अंतरिक्ष युद्ध के मद्देनज़र भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में आक्रामक और रक्षात्मक क्षमता विकसित करनी पडेगी – ‘सीडीएस’ जनरल अनिल चौहान की चेतावनी

नई दिल्ली – अंतरिक्ष के सैन्यकीकरण की स्पर्धा अधिक तीव्र हुई है। इसकी वजह से अंतरिक्ष युद्ध की संभावना भी बढ़ी है और भारत को वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों के मद्देनज़र इसके लिए तैयार रहना होगा। भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में आक्रामक और रक्षात्मक दोनों क्षमताएं विकसित करनी पडेंगीं, ऐसा इशारा रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान ने दिया हैं।

इंडियन स्पेस असोसिएशन ने ‘इंडियन डेफस्पेस सिम्पोजियम’ नामक परिसंवाद का आयोजन किया है। तीन दिन चले इस परिषद का उद्घाटन सीडीएस जनरल चौहान के हाथों किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ रही तीव्र स्पर्धा और भारत की चिंता रेखांकित की।

अंतरिक्ष क्षेत्र, धरती, समुद्र और हवाई एवं साइबर क्षेत्र की क्षमता भी बढ़ाता है। अंतरिक्ष का सैन्यकी कामों के लिए इस्तेमाल जोरदार प्रभाव बढाता है और इससे हम बच नहीं सकते’, ऐसी चेतावनी जनरल चौहान ने दी। रशिया और चीन जैसे देशों ने उपग्रह विरोधी परीक्षण किए हैं, इस पर ध्यान आकर्षित करते हुए भारत को भी इस क्षेत्र में अपनी क्षमता बढ़ानी पडेगी, यह जनरल चौहान ने स्पष्ट किया है। भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में आक्रामक और रक्षात्मक अ दोनों क्षमता विकसित करना आवश्यक है, ऐसा उन्होंने कहा।

वर्तमान और भविष्य के मद्देनज़र भारत को अब अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी क्षमता विकसित करनी पडेगी। इसके लिए दोहरा इस्तेमाल करना मुमकिन होगा, ऐसी उन्नत प्रौद्योगिकी पर जोर देना पडेगा। देश के ‘नाविक’ जैसी उपग्रहों की श्रृंखला और इसकी क्षमता का विस्तार करने की बड़ी आवश्यकता हैं। साथ ही तेज़ गति से गोपनीय जानकारी प्राप्त करना, गश्त लगाना, सैन्य सर्वेक्षण के लिए उपग्रहों से जुड़ी यंत्रणा का इस्तेमाल बढ़ाना पडेगा। इसके अलावा उपग्रह की सहायता से दूरसंचार सेवा की सुरक्षा निर्धारित करने की ज़रूरत पडने की बात सीडीएस जनरल चौहान ने रेखांकित की।

यूक्रेन युद्ध में स्पेसएक्स और मैक्सर जैसी निजी कारोबारी अंतरिक्ष क्षेत्र की कंपनियों का इस्तेमाल हो रहा है। इसकी वजह से इस युद्ध ने नया क्षेत्र दुनिया को दिखाया है, इस पर भी जनरल चौहान ने ध्यान आकर्षित किया। अंतरिक्ष क्षेत्र की स्पर्धा जैसे-जैसे तीव्र होती जा रही है, वैसे ही इस क्षेत्र का सैन्यकीकरण तेज़ी से बढ रहा है। इसकी वजह से अंतरिक्ष क्षेत्र अब युद्धभूमि बना हुआ है और इसका विस्तार हो रहा है। इससे युद्ध का स्वरूप बदल रहा है, ऐसा जनरल चौहान ने कहा।

साथ ही अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती भीड़ अंतरिक्ष के पर्यावण और संपत्ति के लिए खतरा बन रही है। भारत ने भी इस मुद्दे पर अब चौकन्ना रहने की जरुरत है। इस्रो का प्रोजेक्ट ‘नेत्र’ की दिशा में बढ़ाया गया अहम कदम है, ऐसी सराहना जनरल चौहान ने की। प्रोजेक्ट नेत्र अंतरिक्ष का कूड़ा और अन्य खतरों से देश के उपग्रह और अन्य संसाधन सुरक्षित रखने के लिए बनायी ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्टम’ है।

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