ब्रह्मपुत्रा नदी पर चीन बना रहा जलविद्युत प्रोजेक्ट यानी भारत के अधिकार पर चीन का अतिक्रमण – जलशक्ति मंत्रालय की चेतावनी

नई दिल्ली – ब्रह्मपुत्रा नदी पर चीन जो जलविद्युत परियोजना बना रहा है, वह भारत के अधिकार पर अतिक्रमण साबित होता है, ऐसी चेतावनी भारत ने दी है। भारत और बांगलादेश ब्रह्मपुत्रा के ढलान पर के देश होकर, चीन ने इस नदी का पानी रोकने के लिए शुरू कीं कोशिशें आन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों का भंग कर रहीं हैं। दोनों देशों के बीच होनेवाली चर्चा में यह मुद्दा उपस्थित करने की तैयारी भारत ने की है। उसी समय, चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे विवादग्रस्त भूभाग में कर रहा घरों का निर्माणकार्य भी भारत की चिन्ता का विषय बना है। चीन की इन हरक़तों पर भारत नज़र रखे हैं, ऐसा विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया। लेकिन चीन यह निर्माणकार्य अपने भूभाग में कर रहा है, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है।

brahmaputra-river-dam-india-chinaलद्दाख की एलएसी पर पिछले नौं महीनों से चल रहा सीमाविवाद सुलझा नहीं है। यहाँ की एलएसी पर चीन ने बड़े पैमाने पर तैनाती करके भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिशें कीं। लेकिन ये कोशिशें चीन पर ही ‘बुमरँग’ हुईं होकर, इस क्षेत्र में भारत की सेना चिनी लष्कर पर वर्चस्व स्थापित कर रही है। इस कारण चीन ने एलएसी पर दूसरे स्थानों पर मोरचा खोलने की तैयारी की है और अरुणाचल प्रदेश की एलएसी से सटे विवादग्रस्त भाग में, चीन १०१ घर बनाकर यहाँ गाँव बसाने की तैयारी कर रहा है। उसके कुछ हफ़्ते पहले चीन ने ब्रह्मपुत्रा नदी पर जलविद्युत परियोजना बनाने के लिए निर्माणकार्य शुरू किया था। इसकी गंभीर दखल भारत ने ली है। भारत के जलशक्ति मंत्रालय ने यह चेतावनी दी है कि चीन का यह निर्माणकार्य यानी भारत के अधिकार पर अतिक्रमण साबित होता है।

केंद्रीय जल आयोग की बैठक में जलशक्ति मंत्रालय के राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया ने इस मुद्दे पर चर्चा की। ब्रह्मपुत्रा नदी पर चीन बना रहे निर्माणकार्य से भारत के साथ ही बांगलादेश का भी नुकसान होनेवाला है। इस कारण दोनों देश राजनीतिक चर्चा में यह मुद्दा चीन के सामने उपस्थित करने की तैयारी में होने की ख़बरें आयीं थीं। इसी बीच, अरुणाचल प्रदेश की एलएसी से सटे क्षेत्र में चीन घरों का निर्माण कर यहाँ गाँव बसाने की तैयारी में है। इस संदर्भ में भारत ने दी प्रतिक्रिया और भारतीय माध्यमों ने इस मामले में जारी कीं ख़बरों पर चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। चीन ने अपने ही भूभाग में यह निर्माणकार्य शुरू किया होकर, उसमें कुछ भी ग़लत नहीं है। चीन ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी है, यह चीन का ही अलग ना किया जा सकनेवाला दक्षिण तिब्बत का भूभाग है, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा।

वहीं, चीन का सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, भारतीय माध्यम अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चल रहे चीन के निर्माणकार्य का इस्तेमाल चीनविरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए कर रहे हैं, ऐसा कहा है। ग्लोबल टाईम्स में इसके बारे में बात करते हुए एक चिनी अभ्यासक ने, भारत इस मामले में कर रहे दावें ग़लत होने का दोषारोपण किया। भारत और चीन के बीच सीमा सुचारू रूप से निश्चित नहीं हुई है। ऐसे स्थिति में भारत यह आरोप कैसे कर सकता है कि चीन ने यन निर्माणकार्य भारत के भूभाग में कर रहा है, ऐसा सवाल इस अभ्यासक ने पूछा है।

इसी बीच, अरुणाचल की एलएसी पर होनेवाले गाँवों में चीन की इस हरक़त के खिलाफ़ ग़ुस्सा ज़ाहिर किया जा रहा है। यहाँ के स्थानीय नागरिक ‘वी आर इंडियन्स’ ऐसे नारें लगाकर, चीन को अपनी राष्ट्रीयता का परिचय करा दे रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश के छात्र संगठनों ने चीन की आक्रामक हरक़तों का निषेध किया है।

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