अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के आड़ में आतंकवाद को वैध करार नहीं दे सकते – अलगाववादियों के पक्ष में खड़े कनाड़ा को भारत की सख्त चेतावनी

नई दिल्ली/ओटावा – अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम से कनाड़ा में खलिस्तानी अलगाववादियों की भारत विरोधी हरकतों को वैध करार देने की कोशिश करते दिखे कनाड़ा के प्रधानमंत्री की भारत ने सख्त शब्दों में आलोचना की। अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम से हिंसा के पक्ष में खड़े नहीं रह सकते और आतंकवाद को सही भी साबित नहीं किया जा सकता, ऐसा बयान भारत के विदेश मंत्रालय ने किया है। भारत ने इससे पहले भी कनाड़ा को इसी मुद्दे पर फटकार लगाई हैं। कनाड़ा में अलगाववादियों पर कार्रवाई करते समय सरकार नरमी दिखा रही हैं, ऐसा बयान भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने किया था। साथ ही यह भारत-कनाड़ा के द्विपक्षीय संबंधों के लिए घातक साबित होगा, ऐसी चेतावनी भी भारत ने दी थी। 

अभिव्यक्ति स्वतंत्रताकनाड़ा, अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में खलिस्तानी अलगाववादी भारत विरोधी गतिविधियां कर रहे हैं। वहां के भारीय दूतावास एवं धार्मिक स्थलों को लक्ष्य कर रहे हैं। पिछले छह महीनों में पाकिस्तान, कनाड़ा, ब्रिटेन में रहनेवाले कुछ खलिस्तानी नेताओं की मौत हुई हैं। इसके लिए भारत को ज़िम्मेदार बताकर खलिस्तानी गुटों ने इन देशों में प्रदर्शनों का आयोजन किया है। इसके आड़ में भारतीय दूतावास एवं अधिकारियों को लक्ष्य करने की साज़िश है। हाल ही में खालिस्तानी अलगाववादियों ने कनाड़ा में कुछ पोस्टर्स लगाए थे। इसमें भारतीय अधिकारियों का ज़िक्र करते हुए उन्हें ‘किलर’ बता कर उकासाने की कोशिश की थी। वहीं, अमरीका के सैन फ्रान्सिस्को शहर में स्थित भारतीय दूतावास पर हमला करके खलिस्तानी अगलाववादियों ने आगजनी भी की थी।

इस पृष्ठभूमि पर भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इन देशों को चेतावनी दी थी। यह अलगाववादी विचारधारा भारत के लिए अच्छी नहीं हैं, साथ ही वह अन्य किसी के भी हित में नहीं होगी। अमरीका, कनाड़ा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए वह उतनी ही घातक होगी, ऐसा बयान विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने किया था। इस दौरान कनाड़ा का ज़िक्र करते हुए कनाड़ा की सरकार वहां पर राजनीतिक समझौते और वोटों के लिए खलिस्तानीयों के समर्थन में खड़ी होने का बयान भी जयशंकर ने किया था। इसके लिए कनाड़ा इन अलगाववादियों पर कार्रवाई करने में नरमाई दिखा रही हैं। लेकिन, यह कनाड़ा-भारत संबंधों के लिए अच्छी बात नहीं हैं, ऐसी चेतावनी जयशंकर ने दी थी। 

अभिव्यक्ति स्वतंत्रताइसपर कनाड़ा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्य्रूड्यू ने प्रतिक्रिया दी थी। खलिस्तानी समर्थक और आतंकवादियों को लेकर कनाड़ा की सरकार की नीति नरम होने का विचार गलत हैं, यह दावा उन्होंने किया था। कनाड़ा सरकार हमेशा से ही आतंकवाद और हिंसा विरोधी कार्रवाई को लेकर गंभीर हैं। लेकिन, कनाड़ा विविधता का देश हैं और इस देश में अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है। लेकिन, हम सभी तरह की हिंसा नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे, ऐसा कनाड़ा के प्रधानमंत्री ट्य्रूड्यू ने कहा हैं।

अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का दाखिला देकर कनाड़ा के प्रधानमंत्री एक तरह से अलगाववादियों का समर्थन करने की एवं उनकी भारत विरोधी गतिविधियों को वैध करार देने की कोशिश करते दिखाई दिए। इसपर भारत की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आयी है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसपर प्रतिक्रिया दर्ज़ करते हुए कनाड़ा की कड़ी आलोचना की। मुद्दा अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के आड़ से हिंसा के पक्ष में खड़े रहने का हैं। साथ ही इसी अभिव्यक्ति स्वतंत्रता को आगे करके अलगाववाद का प्रचार करना एवं आतंकवाद को सही साबित करने का हैं ऐसा कहकर बागची ने कनाड़ा के प्रधानमंत्री को आईना दिखाया। इसके साथ ही अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम से चरमपंथ और आतंकवाद को आश्रय ना दिया जाए, यह चेतावनी बागची ने दी। उन्होंने कनाड़ा के प्रधानमंत्री ने किए बयान की निंदा की। यह मुद्दा कनाड़ा के सामने उठाया है, यह भी उन्होंने कहा।

इसी बीच, ब्रिटेन की सरकार ने भारतीय उच्चायोग पर हमला करने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी, ऐसा स्पष्ट इशारा खलिस्तानी अलगाववादियों को दिया है। मार्च महीने में खलिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में घूसकर भारत का तिरंगा उतारा था। इसके बाद भारत की तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन की सरकार अब सावध भूमिका अपना रही हैं और भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा की समीक्षा की जा रही है। 

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