अफ्रीका महाद्वीप में लष्करी प्रभाव बढाने के लिए चीन की गतिविधियाँ

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

बीजिंग – मंगलवार से बीजिंग में ‘चाइना अफ्रीका डिफेन्स एंड सिक्यूरिटी फोरम’ की बैठक शुरू हुई है। इस फोरम का आयोजन चीन के रक्षा विभाग ने किया है। पिछले दो दशकों में अफ्रीका में सिर्फ व्यापार और आर्थिक हितसंबंध बनाए रखने के लिए पहल करने वाले चीन ने अफ्रीका महाद्वीप की लष्करी और सुरक्षा विषयक नीतियों में खुलकर पहली बार दिलचस्पी दिखाई है। चीन के रक्षा विभाग की तरफ से हो रहा इसका आयोजन ध्यान आकर्षित करने वाला साबित हुआ है। इस फोरम की पृष्ठभूमि पर चीन की तरफ से अफ्रीका महाद्वीप में लष्करी प्रभाव बढाने के लिए शुरू की गई गतिविधियों का मुद्दा अग्रणी है।

पिछले वर्ष अगस्त महीने में चीन ने ‘जिबौती’ में अपना पहला रक्षा अड्डा कार्यान्वित किया था। तब चीन ने उसका इस्तेमाल केवल नौसेना और अन्य रक्षा बलों को अवश्य सामग्री की आपूर्ति करने के लिए और उनके प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा, ऐसा कहकर यह रक्षा अड्डा नहीं होने का दावा किया था। लेकिन उसके बाद इस इलाके में लष्करी अभ्यास और बड़ी मात्रा में लष्करी टुकडियां तैनात करके इसका इस्तेमाल रक्षा अड्डे के तौर पर ही किया जाएगा, यह स्पष्ट हुआ था।

अफ्रीका महाद्वीप, लष्करी प्रभाव, चाइना अफ्रीका डिफेन्स एंड सिक्यूरिटी फोरम, रक्षा विभाग, चीन, टांझानिया

जिबौती के सुरक्षा अड्डे पर चीन ने अफ्रीका के अन्य देशों में भी सुरक्षा अड्डों के लिए कोशिशें शुरू की हैं। उसमें नामिबिया, टांझानिया इन देशों का समावेश है। कुछ महीनों पहले ही चीनी सरकार ने नामिबिया के साथ नीति विषयक और सामरिक साझेदारी संबंधी महत्वपूर्ण अनुबंध करने की बात सामने आई है। कुछ महीनों पहले चीन ने टांझानिया में स्थित ‘बागामेयो मेगा पोर्ट’ विकसित करने का ठेका प्राप्त किया था, यह बात सामने आई है।

टांझानिया के बंदरगाह का इस्तेमाल रक्षा आदी के तौर पर हो सकता है, ऐसे संकेत विश्लेषकों ने दिए हैं। चीन ने इस इलाके में टांझानिया के लष्कर को प्रशिक्षण देने के लिए विशेष केंद्र शुरू करने की ख़बरों की तरफ भी विशेषज्ञों ने ध्यान आकर्षित किया है। बीजिंग में आयोजित किए गए फोरम में चीन अफ्रीकन देशों के साथ रक्षा सहकार्य मजबूत करने के लिए बातचीत करेगा, ऐसे भी संकेत दिए गये है।

चीन ने पिछले दो दशकों से अफ्रीका में आर्थिक और व्यापारी हितसंबंध मजबूत किये हैं और अब रक्षा क्षेत्र की तरफ ध्यान मोड़ा है। पिछले कुछ सालों से अफ्रीका को आपूर्ति किए जाने वाले हथियार और रक्षा सामग्री में चीन का हिस्सा बढ़ता दिखाई दे रहा है। लेकिन चीन उस पर समाधानी नहीं है और उसने रक्षा अड्डा अथवा अन्य सहकार्य के रूप में अपने प्रभाव को अधिक बढाने के लिए कदम उठाना शुरू किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.