अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था और सदा रहेगा – चीन को भारत के विदेश मंत्रालय का तमाचा

नई दिल्ली – अरुणाचल प्रदेश के ११ स्थानों के नाम बदलकर चीन ने भारत को फिर से उकसाया था। लेकिन, चीन ने नाम में किए इस बदलाव का कोई उपयोग नहीं क्योंकि, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था और सदा रहेगा, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने आगाह किया। चीन ने पहले भी इस तरह की उकसानेवाली हरकत की थी, इसकी याद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ताज़ा कराई।

भारत का अभिन्न अंगसोमवार को चीन के ‘सिविल अफेयर्स’ मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के ११ स्थानों के नए नाम घोषित किए थे। इसके ज़रिये चीन अरुणाचल प्रदेश हमारा ही क्षेत्र होने की बात दर्शाने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले २०१७ और २०२१ में चीन ने इसी तरह अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के नाम बदलने का ऐलान किया था। दोनों बार भारत ने नाम बदलने से अरुणाचल प्रदेश की स्थिति बदल नहीं जाती, यह भारत का अभिन्न अंग था और सदा रहेगा, ऐसा इशारा दिया था। मंगलवार को भी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चीन के उकसावे पर इन्हीं शब्दों में प्रत्युत्तर दिया।

साल २०२० में लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना से भारतीय सैनिकों का संघर्ष होने के बाद भारत ने चीन के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाई थी। पहले के दौर में एलएसी पर चीन की घुसपैठ होने पर भारत संयम से प्रतिक्रिया दर्ज़ करता था। एलएसी स्पष्ट न होने से दोनों देशों की इस मुद्दे पर भूमिका विभिन्न है, इसकी वजह से घुसपैठ की घटनाएं होती हैं, ऐसा भारत कहता रहता था। लेकिन, गलवान घाटी के संघर्ष के बाद भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की घुसपैठ वहीं रोक रखने का आक्रामक निर्णय लिया था।

कुछ समय पहले भारतीय सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहें चीनी सैनिकों को पीटते हुई बनाई गई वीडियो सामने आयी थी। इसकी जानकारी अधिकृत स्तर पर साझा नहीं की गई थी। लेकिन, यह वीडियो अरुणाचल प्रदेश की एलएसी का था, ऐसा कहा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका संज्ञान लिया गया। ताइवान के समाचार चैनल तो यह वीडियो जारी करके चीनी सेना की मस्ती भारतीय सेनाने उतारी, ऐसी खबरें जारी की थीं।

साथ ही अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ पर घुसपैठ करने की चीनी सेना की कोशिश भारतीय सेना ने नाकाम करने की खबरें भी प्राप्त हुई थीं। भारत पर इस तरह से दबाव बनाने की कोशिश नाकाम होने की स्थिति में चीन अरुणाचल प्रदेश के ठिकानों के नाम बदलकर अपनी संतुष्टि करता दिख रहा है।

लेकिन, भारत को इस तरह उकसाने वाले चीन को इसका लाभ मिलने के बजाय नुकसान होने की संभावना अधिक है। भारत को अपनी चीन संबंधित नीति अधिक सख्त करने की जरुरत है, ऐसी मांग सामरिक विश्लेषक एवं पूर्व सैन्य अधिकारी कर रहे हैं। तिब्बत के मुद्दे पर चीन सबसे अधिक संवेदनशील होने की बात कई बार स्पष्ट हुई थी। इसका दाखिला देते हुए भारत अब तिब्बत का मुद्दा अधिक जोरों से उठाए, ऐसी सलाह पूर्व सेना अधिकारी और विश्लेषक देने लगे हैं।

एक ओर चीन अमरीका के खिलाफ रशिया और भारत हमारी सहायता करें, यह आवाहन कर रहा है तो दूसरी ओर चीन की उकसानेवाली हरकतें देखें तो भारत अपने इस आवाहन पर प्रतिक्रिया नहीं देगा, इसका अहसास चीन को नहीं रहा। चीन की विदेश नीति इस मोर्चे पर पूरी तरह से हड़बड़ाहट में होने की बात दिख रही है। दुनियाभर के लगभग सभी प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी के घेरे में फंसने की कड़ी संभावना सामने आ रही है और इसमें चीन की अर्थव्यवस्था का भी समावेश है। साथ ही वैश्विक स्तर की उथल पुथल का भारत की अर्थव्यवस्था पर उतना घातक असर नहीं पडेगा, ऐसी गवाही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश एवं विश्व बैंक दे रहे हैं।

ऐसी स्थिति में, भारत के साथ व्यापार जारी रखना और इसका विस्तार करने की समझदारी दिखाने के बजाय चीन अधिकाधिक उकसाने का काम कर रहा है। इसकी वजह से निर्माण द्विपक्षीय तनाव चीन के हित में नहीं होगा। आनेवाले समय में इसके आर्थिक और राजनीतिक स्तर के परिणाम चुनावों पर पड़ने के स्पष्ट आसार दिखने लगे हैं।

मराठी

Leave a Reply

Your email address will not be published.