तुर्की ने लाखों शरणार्थियों को पनाह देने से ही यूरोप सुरक्षित – तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरइस्तांबूल – ‘यूरोप में आज के तारिख में दिखाई दे रही शांति का श्रेय तुर्की को देना होगा| तुर्की ने ४० लाख शरणार्थियों को पनाह देने से ही यूरोप सुरक्षित है’, इन शब्दों में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन इन्होंने यूरोप को ‘संदेश’ दिया| दो महीने पहले ही यूरोप की संसद ने तुर्की को महासंघ में प्रवेश देने संबंधी शुरू बातचीत बंद करने का निर्णय किया था| उसके बाद तुर्की और यूरोप में बना तनाव लगातार बढ रहा है और एर्दोगन इनके ऐसे वक्तव्य से यह तनाव और में बढने के संकेत प्राप्त हो रहे है|

पिछले दो वर्षों में यूरोपीय देश और तुर्की के संबंध बिगडना शुरू हुआ है और राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने सेना की बगावत दबाने में प्राप्त की सफलता इनके संबंध बिगाडने का तत्कालिन कारण साबित हुई| एर्दोगन ने बगावत की यह कोशिश नाकामयाब करते समय मानवाधिकार और यूरोपीय मुल्यों का उल्लंघन किया, यह आरोप यूरोपीय देशों ने रखा| लेकिन, एर्दोगन इन्होंने यह आरोप ठुकराए है और यूरोपीय देश अपना स्थान संभाले, यह सलाह भी दी थी|

तुर्की में अपना नियंत्रण स्थापित करनेवाले एर्दोगन ने यूरोप में अपना प्रभाव बढाने की कोशिश जारी रखी है और उसके लिए यूरोप में रह रहे इस्लामधर्मी गुटों की सहायता प्राप्त की है| इन गुटों को बडी मात्रा में आर्थिक सहायता और अन्य जरूरी मदद की आपुर्ति करके तुर्की की हुकूमत ने इन गुटों को अपने पक्ष में किया था| इन गुटों के माध्यम से यूरोपीय नेतृत्व पर दबाव बनाने की भी कोशिश करने की बात इससे पहले भी स्पष्ट हुई है|

यूरोप के कुछ देशों ने एर्दोगन इनकी गतिविधियों को उजागर तौर पर विरोध किया है और तुर्की की सहायता लेनेवाले गुटों के विरोध में कार्रवाई करने का कदम भी उठाया है| इसी बीच यूरोपीय महासंघ में तुर्की को प्रवेश देने में हो रहा विरोध भी बढ रहा है और प्रमुख सदस्य देशों ने तुर्की का महासंघ मे समावेश करने के लिए स्पष्ट तौर पर इन्कार किया है| इन देशों में फ्रान्स और ऑस्ट्रिया जैसे देशों का समावेश है|

यूरोपीय देशों के इस विरोध को जवाब देने के लिए एर्दोगन लगातार शरणार्थियों का मुद्दा उपस्थित कर रहे है| पिछले दो वर्षों से यह बात लगातार सामने आ रही है| यूरोपीय महासंघ और तुर्की में शरणार्थियों के मुद्दे पर समझौता किया गया है| इस के नुसार यूरोप में अवैध तरीके से घुसपैठ करनेवाले शरणार्थी तुर्की में भेजे जा रहे है और इसके बदले में महासंघ ने तुर्की को अरबों यूरो की अर्थ सहायता की है| इस अर्थसहायता के साथ ही महासंघ में तुर्की का समावेश करने का वचन भी शामिल था, यह दावा एर्दोगन कर रहे है|

यूरोपीय देश हमेशा तुर्की पर अन्याय ही करते रहे है और अभी भी यही सत्र शुरू है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन इनका कहना है| तुर्की को यूरोपीय महासंघ में प्रवेश देने से इन्कार किया गया और तुर्की की जनता ने चुनी सरकार गिराने की कोशिश भी यूरोपीय देशों ने की, इसकी याद भी वह दिला रहे है| पिछले वर्ष में एर्दोगन इन्होंने यूरोप में शरणार्थियों के झुंड घुंसाने की उजागर तौर पर धमकी दी थी| इस दौरान अलग शब्दों में एर्दोगन इन्होंने वही बात दोहराई दिख रही है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.