ओमीक्रोन की वजह से अर्थव्यवस्था सामान्य होने की गति धीमी होने के आसार – रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास

नई दिल्ली – ओमीक्रोन वेरिएंट के प्रभाव की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था सामान्य होने की गति कम हो सकती है, यह दावा रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया है। कुछ दिन पहले रिज़र्व बैंक की ‘मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी’ की बैठक हई, इस बैठक में बोलते समय गवर्नर दास ने ओमीक्रोन की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को पहुँच रहे नुकसान की ओर ध्यान आकर्षित किया था।

शक्तिकांत दास‘अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के कुछ नकारात्मक घटकों की वजह से भारत पर भी असर पड़ रहा है। वैश्विक सप्लाई चेन में उभरे अड़ंगे और अन्य क्षेत्रों की मुश्‍किलें इस वर्ष के अन्त तक खत्म होने की उम्मीद थी। लेकिन, २०२२ में भी यह समस्या कायम रहने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वर्ष के पहले छह महीनों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बेहतर गति प्राप्त हुई थी। लेकिन, अब यह गति धीमी होती दिख रही है’, इन शब्दों में दास ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति का अहसास कराया।

इस स्थिति का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दिखाई देने का बयान रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने किया। ‘भारतीय अर्थव्यवस्था २०२१-२२ के दौरान ९.५ प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने की उम्मीद जताई गई थी। लेकिन, कुछ मुद्दे अभी भी चिंता का विषय बन सकते हैं। निजी क्षेत्र की माँग का कुल मांग में ५५ प्रतिशत हिस्सा है। यह माँग अभी भी महामारी शुरू होने के पहले के स्तर पर नहीं पहुँची है। इस वजह से अर्थव्यवस्था सामान्य होने की प्रक्रिया अधिक कठिन हो सकती है। निजी क्षेत्र के पूंजी लागत ने भी अब तक उम्मीद अनुसार स्तर प्राप्त नहीं किया है’, इन शब्दों में दास ने संभावित मुश्‍किलों को लेकर इशारा दिया।

इन मुश्‍किलों की पृष्ठभूमि पर भारतीय अर्थव्यवस्था सामान्य करने के लिए रणनीतिक स्तर पर अधिक सहायता प्रदान करनी पड़ेगी, यह संकेत भी रिज़र्व बैंक के गर्वनर ने दिए हैं। ओमीक्रोन के प्रभाव के कारण अनिश्‍चितता का माहौल निर्माण हुआ है और इस ओर बारिकी से ध्यान देना पड़ेगा। संक्रमण रोकने के लिए प्रतिबंध लगाने पड़े तो इसका असर सप्लाई चेन एवं अन्य मुद्दों पर पड़ सकते है, इस ओर भी दास ने ध्यान आकर्षित किया।

कोरोना की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा नुकसान पहुँचा है और कई अर्थव्यवस्थाएं मंदी जैसी स्थिति का सामना करने के लिए मज़बूर हुई हैं। अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं उभरने की कोशिश कर रही हैं और तभी कोरोना के नए वेरिएंट ने फिर से चुनौती खड़ी की है। साथ ही दूसरी ओर भारत विश्‍व की सबसे तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था के तौर पर सामने आ रही है। इस पृष्ठभूमि पर रिज़र्व बैंक के गवर्नर का दावा ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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