रक्षाविभाग की नियुक्तियों को लेकर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प और संसद में संघर्ष शुरू

वॉशिंग्टन, दि. ९ : अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने रक्षाविभाग में नियुक्त किये कई अधिकारियों ने पद छोड़ा होने की जानकारी दी गई होकर, इन नयीं नियुक्तियों के लिए ट्रम्प प्रशासन और संसद में संघर्ष शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं| नये राष्ट्राध्यक्ष सत्ता का पदभार सँभालते समय, प्रशासन में होनेवाले ये बदलाव, यह घटना हालाँकि अपरिहार्य मानी जाती है, मग़र फिर भी ट्रम्प को किये जा रहे विरोध के कारण, इस समय का बदलाव, यह खलबली मचानेवाली और लंबे समय तक चलनेवाली प्रक्रिया होगी, ऐसे संकेत मिल रहे हैं|

रक्षाविभागराष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने रक्षाविभाग में कुल १६३ राजनीतिक स्वरूप की नियुक्तियाँ की थीं| इनमें मंत्रियों से लेकर सचिव स्तर तक अधिकारियों का समावेश है| इनमें से बहोत सारे अधिकारियों ने इस्तीफ़ें दिये हैं| फिलहाल पहले के केवल १६ अधिकारी कार्यरत हैं| राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने रक्षामंत्री के पद पर जेम्स मॅटीस की नियुक्ति करने के बाद नये प्रशासन के निर्माण की प्रक्रिया ते़ज़ होगी, ऐसा कहा जाता था|

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अमरीका के एटर्नी जनरल के तौर पर सूचित किये हुए सिनेटर जेफ सेशन्स को अमरिकी संसद की मंज़ुरी मिली है| सेशन्स ये ‘एच १ बी व्हिसा’ व्यवस्था के कड़े विरोधक माने जाते हैं|
राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अमरीका के एटर्नी जनरल के तौर पर सूचित किये हुए सिनेटर जेफ सेशन्स को अमरिकी संसद की मंज़ुरी मिली है| सेशन्स ये ‘एच १ बी व्हिसा’ व्यवस्था के कड़े विरोधक माने जाते हैं|

लेकिन रक्षामंत्री मॅटिस के बाद रक्षाविभाग में एक भी बड़ी नियुक्ति हुई नहीं है| संसद में विरोधी दल रहनेवाली ‘डेमोक्रॅट’ पार्टी ने राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की नियुक्तियों का ज़बरदस्त विरोध करने की भूमिका अपनायी है, ऐसा दिख रहा है| राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने रक्षा क्षेत्र के लिये दो प्रमुख उद्दिष्ट बनाये हैं| इनमें सेना की पुनर्रचना और ‘आयएस’विरोधी संघर्ष इनका समावेश है|

इन उद्दिष्टों के लिए ट्रम्प और रक्षामंत्री मॅटिस को उनके विश्‍वसनीय अधिकारी चाहिए होकर, इसके लिये जोरशोर से प्रयास जारी हैं| इससे पहले, इस प्रकार की नियुक्तियों के लिये दोनो पार्टियों ने सकारात्मक भूमिका अपनायी थी| लेकिन अब हालात अलग हैं, ऐसा दावा सूत्रों द्वारा किया जा रहा है| रक्षाविभाग के सूत्रों की जानकारी के अनुसार, लगभग ५० से ज़्यादा सीट लंबे समय के लिये खाली रह सकते हैं| ये खाली सीटें नये प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो सकती है, ऐसी चर्चा शुरू हुई है|

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