संयुक्त राष्ट्र संगठन ने तालिबान के साथ औपचारिक संबंध स्थापित किए

संयुक्त राष्ट्र – अफगानिस्तान में मानवाधिकार तालिबान के पैरों तले रौंदे जा रहे हैं। अफगानी महिला और लड़कियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है कमा ऐसे आरोप संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन लगातार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में, संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने साल भर की अवधि पर अफगानिस्तान के तालिबान समेत संबंध स्थापित किए हैं। हालांकि ठेठ उल्लेख डाला है, फिर भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने तालिबान के साथ औपचारिक संबंध स्थापित किए होने की खबरें आ रही हैं।

पिछले साल अगस्त महीने में तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्ज़ा किया। उसके बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में खुद की हुकूमत स्थापित की। अपनी हुकूमत सर्वसमावेशक होने का दावा करके तालिबान ने, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उसे मान्यता प्राप्त हों, ऐसी मांग की थी। लेकिन दोहा समझौते में तय किए अनुसार तालिबान की हुकूमत सर्वसमावेशक ना होने की बात पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने गौर फरमाया था। साथ ही, तालिबान ने सत्ता में आते ही महिलाओं-लड़कियों पर लगाए प्रतिबंध भी मान्य ना होने की आलोचना पश्चिमी देशों ने की थी।

पिछले सात महीनों में संयुक्त राष्ट्र संघ तथा उससे जुड़े अन्य संगठनों ने, अफगानिस्तान के संकट की ओर दुनिया का गौर फरमाया था। तालिबान की हुकूमत सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में भीषण किल्लत की समस्या निर्माण हुई है और यहाँ की जनता के लिए फौरन मानवतावादी सहायता की आवश्यकता होने का आवाहन राष्ट्र संघ ने किया था।

इस दौर में तालिबान के नेता और कमांडर्स ने नॉर्वे का दौरा करके अपनी हुकूमत को मान्यता दिलाने के लिए युरोपीय देशों के साथ चर्चा की थी।

गुरुवार को नॉर्वे ने संयुक्त राष्ट्र संगठन की सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान स्थित राजकीय संस्था के साथ साल भर के लिए औपचारिक संबंध स्थापित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। सुरक्षा परिषद के 15 देशों में से 14 देशों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया। वहीं, रशिया ने इसपर तटस्थ भूमिका अपनाई। उसके बाद राष्ट्र संगठन ने, अफगानिस्तान की शांति के लिए यहाँ के तालिबान के साथ साल भर के लिए औपचारिक संबंध स्थापित करने का ऐलान किया।

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