अरुणाचल प्रदेश के ११ ठिकानों के नाम बदलकर चीन ने भारत को फिर से उकसाया

बीजिंग – अरुणाचल प्रदेश के ११ ठिकानों के चीनी नाम घोषित करके चीन ने फिर से भारत को उकसाया हैं। रविवार को चीन के ‘सिविल अफेअर्स’ मंत्रालय ने यह ऐलान किया। इसके ज़रिये भारत के संबंधों में सुधार करके सीमा विवाद का हल निकालने में हम रुचि नहीं रखते, यही चीन ने दर्शाया हैं। इससे पहले वर्ष २०१७ और २०११ में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ ठिकानों के नाम बदलने की कोशिश की थी। उस समय अरुणाचल प्रदेश यह भारत का अभिन्न अंग था और आगे भी रहेगा, चीन के दावों का इसपर असर नहीं होगा, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने इशारा दिया था। 

अरुणाचल प्रदेशलद्दाख के एलएसी पर फिलहाल शांति बनी हैं, फिर भी वहां का विवाद कभी भी बिगड़कर संघर्ष में तब्दिल हो सकता हैं, ऐसी चेतावनी भारत के सेनाप्रमुख ने हाल ही में दी थी। साथ ही एलएसी पर किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए भारत तैयार हैं, ऐसी चेतावनी भी सेनाप्रमुख जनरल मनोज पांडे ने दी थी। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश में ‘जी २०’ परिषद से जुड़ी बैठक का हाल ही में आयोजन किया गया था। इस बैठक में भी चीन के प्रतिनिधि अनुपस्थित रहे। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश के ११ ठिकानों का नाम बदलने का भड़कानेवाला निर्णय चीन ने घोषित किया।

भारत को चिड़ा कर अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोकने की चीन की यह और एक नई कोशिश बनती है। भारत ने यह बाद बर्दाश्त किए बीना चीनो जैसे को तैसा जवाब करने की आवश्यकता है, ऐसी चेतावनी विश्लेषक दे रहे हैं। भारत ने अब तिब्बत का मुद्दा उठाकर चीन पर दबाव बढ़ाना होगा, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना हैं। इसी बीच चीन की ऐसी हरकतों पर अधिक ध्यान देने के बजाय भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए अधिक योजना के तहत कदम उठाने होंगे। आखिर में यह बात चीन पर सच्चे मायने में दबाव बढ़ाने वाली साबित होगी, ऐसा कुछ विश्लेषक कह रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्र पर अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए चीन बड़ी जोरदार कोशिश कर रहा हैं और ईरान एवं सौदी अरब का समेट करके चीन ने अपना प्रभाव बढ़ाया दिख रहा हैं। साथ ही रशिया और यूक्रेन का युद्ध रोकने के लिए भी चीन कोशिश कर रहा हैं। इसके लिए चीन महाशक्ति अमरीका का स्थान हथियाने की कोशिश में होने का आरोप कुछ विशलेषकों ने लगाया था। अमरीका के ज्येष्ठ कुटनीतिक ने भी इसकी पुष्टि की हैं। इसके साथ ही चीन अंतरराष्ट्रीय मुद्दा अमरिकी डॉलर के बजाय अपनी मुद्रा युआन को अधिक इस्तेमाल करने की दिशा में जोरदार गतिविधियां कर रहा हैं।

इसी बीच, चीन की अर्थव्यवस्था के सामने गंभीर संकट खड़े हुए हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से दूसरे देश जा रही हैं। साथ ही भारत की बहुराष्ट्रीय कंपनियों का निवेश बढ़ रहा हैं और भारत के साथ रुपये की सहायता से कारोबार कर रहे देशों की संख्या भी बढ़ रही हैं। जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और आसियान के सदस्य देश भी भारत के साथ आर्थिक और सामरिक सहयोग बढ़ा रहे हैं। इस वजह से भारत से हमें सभी मोर्चों पर चुनौतियां मिल रही हैं, इसका अहसास चीन को बेचैन करता दिख रहा है।

इसके बावजूद अन्य पड़ोसी देशों की तरह भारत को अपने सैन्य ताकत पर धमकाना मुमकिन नहीं होगा, इसका पूरा अहसास भी चीन को हुआ है। इसी वजह से भारत के विरोध में हरकते करना जारी रखकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में चीन होता हैं। अरुणाचल प्रदेश के ११ ठिकानों के नाम बदलने का निर्णय चीन की इन्हीं भड़काऊ हरकतों का हिस्सा बनता है। 

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