अफ़गान जनता ने तालिबान को चुना नहीं है – अमरीका की पूर्व विदेशमंत्री कॉन्डोलिज़ा राईस

afghan-people-taliban-us-2वॉशिंग्टन – ‘अमरीका के साथ अफ़गान नागरिक भी तालिबान के खिलाफ लड़े थे। अफ़गान नागरिकों ने भी इस जंग में अपना खून बहाया है। अफ़गान जनता ने तालिबान का चयन नहीं किया है’, ऐसा बयान अमरीका की पूर्व विदेशमंत्री कॉन्डोलिज़ा राईस ने किया है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने अफ़गानिस्तान में तालिबान को प्राप्त हुई कामयाबी अफ़गान सरकार, अफ़गान सेना और अफ़गान जनता की असफलता होने का दावा किया था। अफ़गान जनता की असफलता के लिए अमरीका को ज़िम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता, ऐसा कहकर बायडेन ने अपने निर्णय का समर्थन किया था। इस पर अमरीका की पूर्व विदेशमंत्री कॉन्डोलिज़ा राईस ने करारा जवाब दिया है।

अमरीका के वॉशिंग्टन पोस्ट नामक अखबार में अपने लेख में पूर्व विदेशमंत्री राईस ने अफ़गानिस्तान की मौजूदा भयंकर स्थिति पर तीव्र चिंता जताई। वर्ष २००१ से २००५ के दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और २००५ से २००९ के दौरान अमरिकी विदेशमंत्री रही कॉन्डोलिज़ा राईस ने अमरीका की अफ़गान संबंधी नीति में अहम भूमिका निभाई थी। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के दावे ठुकराकर राईस ने बिल्कुल सटीक शब्दों में बायडेन की नीति का विरोधाभास अपने लेख के माध्यम से सामने रखा।

अमरीका पर हुए ९/११ हमले के २० वर्ष पूरे होने के एक महीना पहले अफ़गानिस्तान से बाहर निकलने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर विमान से लटके हुए अफ़गान नागरिकों को देखना दर्दनाक है। ऐसा होना नहीं चाहिये था। ९/११ का हमला जिस देश से हुआ उस देश से मूँह मोड़ना अमरीका के हित में नहीं होगा। साथ ही अफ़गानिस्तान की इस स्थिति के लिए पूरी तरह से अफ़गान सरकार और जनता ही ज़िम्मेदार हैं, ऐस सोचना उचित नहीं होगा’, यह इशारा कॉन्डोलिज़ा राईस ने इस लेख में दिया है।

afghan-people-taliban-us-1अमरिकी सैनिकों के साथ-साथ अफ़गान नागरिकों ने भी तालिबान विरोधी इस युद्ध में अपना खून बहाया था। अफ़गान जनता ने तालिबान को चुना नहीं है। अमरीका की लष्करी शक्ति एवं वायुसेना की ताकत के बगैर अफ़गान सैनिक तालिबान का मुकाबला नहीं कर सकते, यह बात स्पष्ट थी। ऐसे में अमरिकी सेना की वापसी के दौरान जो कोई हमारे खिलाफ जाएगा, उसका परिवार खत्म किया जाएगा, ऐसी धमकी तालिबान ने दी थी, इस ओर ध्यान आकर्षित करके राईस ने अफ़गान सेना की नाकामी का यही प्रमुख कारण होने का खुलासा किया।

अफ़गानिस्तान में २० वर्ष लड़ने के बावजूद अमरीका के हाथों में कुछ नहीं लगा, ऐसा बयान राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया था। लेकिन, सातवीं सदी से चली आ रही मानसिकता और ३० वर्ष के गृहयुद्ध के शिकंजे में फंसे अफ़गानिस्तान के लिए २० वर्ष की अवधि बड़ी नहीं होती। अफ़गानिस्तान से अधिक अमरीका ने कोरिया में लड़ी हुई जंग लंबी चली थी। दक्षिण कोरिया जैसे उदारतावादी देश में २८ हज़ार सैनिक तैनात करके इस युद्ध का अन्त हुआ। इस तैनाती के ज़रिये अमरीका ने दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच ताकत से संतुलन बनाए रखा है, इस बात की याद पूर्व विदेशमंत्री राईस ने ताज़ा की।

राईस ने यह अहसास भी कराया कि, अमरीका की अफ़गानिस्तान से सेना वापसी अमरीका के समर्थकों के लिए भयंकर साबित हुई है। साथ ही अमरीका को इसके लंबे अर्से तक परिणाम भुगतने पड़ेंगे, यह इशारा देकर कॉन्डोलिज़ा राईस ने इसके लिए राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ज़िम्मेदार हैं, यह इशारा दिया हुआ भी दिख रहा है।

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