अफ़गानिस्तान के ‘रेअर अर्थस्‌’ पर कब्ज़ा करने के लिए चीन तालिबान से सहयोग करने की भूमिका अपना सकता है – विश्‍लेषकों का इशारा

बीजिंग/काबुल – अफ़गानिस्तान में मौजूद ट्रिलियन्स डॉलर्स के ‘रेअर अर्थ मिनरल्स’ के भड़ारों पर कब्ज़ा करने के लिए चीन तालिबान के साथ सहयोग करने की भूमिका अपना सकता है, ऐसा इशारा अमरिकी विश्‍लेषिका ने दिया है। चीन के हाथों में पहले से ही विश्‍व के ३० प्रतिशत से अधिक ‘रेअर अर्थ मिनरल्स’ के भंड़ार होने की बात समझी जाती है। अफ़गानिस्तान के भंड़ारों पर नियंत्रण हासिल करने पर चीन इसका इस्तेमाल करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव ड़ालने की कोशिश कर सकता है।

तालिबान से सहयोगतालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय तीव्र चिंता जता रहा है तो चीन ने तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति देने के संकेत दिए थे। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने अफ़गानिस्तान की नई हुकूमत से मित्रता एवं सहयोग के संबंध रखने के लिए चीन उत्सुक होने की प्रतिक्रिया बयान की थी। इस पृष्ठभूमि पर चीन ने तालिबान को स्वीकृति देने के पीछे के उद्देश्‍यों की चर्चा शुरू हुई है और इसी से ‘रेअर अर्थ मिनरलस’ के भंड़ारों का मुद्दा सामने आया है।

अमरिकी यंत्रणा और माध्यमों ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार अफ़गानिस्तान में लगभग १ से ३ ट्रिलियन डॉलर्स के ‘रेअरअर्थ मिनरल्स’ के भंड़ार मौजूद हैं। अमरिकी दूतावास के अफ़गानिस्तान के पूर्व राजनीतिक अधिकारी अहमद शाह कतावज़ाई ने भी इसकी पुष्टी की है। अफ़गानिस्तान में मौजूद ‘रेअर अर्थ मिनरल्स’ में ‘लैन्थैनम’, ‘सेरियम’, ‘निओडायमिअम’, ‘लिथियम’ का समावेश है। इन ‘रेअर अर्थ मिनरल्स’ का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में होने से इसे काफी संवेदनशील समझा जाता है।

तालिबान से सहयोग‘तालिबान से मेल करके चीन अफ़गानिस्तान के दुर्लभ खनिजों के भंड़ारों पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश करता है तो इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालना आवश्‍यक है। अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन नहीं हो इसके लिए यह आवश्‍यक है। तालिबान और चीन एक दूसरे के लाभ के लिए अफ़गानिस्तान के खनिजों का इस्तेमाल करते हैं तो मानव अधिकारों के साथ सभी मुद्दों का उचित पालन करने का ध्यान रखना पड़ेगा और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पहल करनी पड़ेगी’, यह इशारा शमैल खान ने दिया। शमैल खान ‘अलायन्स बर्नस्टेन’ नामक अंतरराष्ट्रीय संपत्ति व्यवस्थापन कंपनी के संचालक हैं।

तालिबान से सहयोगइससे पहले चीन द्वारा जापान के खिलाफ ‘रेअर अर्थ मिनरल्स’ का हथियारों की तरह इस्तेमाल करने की बात सामने आयी थी। अमरीका-चीन व्यापार युद्ध में भी चीन के नेताओं ने अमरीका के खिलाफ ‘रेअर अर्थ मिनरल्स’ का इस्तेमाल करने के संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखा जाए तो चीन ने अफ़गानिस्तान के खनिजों पर कब्ज़ा प्राप्त करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरे का इशारा साबित हो सकता है। इस वजह से अमरिकी विश्‍लेषिका का इशारा ध्यान आकर्षित करता है।

एक ओर चीन तालिबान को स्वीकृति प्रदान करके अपने उद्देश्यों के लिए कदम उठा रहा है और तभी अफ़गानिस्तान चीन की महत्वाकांक्षा को झटके दे सकता है, ऐसे दावे अमरिकी माध्यम कर रहे हैं। ‘ब्लूमबर्ग’ की एक रपट में यह इशारा दिया गया है कि, अफ़गानिस्तान में मौजूदगी बढ़ाना और तालिबानी हुकूमत की सहायता करना चीन की ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ योजना के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अफ़गानिस्तान में तालिबान स्थिर हुई तो पाकिस्तान के आतंकी गुटों को बल प्राप्त होगा और पाकिस्तान में आतंकी हमलों की मात्रा बढ़ेगी, यह भी कहा जा रहा है।

कुछ महीने पहले पाकिस्तान के एक ऊर्जा प्रकल्प के चीनी कर्मचारियों पर हुआ हमला और उससे पहले हुए कुछ हमलें इसकी पुष्टी करते हैं, ऐसा ब्लूमबर्ग ने कहा हैं। चीन ने ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ के तहत पाकिस्तान में ६० अरब डॉलर्स से अधिक निवेश किया है। साथ ही ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ के तहत चीन के बैंकों ने विश्‍वभर में लगभग २८२ अरब डॉलर्स से अधिक कर्ज वितरित किया है। पाकिस्तान अस्थिर होने पर चीन के ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ की नींव ड़गमगा सकती है और इसके परिणाम से पूरी योजना धराशायी हो सकती है, यह दावा अमरिकी वेबसाईट ने अपने लेख में किया है।

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