इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भारत-जापान-फ्रान्स का त्रिपक्षीय सहयोग

नई दिल्ली – बायडेन राष्ट्राध्यक्षपद की बागड़ोर सँभालने आ रहे हैं; ऐसे में, ट्रम्प के दौर की अमरीका की नीतियों में होनेवाले बदलाव मानकर चलकर ही सभी देशों ने नये सिरे से मोरचागठन शुरू किया है। भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान इनके ‘क्वाड’ को मज़बूती देने के बजाय बायडेन इस संगठन को नज़रअन्दाज़ करेंगे, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही है। वैसा हुआ, तो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपना वर्चस्व जताने का मौक़ा चीन को मिलेगा। यह टालने के लिए भारत और जापान ने फ्रान्स के साथ सहयोग करने की गतिविधियाँ शुरू हैं। एक अभ्यासगुट ने आयोजित किये कार्यक्रम में इसका प्रतिबिंब दिखायी दिया।

‘ऑब्झर्व्हर रिसर्च फाऊंडेशन-ओआरएफ’ ने ‘इंडिया-फ्रान्स-जापान वर्कशॉप ऑन इंडो-पैसिफिक’ ऐसा शीर्षक होनेवाले एक चर्चासत्र का आयोजन किया था। इसमें भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला, फ्रान्स के राजदूत इमॅन्युअल लेनाईन, जापान के राजदूत सातोशी सुझूकी सहभागी हुए। ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र आन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों के दायरे में ही रहें, यहाँ आवाजाही की आज़ादी होनी चाहिए और अन्य देशों की सार्वभूमता का इस क्षेत्र में आदर किया जायें, ऐसी भारत की श्रद्धा है। इससे आन्तर्राष्ट्रीय सप्लाई चेन शुरुआत से लेकर अन्त तक सुरक्षित रहेगी। यह चेन किसी एक देश पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। उसका लाभ सभी उदयोन्मुख देशों को मिलना चाहिए’, इन शब्दों में विदेश सचिव श्रृंगला ने भारत की भूमिका प्रस्तुत की।

इसके लिए उन्होंने, भारत के प्रधानमंत्री ने सन २०१८ में सिंगापूर में बात करते हुए प्रस्तुत किये ‘सागर डॉक्ट्रीन’ की मिसाल दी। इसके अनुसार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बहुत ही महत्त्वपूर्ण होनेवाले जापान और फ्रान्स के साथ भारत की चर्चा तथा बातचीत यह बिल्कुल स्वाभाविक बात साबित होती है, ऐसा श्रृंगला ने कहा। फ्रान्स के साथ भारत ने सागरी सुरक्षा सहयोग विकसित किया है। साथ ही, जापान के साथ भी भारत के संबंध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण साबित होते हैं, ऐसा विदेश सचिव ने स्पष्ट किया।

भारत यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का, सुरक्षा प्रदान करनेवाला बहुत ही अहम घटक है, ऐसा ग़ौरतलब बयान श्रृंगला ने इस समय किया। साथ ही, एडन की खाड़ी में मौजूद समुद्री डकैती की समस्या सुलझाने के लिए भारत सक्रिय है, ऐसा विदेश सचिव ने कहा है। भारत इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग कर रहा है, ऐसा इस समय श्रृंगला ने स्पष्ट किया।

स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए जापान की विदेशनीति में बहुत ही अहम स्थान है, ऐसा जापान के राजदूत सातोशी ने इस चर्चा में स्पष्ट किया। भारत यह इस क्षेत्र का जापान का ऐसा साझेदार देश है, जिसकी जगह दूसरा कोई ले नहीं सकता। भारत के साथ के जापान के सहयोग का असाधारण महत्त्व है, ऐसा राजदूत सातोशी ने कहा।

जापान के नये प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता एवं सुरक्षा को सर्वाधिक प्राथमिकता देनेवालीं नीतियाँ अपनायीं हैं, ऐसी जानकारी देकर इस समय राजदूत सातोशी ने, जापान को इस क्षेत्र के बारे में प्रतीत होनेवाली अहमियत को अधोरेखांकित किया।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की चुनौतियाँ भौगोलिक सीमाओं से परे जानेवालीं हैं। इस कारण उनका मुक़ाबला करने के लिए आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग अत्यावश्यक है, यह भी इस समय जापान के राजदूत ने जताया। इस मोरचे पर भारत-फ्रान्स-जापान का त्रिपक्षीय सहयोग बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित होता है, इसका एहसास जापान के राजदूत ने करा दिया।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में कुछ देशों की इक़तरफ़ा नीतियों के कारण असमतोल निर्माण हुआ है। इस कारण यहाँ की अनिश्‍चितता बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में स्थिरता और विकास हासिल करने के लिए फ्रान्स ने भारत तथा जापान इन अपने मित्रदेशों के साथ सहयोग शुरू किया है। इस मोरचे में अन्य देश भी सहभागी हो सकते हैं, ऐसा फ्रान्स का राजदूत इमॅन्युअल लेनाईन ने कहा है। इस चर्चासत्र में चीन का ठेंठ उल्लेख न करते हुए तीनों देशों ने, चीन की हरक़तों के कारण निर्माण हुई ख़तरनाक परिस्थिति की मिसाल दी है। इसके विरोध में सहयोग करने की आवश्यकता भी भारत के विदेश सचिव तथा फ्रान्स और जापान के राजदूत ने व्यक्त की।

बायडेन का प्रशासन अमरीका की सत्ता की बाग़ड़ोर सँभालने जा रहा है, तभी अमरीका क्वाड को नज़रअन्दाज़ करेगी, ऐसी चिंता कुछ सामरिक विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। ख़ासकर जब ओबामा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष थे, तब उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चल रहीं चीन की हरक़तों को अनदेखा कर दिया था। उस समय अमरीका के उपराष्ट्राध्यक्ष होनेवाले बायडेन अब राष्ट्राध्यक्षपद पर विराजमान होने के बाद उन्हीं नीतियों पर आगे अमल करेंगे, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है। ऐसी स्थिति में भारत और जापान ने फ्रान्स का सहयोग लेकर, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन को अपने वर्चस्व का विस्तार करने का मौक़ा नकारने का महत्त्वपूर्ण फ़ैसला किया है, यह इस चर्चासत्र में से सामने आ रहा है।

कुछ दिन पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष के सुरक्षाविषयक सलाहकार इमॅन्युअल बोन ने भारत के दौरे में यह कहा था कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए फ्रान्स वचनबद्ध है।

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