इस्रायल से सहयोग करना यानी शरणागत होना – ईरान के राष्ट्राध्यक्ष का सौदी अरब को इशारा

तेहरान – सौदी अरब ने इस्रायल के साथ सहयोग करने के संकेत देने से बेचैन हुए ईरान ने इसपर प्रतिक्रिया दर्ज़ करते हुए गुस्सा व्यक्त किया है। इस्रायल जैसे देश के साथ सहयोग स्थापित करना यानी शरण जाना होगा, ऐसा इशारा ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने दिया। पैलेस्टिन की भूमि काबिज करने वाले इस्रायल से सिर्फ संघर्ष किया जा सकता हैं, इस देश के साथ सहयोग स्थापीत नहीं कर सकते, यही ईरान की नीति होने की चेतावनी राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने दी।

दुनियाभर के इस्लामधर्मियों की एकजूट के लिए ईरान में आयोजित परिषद में ईरान के राष्ट्राध्यक्ष बोल रहे थे। इस्रायल ने वर्ष १९६७ में पूर्व जेरूसलम पर कब्ज़ा किया। जेरूसलम फिर से पुरी तरह से पाना ही इस्लामधर्मियों के सामने का लक्ष्य होना चाहिये। इसके लिए इस्रायल के संघर्ष करने की तैयारी हम सभी रखें। ईरान ने यही नीतिक कायम रखी हैं। इस वजह से इस्रायल से सहयोग स्थापित करने का विचार कोई भी न करें। ऐसा करना यानी इस्रायल के सामने शरणागत होने जैसा होगा, ऐसा तीखा बयान करके राष्ट्राध्यक्ष रईसी सौदी को फटकार लगाते दिखाई दे रहे हैं।

इस्लामी देश इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करें, यही पश्चिमियों की उम्मीद हैं। हमने इसे पुरी नहीं करनी चाहिये, ऐसी गुहार ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने इस्लामी देशों के सामने लगाई। इसी बीच, ईरान ने कुछ महीने पहले चीन की मध्यस्थता से सौदी अरब के साथ नए से राजनीतिक सहयोग किया था। इसके अनुसार ईरान और सौदी ने एक-दूसरे के देश में अपने राजनीतिक दफ्तर फिर से शुरू किए थे। लेकिन, इस्रायल के साथ सहयोग करने के मुद्दे पर सौदी और ईरान के बीच बने मतभेद तीव्र हुए हैं और इस वजह से दोनों देशों के बीच नए से स्थापीत हुए राजनीतिक सहयोग के लिए खतरा होने की बात दिख रही है।

ईरान यदि परमाणु बम से लैस हुआ तो सौदी भी पीछे नहीं रहेगा। सौदी भी परमाणु हथियार प्राप्त करेगा, ऐसा ऐलान क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने हाल ही में किया था। इसके लिए ही सौदी अरब इस्रायल के साथ सहयोग विकसित कर रहा हैं। इससे खाड़ी में संतुलन बनेगा, ऐसा दावा भी प्रिन्स मोहम्मद ने किया था। इस कारण से ईरान अधिक ही बेचैन हुआ हैं। और ईरान के नेता अप्रत्यक्ष ढ़ंग से सौदी की आलोचना करते दिख रहे हैं।

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