नहीं होगा। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री के अरुणाचल दौरे का ऐलान किया गया। यह दौरा यानी भारत ने चीन के दावों पर दिया करारा प्रत्युत्तर होने के दावे किए जा रहे थे। अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा के करीबी किबिथू गांव में केंद्रीय गृह मंत्री पहुंचे। वहां पर उन्होंने ‘वायब्रंट विलेज प्रोग्राम’ का ऐलान किया। साथ ही अरुणाचल प्रदेश की जनता प्रखर राष्ट्रवादी होने का अहसास भी उन्होंने कराया। इसी कारण से वर्ष १९६२ में यहीं की ज़मीन हथियाने पहुंचे चीन को वापस लौटना पड़ा था, ऐसा अमित शहा ने कहा। लेकिन, मौजूदा समय में सुई की नोक जितनी ज़मीन भी भारत के कोई हथिया नहीं सकता। आईटीबीपी के सैनिक और भारतीय सेना देश की सुरक्षा के लिए पूरे तैयार हैं, यह कहकर केंद्रीय गृह मंत्री ने चीन को आगाह किया।

इसके साथ ही गृह मंत्री ने चीन की सीमा के करीबी ‘आईटीबीपी’ की चौकी का दौर किया और वहां की सुरक्षा का जायजा लिया। इस पृष्ठभूमि पर चीन के विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। अरुणाचल प्रदेश का ज़िक्र झांग कररहे चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वैंग वेनबिन ने यह चीन के संप्रभुता का क्षेत्र होने का दावा ठोक यि। इस क्षेत्र का भारतीय गृह मंत्री ने किया दौरा दोनों देशों की सीमा पर शांति और मेल-जोल बिगाड़ देगा, यह कहकर वेनबिन ने इसका विरोध किया। चीन यह बर्दाश्त नहीं करेगा, ऐसी चेतावनी भी वेनबीन ने दी।

चीन से ऐसी प्रतिक्रिया प्राप्त होने की ही उम्मीद थी और इसके आगे जाकर चीन भारत के विरोध में कुछ भी नहीं करेगा, ऐसा दावा पूर्व सेना और राजनीतिक अधिकरियों ने किया है। लेकिन, अरुणाचल प्रदेश के ११ ठिकानों के नाम बदलने का ऐलान करके चीन ने भारत को उकसाने पर इस तरह की प्रतिक्रिया देने के लिए भारत मज़बूर था, नही तो चीन कोई नई हरकत करता नहीं तो चीन ने कोई नई हरकत करके भारत को उकसाया होता, ऐसा पूर्व अधिकारी का कहना है। साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीबी गांव से चीन को दी हुई चेतावनी का इन पूर्व अधिकारियों ने स्वागत किया है।

मौजूदा दौर में चीन, भारत के साथ अपने संबंध काफी अच्छे होने की बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्शाना चाहता है। साथ ही एलएसी पर भारी मात्रा में सैन्य तैनाती करके भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन की गतिविधियां शुरू हैं। लेकिन, चीन अब गलवान संघर्ष के बाद भारतीय सेना से सीधे टक्कर लेकल फिर से संघर्ष ना हो, यह ध्यान रखता दिख रहा है। इस वजह से नाम बदलना और विवादित बयान करके भारत पर दबाव बनाने की हर मुमकिन कोशिश करने तक चीन की गतिविधियां सीमित हुई हैं। लेकिन, भारत इसकी परवाह किए बिना अपनी सुरक्षा के लिए आक्रामक निर्णय करे और चीन पर बढ़ रहा दबाव बिल्कुल भी कम होने ना दे, ऐसा ज्येष्ठ कुटनीतिक एवं पूर्व सेना अधिकारियों का कहना हैं।

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