‘इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी’ से भारत को संपूर्ण सदस्यता का प्रस्ताव – पेट्रोलियममंत्री हरदीप सिंह पुरी

नई दिल्ली – ईंधन तेल आयात कर रहें औद्योगिक देशों का संगठन ‘इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी’ (आयईए) ने भारत को संपूर्ण सदस्यता प्रदान की है। ‘आयईए’ के इस प्रस्ताव का भारत ने स्वीकार किया तो भारत को अपने स्ट्रैटेजिक रिज़र्व ईंधन तेल के भंड़ारण की क्षमता बढ़ाकर ९० दिन करनी पड़ेगी। पेट्रोलियममंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार के दिन इसकी जानकारी साझा की। इससे पहले हरदीप सिंह पुरी ने ‘आयईए’ के कार्यकारी संचालक डॉ.फतिह बिरोल के साथ वर्चुअल बातचीत की। इस दौरान ‘आयईए’ के संचालक ने भारत को संपूर्ण सदस्यता के लिए आमंत्रित किया। ‘आयईए’ के फिलहाल ३० देश संपूर्ण सदस्य हैं और ८ देश सहयोगी सदस्य हैं। इनमें भारत के साथ चीन का भी समावेश है। लेकिन, ‘आयईए’ ने भारत को संपूर्ण सदस्यता का प्रस्ताव दिया है और इससे विश्व स्तर पर भारत का बढ़ा हुआ प्रभाव भी स्पष्ट होता है।

‘इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी’वर्ष २०१७ में भारत इस पैरिस स्थित संगठन का सहयोगी सदस्य था। इसके बाद ‘आयईए’ के साथ भारत ईंधन सुरक्षा के मुद्दों पर अलग अलग स्तर पर सहयोग कर रहा है। इसी वर्ष के जनवरी में भारत और ‘आयईए’ ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजन्सी में एक रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ऊर्जा सुरक्षा, साफ ऊर्जा, भारत के ईंधन भंड़ारण की क्षमता बढ़ाने के अलावा भारत में गैस पर निर्भर अर्थव्यवस्था का विस्तार करने के लिए भारत और ‘आयईए’ का रणनीतिक सहयोग शुरू हुआ था। इसके लिए ‘आयईए’ के सदस्य देश और भारत के बीच जानकारी का आदान-प्रदान भी शुरू हुआ है। इस रणनीतिक समझौते के बाद ‘आयईए’ का संपूर्ण सदस्य होने की दिशा में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाने के दावे किए जा रहे थे। इसके मात्र नौं महीनों बाद ‘आयईए’ ने भारत को संपूर्ण सदस्यता का प्रस्ताव भेजा है।

‘इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी’वर्ष १९९४ में पूरे विश्‍व में भारी मात्रा में ईंधन का संकट खड़ा हुआ था। प्रमुख ईंधन वितरक देशों ने ईंधन का उत्पादन और सप्लाई कम कर दिया था। इस वजह से विकसित और विकसनशील सभी देशों को इस संकट ने बड़ा नुकसान पहुँचाया था। इसके बाद विश्‍व के प्रमुख ईंधन आयातक औद्योगिक देशों ने मिलकर ‘आयईए’ का गठन किया था। वैश्विक ऊर्जा संकट के दौरान सदस्य देशों में समन्वय स्थापित करना एवं ईंधन तेल की आपूर्ति पर असर होने पर ईंधन तेल के बंटवारे के लिए प्रणाली विकसित करना ही इस संगठन का उद्देश्‍य था।

अमरीका, फ्रान्स, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ यूरोप और अमरिकी महाद्विप के कुल ३० देश फिलहाल इस संगठन के संपूण सदस्य हैं। इन सदस्य देशों में कुल १.५५ अरब बैरल ईंधन का भंड़ारण किया गया है। इससे ‘आयईए’ ने भारत को संपूर्ण सदस्यता के दिए गए प्रस्ताव की अहमियत रेखांकित होती है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा के नज़रिये से यह बात काफी अहम साबित होगी। भारत के साथ चीन, इंडोनेशिया, ब्राज़िल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मोरोक्को, थायलैण्ड भी ‘आयईए’ के सहयोगी सदस्य देश हैं। इसके साथ ही इस्रायल, चिलि, कंबोडिया, लिथुआनिया ने ‘आयईए’ की संपूर्ण सदस्यता प्राप्त करने की इच्छा जताई है।

इसी बीच सदस्य देशों में कम से कम ९० दिन के लिए पर्याप्त ईंधन का भंड़ारण करने की क्षमता होनी चाहिये, यह ‘आयईए’ की सदस्यता प्राप्त करने की प्रमुख शर्त है। भारत ने फिलहाल ९.५ दिनों के लिए पर्याप्त ‘स्ट्रैटेजिक ऑईल रिज़र्व’ बनाए हैं। इस क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। और १२ दिन के लिए पर्याप्त ‘स्ट्रैटेजिक ईंधन रिज़र्व’ बनाने के लिए भूमिगत टैंक्स का निर्माण कार्य जारी है। इसके अलावा भारत की ईंधन कंपनियाँ ६५ दिन के लिए पर्याप्त ईंधन का भंड़ारण करने की क्षमता रखती हैं। लेकिन, भारत को अब अपने स्ट्रैटेजिक रिज़र्व की क्षमता अधिक तेज़ी से बढ़ानी पड़ेगी। साथ ही ईंधन की माँग कम करने के नज़रिये से ईंधन का इस्तेमाल १० प्रतिशत कम करने की शर्त भी ‘आयईए’ की सदस्यता प्राप्त करने के लिए पूरी करनी होती है। भारत इसके लिए देश में ईंधन के अन्य विकल्पों का इस्तेमाल बढ़ाने पर भी जोर दे रहा है।

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