वायुसेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सिद्ध

वायुसेनाप्रमुख भदोरिया की चीन को चेतावनी

हैदराबाद – गलवान वैली में शहीद हुए २० जवानों का बलिदान वायुसेना व्यर्थ जाने नहीं देगी। देश की रक्षा के लिए आवश्यक होनेवाली पूरी तैयारी और तैनाती वायुसेना ने की है, ऐसा यक़ीन भारत के वायुसेनाप्रमुख आर.के.एस भदोरिया ने देशवासियों को दिलाया। वायुसेनाप्रमुख ने लेह, लद्दाख, श्रीनगर के वायुसेना के अड्डों की भेंट कर यहाँ की सुरक्षा का जायज़ा लिया। चीन से सटे सीमाक्षेत्र में वायुसेना के ‘सुखोई’, ‘मिराज’ इन लड़ाक़ू विमानों के साथ ही, ‘सी-१७ ग्लोबमास्टर’ ये बड़े लष्करी ट्रान्सपोर्ट विमान तैनात किये गए हैं। इसके साथ ही, अमरीका से खरीदे हुए अत्याधुनिक ‘अपाचे’ हेलिकॉप्टर्स भी यहाँ के अड्डों पर तैनात किये गए हैं। भारतीय वायुसेना की सीमाक्षेत्र में चल रहीं ये गतिविधियाँ चीन की चिंता बढ़ा रहीं हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। Air Force India RKS Bhadauria

वायुसेनाप्रमुख ने किये लेह और श्रीनगर के हवाई अड्डों के दौरे का विवरण देने से वायुसेना ने इन्कार किया था। लेकिन हैदराबाद में वायुसेना के एक कार्यक्रम में बात करते समय एअर चीफ मार्शल आर.के.एस.भदोरिया ने, वायुसेना चीन पर कड़ी नज़र रखे हुए है, ऐसा जताया। गलवान वैली में वापसी के संदर्भ में हुए समझौते को तोड़कर चीन के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर आकस्मिक हमला किया। ऐसी परिस्थिति में भी भारतीय सैनिकों ने जान हथेली पर लेकर मातृभूमि की रक्षा की। इससे भारतीय सेनाबलों का देश की सीमाओं की रक्षा करने का वज्रनिग्रह रेखांकित होता है, ऐसा वायुसेनाप्रमुख भदोरिया ने इस समय कहा।

इन शहीदों के बलिदान को वायुसेना व्यर्थ जाने नहीं देगी। अल्पावधि में देश की रक्षा के लिए सिद्ध होने की आवश्यकता गलवान वैली की घटना ने दिखा दी है। उसके अनुसार भारतीय वायुसेना ने देश की रक्षा के लिए आवश्यक होनेवाली सारी सिद्धता और तैनाती की है, ऐसा बताकर वायुसेनाप्रमुख ने देशवासियों को आश्वस्त किया। केवल गलवान वैली या लद्दाख ही नहीं, बल्कि चीन से सटे संपूर्ण सीमाभाग में वायुसेना ने किसी भी परिस्थिति का सामना करने की तैयारी रखी है, ऐसा संदेश वायुसेनाप्रमुख ने इस उपलक्ष्य में दिया है। पिछले कुछ दिनों से चीन से सटे सीमाभाग में वायुसेना की गतिविधियाँ शुरू हुईं होने की ख़बरें आ रहीं हैं। गलवान वैली में हमला करने से पहले, चीन के हेलिकॉप्टर्स ने भारत के सीमा में घुसपैंठ की होने की बात सामने आयी थी। लेकिन अल्पावधि में ही वायुसेना के विमानों ने आकाश में उड़ान भरी थी। उसके बाद चिनी हेलिकॉप्टर्स ने अपना मार्ग बदला था। वायुसेना चीन से सटे हवाई क्षेत्र में बारिक़ी से नज़र रखे है, यह इससे साफ़ दिखायी दे रहा है। वायुसेना के ‘सुखोई’, ‘मिराज’, ‘जग्वार’ विमान सुसज्जित स्थिति में रखे गये होकर, किसी भी पल कार्रवाई के लिए सिद्ध होने का संदेश चीन तक पहुँचाया जा रहा है। भारतीय वायुसेना की ये गतिविधियाँ चीन की चिंता बढ़ा रहीं हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। गलवान वैली में घुसपैंठ करने की कोशिश करने के बाद चीन को यह उम्मीद नहीं थी कि भारत अपनी पूरी सीमा इस प्रकार सुरक्षित करने के लिए लष्करी तथा वायुसेना की तैनाती करेगा। केवल घुसपैंठ करके भारत पर दबाव बढ़ाना, गलवान के साथ लद्दाख के भूभाग पर अधिकार बताना और फिर यहाँ से पीछे हटना, यह चीन की योजना थी। लेकिन वैसा करते हुए, डोकलाम के तरह मानहानिकारक वापसी करनी ना पड़ें, इसकी भी तैयारी चिनी लष्कर ने की थी। इसी कारण, चर्चा करने के बाद वापसी कर रहे हैं ऐसा दिखाकर, चीन के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर पूर्वनियोजित क़ायराना हमला किया था। इस हमले का कर्नल संतोष बाबू तथा उनके सहकर्मियों ने जिस हिम्मत के साथ सामना किया और चिनी जवानों पर ही प्रतिहमला किया, उससे चिनी लष्कर को बहुत बड़ा झटका लगा है।

आनेवाले समय में भारतीय लष्कर अपनी ख़ुराफ़ात को पूरी ताक़त के साथ प्रत्युत्तर देगी, इसका एहसास चीन को हुआ है। इसीलिए यहा के सीमाभाग में अधिक से अधिक तैनाती बढ़ाकर चीन यह दिखाना चाहता है कि वह युद्ध से डरता नहीं। उसी समय चीन के सरकारी मुखपत्र भारत को, नेपाल तथा पाकिस्तान की सीमी पर से घेरने की धमकियाँ दे रहे हैं। ऊपरी तौर पर चाहे कितनी भी आक्रमकता चीन ने दिखायी, तो भी भारत ने अपनायी मज़बूत भूमिका का चीन पर दबाव आया होकर, भारत को आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हो रहा समर्थन चीन को अधिक ही बेचैन कर रहा है।

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