अफगानिस्तान के १८ शहरों पर तालिबान का कब्ज़ा – अमरीका तीन हज़ार मरिन्स रवाना करने की तैयारी में

taliban-control-18-states-afghan-2काबुल/वॉशिंग्टन – पिछले चौबीस घंटों में अफगानिस्तान के लष्कर ने तालिबान के २०२ आतंकियों को मार गिराया। वहीं, इन्हीं चौबीस घंटों में तालिबान ने अफगानिस्तान के और आठ प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा किया। इससे ३४ प्रांतों में से १८ यानी आधे से अधिक प्रांतीय राजधानियाँ तालिबान के हाथ चलीं गईं हैं। इसके बाद तालिबान ने काबुल की ओर रुख किया होकर, उससे सतर्क हुई अमरीका ने काबुल में ३००० मरिन्स तैनात करने के आदेश दिए। लेकिन यह तैनाती काबुल स्थित अमेरिकन्स की सुरक्षित वापसी के लिए होने के दावे किए जाते हैं।

गुरुवार शाम को तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से १३० किलोमीटर की दूरी पर होनेवाले गझनी प्रांत पर कब्ज़ा किया था। तालिबान ने गझनी पर कब्ज़ा करने के कारण चिंता ज़ाहिर की जा रही थी। लेकिन उसके बाद शुक्रवार शाम तक तालिबान ने हेल्मंड, कंदहार, हेरात, झाबुल, उरूझगन, लोगार, घोर और बदघीस इन प्रांतों की राजधानियों पर अपनी हुकूमत स्थापित की। महज २४ घंटों में तालिबान को मिली यह अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जाती है।

इनमें से लोगार प्रांत की राजधानी पुल-ए-अलाम यह काबुल से महज ५० किलोमीटर की दूरी पर है। काबुल और पुल-ए-अलाम शहरों को जोड़नेवाले बीच के पट्टे पर अफगान सरकार और लष्कर का नियंत्रण है। लेकिन पिछले दो दिनों में अफगानिस्तान के संघर्ष में तालिबान ने प्राप्त की बढ़त, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता की बात साबित होती है। तालिबान की यही रफ़्तार अगर कायम रही, तो आनेवाले कुछ दिनों में काबुल की घेराबंदी करने में तालिबान के आतंकी कामयाब होंगे, यह अमरीका की गुप्तचर यंत्रणा ने दी चेतावनी सच होते हुए दिखाई दे रही है।

taliban-control-18-states-afghan-1अगर राजधानी काबुल तालिबान के हाथ चली गई, तो अफगानिस्तान में सरकार गिरेगी, इसका एहसास हुई अमरीका ने तेजी से लष्करी गतिविधियाँ बढ़ाईं हैं। काबुल में अमरीका के दूतावास में काम करनेवाले अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए अमरीका ने तीन हजार मरिन्स यानी स्पेशल फोर्सेस के जवान तैनात करने की तैयारी की है। अमरीका के अग्रसर ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ अखबार ने इस बारे में जानकारी प्रकाशित की। पाकिस्तान की हवाई सीमा का इस्तेमाल करके अफगानिस्तान में मुहिम चलाई जाएगी, ऐसा इस अमरीकी अखबार ने कहा है। अपने नागरिकों को काबुल से सुरक्षित रूप में बाहर निकालते समय अगर तालिबान ने कुछ हरकत की, तो अगली कार्रवाई की योजना भी तैयार रखी गई है, ऐसा इस अखबार ने अमरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा है।

अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन ने कनाडा और जर्मनी के विदेश मंत्री तथा नाटो के प्रमुख के साथ चर्चा की। इसके बाद नाटो ने, अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष के मुद्दे पर अपने सभी सदस्य देशों की इमरजेंसी बैठक बुलाई। जर्मनी ने काबुल स्थित अपने दूतावास के कर्मचारियों की संख्या कम करने का ऐलान किया। वहीं, डेन्मार्क, नेदरलँड, नॉर्वे इन युरोपीय देशों ने दूतावास बंद करने की घोषणा की।

अमरीका ने अधिकृत स्तर पर इसकी घोषणा नहीं की है। कुछ महीनों तक अफगानिस्तान में अमरीका के ३,५०० जवान तैनात थे। इनमें से काफी जवान वापस बुलाए होने की बात अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने घोषित की थी। लेकिन तालिबान ने अपना रूख काबुल की ओर करने के बाद, अमरीका तीन हज़ार मरिन्स पाकिस्तान की हवाई सीमा में से अफगानिस्तान में रवाना करनेवाली है। पाकिस्तान की हवाई सीमा का अमरीका द्वारा किया जानेवाला इस्तेमाल घातक साबित होगा, ऐसी चेतावनी पाकिस्तान के अमरीकाविरोधी और तालिबानसमर्थक दे रहे हैं।

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