ब्रिटेन द्वारा ‘डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी’ की घोषणा – रक्षा विभाग द्वारा अंतरिक्ष रक्षा के लिये  2 अरब डॉलर का निवेश

‘डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी’लंदन – ब्रिटन ने अंतरिक्ष में बढ़ते खतरों का मुकाबला करने के लिए एक स्वतंत्र ‘डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी की घोषणा की है। इस नीति के तहत ब्रिटन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से अंतरिक्ष सुरक्षा के लिये 2 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा । अंतरिक्ष के लिए लेझर कम्युनिकेशन प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा और एक ‘सॅटेलाईट सर्व्हिलन्स सिस्टिम’’ भी स्थापित की जाएगी। यह घोषणा ब्रिटन के ‘मिनिस्टर फॉर डिफेन्स प्रोक्युरमेंट’ जेरेमी क्विन ने की।

पिछले कुछ महीनों में रशिया और चीन के अंतरिक्ष गतिविधियों को पश्चिमी देश लगातार निशाना बना रहे हैं। ब्रिटन के रक्षा अधिकारियों ने भी यह भी चेतावनी दी है कि रशिया और चीन के अंतरिक्ष अभियान, अंतरिक्ष  गतीविधीयों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। पिछले साल जुलाई में, ब्रिटन ने स्पेस कमांड कार्यरत होने की घोषणा करते हुए इस बात का भी संकेत दिया कि वह भविष्य में अंतरिक्ष हथियारों को तैनात करके उनका  उपयोग कर सकता है।

‘डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी’इस पृष्ठभूमिपर , ब्रिटन के रक्षा विभाग द्वारा  ‘डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी’  की घोषणा करना महत्वपूर्ण माना जाता  है। बढ़ते खतरों की पृष्ठभूमिपर पर ब्रिटन के रक्षा विभाग ने अंतरिक्ष रक्षा के लिये जो कदम उठाये है उसकी रूपरेखा ‘डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी’ के माध्यम से दी गयी है | रक्षा विभाग के अभियानो के लिये, निगरानी और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाले उपग्रहों का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। ‘इस्तारी कार्यक्रम’   नामक इस योजना के लिए एक अरब डॉलर से कही अधिक राशि रखी गई है|।

‘डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी’इसके अलावा, उन्नत लेझर कम्युनिकेशन्स प्रौद्योगिकी के लिए लगभग 10 करोंड डॉलर निर्धारित किए गए हैं। इससे पहले ब्रिटन ने रक्षा बलों के लिए ‘स्ट्रॅटेजिक कम्युनिकेशन्स प्रौद्योगिकी के प्रावधान के लिए 5 अरब डॉलर अलग से आवंटित किया है और स्काईनेट कार्यक्रम के तहत एक यंत्रणा स्थापित की जा रही है।  अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रतिस्पर्धियों से एक कदम आगे रखने में डिफेन्स स्पेस स्ट्रॅटेजी’ और इसके तहत किए गए निवेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे ऐसा विश्वास  ब्रिटन के रक्षामंत्री बेन वॉलेस ने दिया ।

चीन उपग्रह भेदनेवाली तकनीक विकसित कर रहा है। इनमें डायरेक्ट-टू-सैटेलाइट मिसाइल, लेजर हथियार, इलेक्ट्रॉनिक जॅमिंग और उपग्रहों पर सीधा प्रहार करने वाली यंत्रणा शामिल हैं। रशिया ने ऐसे उपग्रहों को तैनात किया था जिन्हें अंतरिक्ष में हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता था। पिछले ही साल  चीन और रशिया की तरफ से एक महत्वाकांक्षी “मून बेस” की घोषणा की गयी थी । दूसरी तरफ अमेरिका के साथ ब्रिटन, फ्रांस और जर्मनी ने स्वतंत्र ‘स्पेस कमांड  की स्थापना की है  और नाटो ने भी अंतरिक्ष को पांचवां “युद्धक्षेत्र”(डोमेन) घोषित किया है।

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