अंतरिक्ष क्षेत्र में ‘क्वाड’ का सहयोग मज़बूत होगा – अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष संगठनों के साथ ‘इस्रो’ के प्रकल्प

बंगलुरू – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इस्रो) ‘क्वाड’ के अपने सहयोगी देशों के साथ अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार कर रही हैं। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया अलग अलग अंतरिक्ष प्रकल्पों पर काम कर रहे हैं। इसमें इस्रो और नासा के ‘निसार’ उपग्रह प्रकल्प का, जापान के साथ हो रही चांद मुहिम का समावेश है।

अंतरिक्ष क्षेत्र

क्वाड’ के सदस्य भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की एक वर्चुअल बैठक हुई थी। इस बैठक के दौरान अलग अलग मुद्दों पर बातचीत हुई। इस दौरान भविष्य की तकनीक का विकास करने के लिए एकसाथ काम करने का निर्णय किया गया था। चारों देशों ने जारी किए संयुक्त निवेदन में भी इसका ज़िक्र था। इसके लिए ‘क्वाड’ देश अलग अलग ‘वर्किंग ग्रूप’ का गठन करेंगे, यह जानकारी संबंधित अफ़सर ने प्रदान की।

तकनीक के क्षेत्र में अंतरिक्ष सहयोग बड़ा अहम साबित होगा। भारत की ‘इस्रो’ फिलहाल अमरीका की नासा के साथ ‘नासा-इस्रो सिंथेटिक एपर्चड राड़ार’ (एनआयएसएआर-निसार) मुहिम पर काम कर रहे हैं। वर्ष २०२२ में यह उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा। ‘निसार’ उपग्रह एक ही समय पर ‘एल’ और ‘एस बैण्ड’ जैसी दो ‘फ्रिक्वेन्सि’ पर काम करनेवाला इमेजिंग उपग्रह है।

इस उपग्रह की वजह से पृथ्वी का, यहां के माहौल का विस्तृत अध्ययन करना संभव होगा। ‘नासा’ इस मुहिम के लिए ‘एल बैण्ड’ जीपीएस रिसिवर, सॉलिड स्टेट रेकॉर्डर और पेलोड डाटा सब-सिस्टम प्रदान करेगी। वहीं, भारत इस प्रकल्प के लिए ‘एस बैण्ड’ सिंथेटिक एपर्चड राड़ार (एसएआर) और प्रक्षेपण यान उपलब्ध कराएगा। बीते हफ्ते में ही इस्रो ने इस मुहिम के लिए आवश्‍यक ‘एस बैण्ड’ एसएआर विकसित किया होने का वृत्त प्राप्त हुआ था।

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हाल ही में ११ मार्च के दिन ‘इस्रो’ ने जापान एरोस्पेस एक्स्लोरेशन एजन्सी (जेएएक्सए-जाक्सा) ने दोनों देशों के विविध स्तर पर जारी अंतरिक्ष सहयोग का जायज़ा किया था। इसमें दोनों देशों के अंतरिक्ष सहयोग का हिस्सा होनेवाले पृथ्वी निरीक्षण, चांद्र मुहिम और नेविगेशन उपग्रह से संबंधित प्रकल्प की प्रगति पर भी बातचीत की गई। इस दौरान इस क्षेत्र के अवसर और आदान-प्रदान को लेकर भी चर्चा हुई। ‘इस्रो’ और ‘जाक्सा’ ने इस दौरान ‘इंप्लिमेंटिंग ऐग्रीमेंट’ किया। इसके अनुसार उपग्रह से प्राप्त होनेवाली जानकारी के आधार पर चावल की खेती और वायु गुणवत्ता का निरीक्षण किया जाएगा।

इसके अलावा वर्ष २०२३ में ‘इस्रो’ और ‘जाक्सा’ एकसाथ मिलकर चांद मुहिम शुरू करेंगे। चांद के दक्षिणी हिस्से पर अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा। इस संयुक्त चांद्र मुहिम को ‘लूनार पोलर एक्स्प्लोरेशन’ (लुपेक्स) नाम दिया गया है।

इसके अलावा ‘ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजन्सी’ (एएसए) के साथ भी ‘इस्रो’ अलग अलग प्रकल्पों पर काम कर रही है। फ़रवरी में ही ‘इस्रो’ और (एएसए) की वर्चुअल बैठक हुई थी। इस दौरान वर्ष २०१२ में दोनों देशों की सरकार ने नागरी अंतरिक्ष विज्ञान, तकनीक और शिक्षा सहयोग से संबंधित समझौते पर अमल करने पर चर्चा की। इस चर्चा में ‘एएसए’ के प्रमुख एनरिको पैलेरमो भी शामिल हुए थे। फिलहाल भारत और ऑस्ट्रेलिया अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाईट पर काम कर रहे है। साथ ही इस्रो की मानवी अंतरिक्ष मुहिम ‘गगनयान’ के लिए ऑस्ट्रेलिया में ‘ट्रान्स्पोर्टेबल टर्मिनल’ का निर्माण किया जा रहा है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत बड़ी तेज़ प्रगति कर रहा है और बीते कुछ वर्षों के दौरान भारत ने चलाई मुहिम ने विश्‍व को भारत की इस प्रगती का संज्ञान लेने के लिए मज़बूत किया है। साथ ही भारत ने व्यावसायिक अंतरिक्ष उपग्रह प्रक्षेपित करना भी शुरू किया है और इसके लिए ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड’ (एनएसआयएल) ने कुछ ही दिन पहले ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया का उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किया था। साथ ही ‘एनएसआयएल’ द्वारा उपग्रह प्रक्षेपित करने के लिए और भी कुछ देशों ने संपर्क करने की खबरें भी प्राप्त हुई थी।

भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र बीते वर्ष निजी संस्थाओं के लिए खुला किया गया था। इसके बाद भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में भारी मात्रा में निवेश हो रहा है। कई विदेशी कंपनियाँ भारत के इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए आगे आ रही है। साथ ही भारत की कई स्टार्टअप कंपनियाँ भी इस क्षेत्र में काम करने लगी है। ‘इस्रो’ के अध्यक्ष के.सिवन ने हाल ही में अतंरिक्ष क्षेत्र के अधिक से अधिक उपक्रम निजी उद्योगों के हाथों में सौंपकर इस्रो आधुनिक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगी, ऐसा कहा था। इस पृष्ठभूमि पर अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में ‘क्वाड’ देशों के साथ ‘इस्रो’ का मज़बूत हो रहा सहयोग ध्यान आकर्षित करता है।

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