आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उथल-पुथल की पृष्ठभूमि पर भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है – रिज़र्व बैंक के अर्थविशेषज्ञ का दावा

नई दिल्ली – आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़ी उथल-पुथल के झटके लग रहे हैं, ऐसे में अन्य देशों की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। इसकी वजह, देश की अर्थव्यवस्था एक नहीं, बल्कि कई आधारों पर खड़ी है। इसलिए आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर के झटके सहने की क्षमता भारत की अर्थव्यवस्था में निर्माण हुई है, ऐसा रिज़र्व बैंक की ‘मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी’ की सदस्या आशिमा गोयल ने कहा है।

दुनियाभर में होनेवालीं उथलपुथलों का परिणाम अगर भारत के उद्योगक्षेत्र पर होता है, तो भारत का कृषि क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करके दिखाता है। लॉकडाऊन के दौर में जब उद्योगक्षेत्र मंदी की स्थिति में था, तब डिजिटाइज़ेशन को मिला बढ़ावा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करनेवाला साबित हुआ, इसपर गोयल ने ग़ौर फ़रमाया। इसा कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य देशों की तुलना में अधिक अच्छा प्रदर्शन कर सकी, ऐसा दावा अशिमा गोयल ने किया है। इसीके साथ, पहले के दौर में आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर की निर्यात में भारत का हिस्सा बहुत ही कम था। लेकिन अब उसमें वृद्धि हो रही है, यह बात भी गोयल ने बताया।

साथ ही, देश भर से बढ़ रही माँग, बहुत बड़ी आर्थिक चुनौतियों का मुक़ाबला करने की अर्थव्यवस्था की क्षमता को विकसित कर रही है, यह निरीक्षण गोयल ने दर्ज़ किया है।

अमरीका के फ़ेड़रल रिज़र्व ने ब्याजदर बढ़ाने के बाद, आन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों ने अधिक रिटर्न्स मिलने की उम्मीद लेकर अन्य देशों में किये अपने निवेश वहाँ से निकालकर अमरीका की ओर मोड़ दिये। इसका बहुत बड़ा झटका विकसित और अमीर माने जानेवाले देशों को भी लगा था। भारत में हुए निवेश पर भी उसका असर हुआ और भारत के फ़ोरेन रिज़र्व्ज़ में इससे गिरावट आयी थी। लेकिन इसी दौर में देशान्तर्गत निवेश भारी मात्रा में बढ़ा। उसके प्रभाव से, आन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों ने देश से बाहर निकाले निवेश का बहुत बड़ा झटका भारतीय अर्थव्यवस्था को नहीं लगा। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने भी इसका उल्लेख किया था।

कोरोना की महामारी और उसके बाद भड़के हुए युक्रेन युद्ध का असर जागतिक अर्थव्यवस्था पर होते समय, पश्चिमी देशों की तुलना में एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाएँ इन संकटों का अधिक अच्छे तरीक़े से मुक़ाबला कर रहीं होने के दावे अर्थविशेषज्ज्ञ कर रहे हैं। उसमें भी, भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता इस संकट के दौर में साबित हुई होने का दावा भी कुछ विश्लेषकों ने किया है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर आन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा अधिक ही बढ़ेगा, ऐसे दावे किये जाते हैं। इसके परिणाम दिखायी देने लगे होकर, भारत में आनेवाले ठेंठ विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।

आनेवाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था सर्वाधिक आश्वासक रफ़्तार से प्रगति करेगी, ऐसा निष्कर्ष आन्तर्राष्ट्रीय वित्तसंस्थाएँ भी दर्ज़ कर रहीं हैं।

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