भूखमरी की वजह से अफ़गान नागरिक बच्चों को बेचने के लिए मज़बूर

काबुल – भूखमरी के भयंकर संकट से घिरे अफ़गान नागरिक अपने बच्चों को बेचने के लिए मज़बूर हुए हैं। बेचने के लिए हाथ में कुछ भी ना बचने से अफ़गान नागरिक अपना पेट भरने के लिए एवं इलाज के लिए बच्चों को बेचने के लिए मज़बूर होने की दिल दहलानेवाली खबर एक वृत्तसंस्था ने प्रसिद्ध की है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ ने स्पष्ट इशारा दिया था कि, तालिबानी हुकूमत में अफ़गानिस्तान पर भयंकर मानवी आपत्ति टूट गिरेगी। ९० लाख से अधिक अफ़गान नागरिक भूखमरी से जूझ रहे हैं और इस देश के २.३० करोड़ लोग अन्न की किल्लत का सामना कर रहे हैं, ऐसा इशारा संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रपट में दिया गया था।

चार महीने पहले तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया। अफ़गानिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर थी। अमरीका, यूरोपिय महासंघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश, वर्ल्ड बैंक अफ़गानिस्तान की अर्थव्यवस्था को आधार दे रहे थे। तो, संयुक्त राष्ट्रसंघ की अलग अलग संगठन अफ़गानिस्तान की जनता तक मानवीय सहायता पहुँचा रही थी।

लेकिन, तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करते ही पश्‍चिमी देशों ने अफ़गानिस्तान की सहायता रोक दी है। अमरीका और तालिबान के बीच दोहा में समझौता होने के बाद अफ़गानिस्तान में तालिबान ने सत्ता हथियाई। लेकिन, तालिबान ने इस समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया, ऐसा कहकर अमरीका ने तालिबान की इस हुकूमत को स्वीकृति नहीं देंगे, यह ऐलान किया है। दूसरे किसी भी देश ने अब तक तालिबान को स्वीकृति प्रदान करने का साहस नहीं किया है।

इसके लिए तालिबान की चरमपंथी नीति ज़िम्मेदार है और तालिबान के आतंकी भूतपूर्व सरकार के अधिकारी, कर्मचारी, सेना और पुलिसबल पर बड़े अत्याचार कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि, लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाने के साथ ही महिलाओं को घरों से बाहर काम करने पर अनुमति भी तालिबान ने रोक लगाई है। इस चरमपंथी नीति के कारण ही तालिबान को स्वीकृति प्राप्त होने की संभावना खत्म हो रही है।

ऐसी स्थिति में तालिबान अफ़गान जनता की भूखमरी एवं बेरोजगारी का हत्यार की तरह इस्तेमाल कर रही है। तालिबान को स्वीकृति मिलने पर अफ़गान जनता को सीधी सहायता प्रदान करना आसान हो जाएगा, इस कारण तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करें, ऐसा तालिबान एवं पाकिस्तान का भी कहना है। चीन ने भी इसी पृष्ठभूमि पर तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति देने के लिए कोशिश शुरू की है। तालिबान और पाकिस्तान की यह भयंकर सियासत आम अफ़गान जनता को नुकसान पहुँचा रही है। इसी वजह से भूखमरी से पीड़ित अफ़गान नागरिक अपने बच्चों को बेचने के लिए मज़बूर हुए हैं।

अफ़गानिस्तान में ऐसी स्थिति उभरेगी, इसका अहसास पड़ोसी देशों को काफी पहले से ही था। इसकी वजह से अफ़गानिस्तान की सीमा से जुड़े ईरान, उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान ने अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए समय के रहते कदम उठाए थे। क्योंकि, अफ़गान शरणार्थियों के पीछे से आतंकी हमारे देश में प्रवेश करेंगे, यह ड़र इन देशों को सता रहा है। रशिया ने सरेआम यही चिंता जताई है और अपने देश को भी यह खतरा होने का बयान किया है।

भूखमरी का संकट बढ़ने के बाद अफ़गान शरणार्थियों के झुंड़ों को कोई भी सुरक्षा व्यवस्था रोक नहीं सकेगी, इसका स्पष्ट अहसास रखनेवाले देशों ने इसके खिलाफ आवश्‍यक गतिविधियाँ शुरू की हैं और मध्य एशियाई देशों के साथ भारत और रशिया इस मुद्दे पर एक-दूसरे को सहायता करने की तैयारी में हैं। इसी बीच अफ़गान जनता तक ज़रूरी सहायता पहुँचाने के लिए इन देशों ने शीघ्रता से कोशिश शुरू की है।

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