रिज़र्व बैंक रुपए की कीमत भारी मात्रा में गिरने नहीं देगी – ‘आरबीआई’ के उप-गवर्नर मायकल पात्रा

नई दिल्ली – आनेवाले समय में भारत की आर्थिक नीति अन्य देशों की तुलना में अधिक संतुलित होगी, ऐसा विश्वास रिज़र्व बैंक के उप-गवर्नर मायकल पात्रा ने व्यक्त किया है क्यों कि, अगले कुछ महीनों में भारत में महंगाई काबू में होगी, यह दावा उन्होंने किया। साथ ही भारतीय मुद्रा के मूल्य में भारी उतार-चढ़ाव ना हो, इसके लिए आरबीआई की कोशिश जारी है, ऐसा पात्रा ने स्पष्ट किया। विश्व के अन्य देशों की मुद्रा की तुलना में भारतीय रुपये का मूल्य स्थिर होने का दाखिला उन्होंने दिया। इसके अलावा, सरकार रुपया-रुबल की पेमेंट व्यवस्था से संबंधित निर्णय करेगी, यह भी पात्रा ने रेखांकित किया।

हाल ही के दिनों में डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये का मूल्य गिरावट के कारण ७८ से अधिक हुआ है। विश्व के कई देशों की मुद्राओं के मूल्यों में गिरावट देखी गयी है। इसके विभिन्न कारण हैं। भारतीय रुपये की गिरावट पर कुछ लोग आलोचना भी कर रहे  हैं। इस पृष्ठभूमि पर ‘आरबीआई’ के उप-गवर्नर पात्रा ने भारतीय रुपया और डॉलर की तुलनात्मक मूल्य की गिरावट पर ध्यान आकर्षित किया। ‘जिओ-पॉलिटिकल स्पिलओवर्स और भारतीय अर्थव्यवस्था‘ के विषय पर उद्यमियों की ‘पीएचडीसीसीआई’ नामक संगठन ने आयोजित किए समारोह में वह बोल रहे थे।

‘आरबीआई’ की आर्थिक नीति में भारतीय मुद्रा की गिरावट की पृष्ठभूमि पर निर्णय किए गए हैं और आनेवाले दिनों में भी इसी नज़रिये से निर्णय होंगे। आगे भारतीय रुपये का मूल्य क्या होगा, यह ‘आरबीआई’ को भी पता नहीं है। साथ ही अमरीका की फेडरल रिज़र्व को भी डॉलर कौन से स्तर पर होगा, यह पता नहीं है’, ऐसा पात्रा ने कहा। लेकिन भारतीय रुपये में भारी उतार-चढ़ाव नहीं होगा क्योंकि, रुपये का मूल्य स्थिर करने के लिए ‘आरबीआई’ काम कर रही है और इससे सबंधित कदम लगातार उठाए जा रहे हैं, ऐसा हम पुख्ता कह सकते हैं, ऐसा पात्रा ने स्पष्ट किया।

भारतीय रुपया विश्व में ऐसी मुद्राओं की सूचि का हिस्सा है, जिसके मूल्य में काफी कम गिरावट आई है। यह बात भारतीय रुपये के मूल्य को अच्छी तरह से देखने पर समझ में आएगी, इस बात को पात्रा ने रेखांकित किया। इसके पीछे भारत का बड़ा विदेशी मुद्रा भंड़ार का कारण होने की बात ‘आरबीआई’ के उप-गवर्नर पात्रा ने स्पष्ट की। भारत के विदेशी मुद्रा भंड़ार में ६०० अरब डॉलर्स से अधिक राशि है। इसी कारण भारतीय मुद्रा के मूल्य में ज्यादा गिरावट नहीं आई, ऐसा पात्रा ने कहा।

मौजूदा समय में विश्व के कई देशों की केंद्रीय बैंक ब्याजदर में बढ़ोतरी कर रही हैं। अमरीका के फेडरल रिज़र्व, ब्रिटेन की बैंक ऑफ इंग्लैण्ड समेत कई बड़े देशों ने ब्याजदर बढ़ाने का निर्णय किया हैं। आरबीआई ने डेढ़ महीने में ब्याजदर ९० अंकों से बढ़ाए हैं। इसपर ध्यान आकर्षित करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था महंगाई के संकट का सामना कर रही हैं, ऐसा पात्रा ने कहा। महंगाई दर काबू करने के लिए भारतीय अर्थनीति में आवश्यक कदम बढ़ाएँ जा रहे हैं। मौजूदा आर्थिक वर्ष के आखरी तीमाही तक भारत में महंगाई दर काबू में होगा और ६ प्रतिशत के स्तर से नीचि होगा, यह विश्वास पात्रा ने व्यक्त किया। मौजूदा महंगाई यूक्रेन युद्ध के कारण बिगड़ी सप्लाई चेन का नतीजा हैं। लेकिन, जल्द ही यह कम हो जाएगी। भारत में मान्सून बढ़िया रहा तो अनाज़ की कीमतों की गिरावट होगी। इससे देश महंगाई के संकट से जल्द संभलेगा। इस वजह से आरबीआई की आर्थिक नीति आगे के समय में अन्य देशों की तुलना में अधिक संतुलित होगी, यह दावा आरबीआई के उप-गवर्नर पात्रा ने किया हैं।

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