रशिया की अनुपस्थिति में सौदी अरब के जेद्दा में ‘यूक्रेन पीस समिट’ शुरू

जेद्दा/किव – रशिया और यूक्रेन का युद्ध प्रतिदिन अधिक तीव्र हो रहा हैं और इसी दौरान सौदी अरब के जेद्दा शहर में ‘यूक्रेन पीस समिट’ की शुरुआत हुई। अमरीका, चीन और भारत सहित ४० देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी के साथ हो रही इस बैठक में रशिया-यूक्रेन युद्ध का हल निकालने से संबंधित विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा होगी। सौदी में आयोजित इस बैठक के लिए रशिया को आमंत्रित न करने से आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। ऐसे में रशिया के प्रवक्ता ने यह कहा है कि, हम इस बैठक में होने वाली चर्चा पर नज़र रखें हैं।

कुछ दिन पहले पश्चिमी प्रसार माध्यमों ने यह खबर प्रसिद्ध की थी कि, सौदी अरब रशिया-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर शांति परिषद का आयोजन कर रहा हैं। रशिया और सौदी अरब के संबंधों के मद्देनज़र सौदी ने किए इस निर्णय पर विश्लेषक एवं माध्यमों ने आशंका व्यक्त की थी। लेकिन, शनिवार को जेद्दा में शुरू बैठक यह आशंका दूर की है।

दो दिन आयोजित हो रही इस बैठक में अमरीका, चीन, भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका के साथ यूरोप, खाड़ी और एशिया के प्रमुख देश शामिल हुए हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को सीर्फ पश्चिमी देशों का समर्थन होने की बात कही जा रही है। लेकिन, सौदी ने आयोजित की हुई बैठक और इसमें अमरीका-यूरोप के अलावा अन्य देशों की उपस्थिती यह आशंका मिटाएगी, यह दावा यूक्रेन कर रहा हैं। यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झेलेन्स्की ने बैठक का स्वागत किया है और अपने दस मुद्दों का शांति प्रस्ताव इस बैठक में पेश करने का ऐलान किया है।

दो महीने पहले यूरोप के कोपनहेगन में भी यूक्रेन मुद्दे पर बैठक का आयोजन किया गया था। लेकिन, इसे ज्यादा रिस्पान्स प्राप्त नहीं हुआ था। रशिया और यूक्रेन इन दोनों देशों ने एक-दूसरे के शांति प्रस्ताव स्पष्ट तौर पर ठुकराए थे और इस वजह से सौदी में आयोजित बैठक से भी ज्यादा कुछ हासिल होने की उम्मीद न होने का बयान विश्लेषकों ने किया है। रशिया से मित्रता के संबंध रखने वाला सौदी अपनी छवि सुधारने की कोशिश इस बैठक के माध्यम से करेगा, यह दावा भी कुछ माध्यमों ने किया है।

इससे पहले मई महीने में सौदी अरब ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की को सौदी में आमंत्रित किया था। और झेलेन्स्की को अरब लीग की बैठक में उपस्थित रहने का अवसर दिया था। उस समय झेलेन्स्की ने किए बयान पर खाड़ी देशों में तीव्र प्रतिक्रियाएं दर्ज़ हुई थी।

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