अफ़गानिस्तान के आतंकी पाकिस्तान के ‘सुरक्षित स्वर्ग’ का लाभ उठा रहे हैं – अमरिकी रक्षा मुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ का आरोप

वॉशिंग्टन – पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के ‘सुरक्षित स्वर्ग’ की वजह से अफ़गानिस्तान की असुरक्षितता और अस्थिरता बढ़ रही है क्योंकि, आतंतवादी इसका लाभ उठा रहे हैं, ऐसा तीव्र इशारा अमरीका ने दिया। अमरीका के रक्षा मुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ के माध्यम सचिव जॉन कर्बी ने इस मुद्दे पर अमरीका लगातार पाकिस्तान से बातचीत कर रही है, यह जानकारी भी साझा की। अफ़गानिस्तान की स्थिति के लिए पाकिस्तान की आतंकी नीति ज़िम्मेदार होने का बयान सूचक शब्दों में कर रहे कर्बी ने यह भी कहा है कि, अफ़गानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए भारत विधायक भूमिका निभा रहा है।

अमरिकी रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से फोन पर बातचीत करने की जानकारी भी कर्बी ने प्रदान की। अफ़गानिस्तान की सीमा से करीबी स्थित पाकिस्तान के क्षेत्र में आतंकियों के सुरक्षित स्वर्ग बने हैं। तालिबान के आतंकी इसका इस्तेमाल अफ़गानिस्तान में असुरक्षितता और अस्थिरता फैलाने के लिए करते है, यह आरोप कर्बी ने लगाया। अमरीका के रक्षामंत्री ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता पाकिस्तान के सामने रखी होने के संकेत कर्बी ने दिए हैं। यह सुरक्षित स्वर्ग बंद करने का इशारा पाकिस्तान को देकर अमरीका ने पाकिस्तान पर काफी दबाव ड़ालने के संकेत भी कर्बी ने दिए हैं।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ और ‘आयएसआय’ के प्रमुख फैज हमीद का अमरीका दौरा शुरू हुआ है। असल में दोनों देशों के ताल्लुकात सुधारने के लिए इस दौरे का आयोजन किया गया था। लेकिन, इसके बिल्कुल उल्टे परिणाम होने का आरोप पाकिस्तान के माध्यम लगा रहे हैं। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने सरकार बनाने के बाद लगभग सभी प्रमुख देशों के नेताओं से बातचीत की। लेकिन, इन नेताओं की सूचि में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान का समावेश नहीं है। इसी वजह से बायडेन का फोन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बना है और इस पर विरोधी नेता इम्रान खान का मज़ाक उड़ा रहे हैं। लेकिन, बायडेन ने इम्रान खान को फोन नहीं किया तो पाकिस्तान के सामने दूसरे भी विकल्प मौजूद हैं, ऐसे दावे मोईद युसूफ ने किए। लेकिन, यह दूसरे विकल्प कौनसे हैं, यह सवाल करने पर मोईद युसूफ ने फोन कॉल के बजाय संपर्क के दूसरे माध्यमों का हास्यास्पद ज़िक्र किया।

लेकिन, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को फोन ना करना यह मज़ाकिया बात नहीं हैं, यह इशारा पाकिस्तान के ज़िम्मेदार विश्‍लेषक दे रहे हैं। अफ़गानिस्तान में तालिबान की हिंसा के लिए पाकिस्तान ही ज़िम्मेदार होने का अहसास अमरीका रखती हैं। इस मुद्दे पर अमरीका पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा सकती है, यह चिंता यह विश्‍लेषक जता रहे हैं। पेंटॅगॉन के माध्यम सचिव कर्बी ने अपनी वार्तापरिषद के दौरान यही सकेत दिए हैं।

अफ़गानिस्तान की असुरक्षितता और अस्थिरता के पीछे पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के सुरक्षित स्वर्ग हैं और इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता भी बढ़ी है, इस पर ध्यान आकर्षित करके कर्बी ने पाकिस्तान को मुश्‍कील में डाला है। यह अफ़गानिस्तान में तालिबान को प्राप्त हुई लष्करी बढ़त का स्वागत कर रहे पाकिस्तान के लिए खतरा साबित हो सकता है। पाकिस्तान की सरकार अपनी अफ़गानिस्तान और तालिबान संबंधी नीति एक बार स्पष्ट करे, यह माँग पाकिस्तान के लोकप्रतिनिधी करने लगे हैं। एक ओर अफ़गानिस्तान की गनी सरकार को पाकिस्तान ने स्वीकृति प्रदान की है तो दूसरी ओर पाकिस्तान तालिबान को सहायता प्रदान कर रहा है, यह दोगलापन है। इस पर अमरीका किसी भी क्षण पाकिस्तान को लक्ष्य करेगी। अमरीका की कार्रवाई में आर्थिक प्रतिबंधों से तालिबान पर हमले करने तक की किसी भी बात का समावेश हो सकता है, ऐसा विश्‍लेषक कह रहे हैं।

कर्बी ने अपनी इस वार्ता परिषद में पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाने के साथ ही अफ़गानिस्तान में भारत की विधायक भूमिका का भी स्वागत किया हैं। यह पाकिस्तान के लिए काफी बड़ा झटका साबित होता है। अफ़गानिस्तान के आतंकवाद विरोधी युद्ध के लिए पाकिस्तान ने काफी बड़ा नुकसान भूगता है। फिर भी अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर अमरीका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत को ही अधिक अहमियत दे रहे हैं, इस पर पाकिस्तान अफसोस व्यक्त करता रहता है। इस पृष्ठभूमि पर भारत की सराहना करके कर्बी पाकिस्तान को अधिक बेचैन करते दिखाई दे रहे हैं।

मज़ार-ए-शरिफ से भारतीय स्वदेश लौटेंगे 

अफ़गानिस्तान में तालिबान का खतरा बढ़ा है और ऐसे में भारत ने ‘मज़ार-ए-शरिफ’ के अपने आयुक्तालय के अधिकारी एवं कर्मचारियों को स्वदेश बुलाने का निर्णय किया है। विशेष विमान से इन भारतीय नागरिकों एवं कर्मचारियों को स्वदेश लाया जाएगा, यह जानकारी अफ़गानिस्तान के भारतीय उच्चायुक्तालय ने प्रदान की। अफ़गानिस्तान में मौजूद भारतीय नागरिकों को यह देश छोड़ना हो तो वह तुरंत संपर्क करें, यह आवाहन भी उच्चायुक्तालय ने किया था।

‘मज़ार-ए-शरिफ’ पर कब्ज़ा करने के लिए तालिबान ने हमला किया था। इस शहर पर कब्ज़ा करने के दावे भी तालिबान ने किए थे। लेकिन, अफ़गान सेना इस शहर को बचाने के लिए लड़ रही है। ऐसी स्थिति में यहां के भारतीय आयुक्तालय के लिए खतरा बढ़ा था। बीते महीने में ही इस क्षेत्र के अपने आयुक्तालय के सभी कर्मचारियों को वापिस बुलाने का निर्णय अमरीका और तुर्की ने किया था। तभी स्थिति का अनुमान लगाकर इससे संबंधि निर्णय करने की बात अफ़गानिस्तान के भारतीय उच्चायुक्तालय ने कही थी।

 

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