सिरिया के आतंकियों में युरोपीय देशों के युवाओं का बहुत बड़ा सहभाग

कट्टरपंथियों का प्रभाव बढ़ रहा होने का दावा

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सिरिया एवं इराक़ के आतंकवादी संगठनों में शामिल होनेवाले आतंकियों में, युरोपीय देशों के युवाओं का प्रमाण बढ़ रहा होने की धक्कादायी बात सामने आयी है। ‘द इंटरनॅशनल सेंटर फॉर काऊंटर-टेररिझम’ इस अभ्यासगुट ने प्रकाशित किए हुए रिपोर्ट में से यह बात सामने आयी है। रिपोर्ट के अनुसार, युरोप के बेल्जिअम, ब्रिटन, फ़्रान्स तथा जर्मनी इन केवल ४ देशों में से ढ़ाई हज़ार से भी अधिक युवा, आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए है। उसी समय, युरोपीय संसद के सदस्यों ने, ‘युरोप में आतंकी खुलेआम घूम रहे हैं, इसके लिए महासंघ की नीतियाँ ही ज़िम्मेदार हैं’ ऐसा आरोप लगाते हुए, विदेशव्यवहार-प्रमुख के इस्तीफ़े की माँग की है।

हेगस्थित ‘द इंटरनॅशनल सेंटर फॉर काऊंटर-टेररिझम’ इस संगठन ने शुक्रवार को ‘द फ़ॉरेन फ़ायटर्स फेनॉमेनन इन द युरोपियन युनियन’ यह विशेष रिपोर्ट प्रकाशित किया। इस रिपोर्ट में, युरोपीय देशों में आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव की जानकारी दी गयी है। इराक़ तथा सिरिया स्थित आतंकवादी संगठनों में युरोपीय देशों के लगभग चार हज़ार से भी अधिक युवा शामिल हुए हैं। उनमें से २,८३८ युवा केवल इन चार देशों में से होने का खुलासा रिपोर्ट में किया गया है।

उनमें भी, फ़्रान्स से सर्वाधिक यानी ९०० युवा सिरिया तथा इराक़ स्थित आतंकवादी संगठनों मे शामिल हुए हैं। हाल ही में आतंकवादी हमले का शिकार हुए बेल्जियम से तक़रीबन ४५० युवा, आतंकवादी संगठनों में सहभागी होने के लिए सिरिया एवं आखाती देशों में गये हैं, ऐसा कहा गया। ब्रिटन एवं जर्मनी से भी लगभग डेढ़ हज़ार युवा, आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए होने की जानकारी रिपोर्ट में दी गयी है।

आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए युवाओं में से ३० प्रतिशत युवा युरोप में वापस लौटे होकर, १४ प्रतिशत युद्धभूमि पर मारे गये हैं। आतंकवादी संगठनों में शामिल होनेवालों में, १७ प्रतिशत लड़कियाँ हैं। आतंकवादी के रूप में शामिल होनेवालों में से २३ प्रतिशत युवाओं ने अपना धर्म बदला होने की जानकारी भी रिपोर्ट में दी गयी है। आतंकवादी संगठनों में शामिल होकर वापस आनेवाले युवाओं का प्रवाह रोकने की कोई भी ठोंस नीति युरोपीय देशों के पास नहीं है, ऐसी आलोचना भी रिपोर्ट में की गयी है।

इसी दौरान, युरोप में आनेवाले निर्वासितों के बढ़ते झूँड़ एवं कट्टरपंथियों का बढ़ता प्रभाव इनकी युरोपीय महासंघ के सांसदो ने कड़ी आलोचना की है। ब्रुसेल्स में हुए आतंकवादी हमले के बाद, ब्रुसेल्स का दौरा करनेवालीं, महासंघ की विदेशव्यवहार-प्रमुख फ़्रेड़रिका मॉघेरिनी के लिए, पत्रकार परिषद के दौरान अपनी भावनाओं पर काबू रख पाना संभव नहीं हुआ था। इस मुद्दे को लेकर सांसदों ने मॉघेरिनी की आलोचना की है।

‘युरोप की ‘शेन्गेन’ जैसी, मुक्त प्रवास की नीति आतंकवादियों एवं हथियारों को खुलेआम बढ़ावा देनेवाली साबित हुई है। लेकिन इस शेन्गेन को मान्यता देने में, मॉघेरिनी के साथ अन्य युरोपीय नेताओं ने अहम भूमिका निभायी है। इस कारण, ब्रुसेल्स पर जो हमला हुआ, उसके लिए उनके साथ साथ सभी युरोपीय नेता ज़िम्मेदार हैं। यदि वे इस ज़िम्मेदारी को निभा नहीं सकते, तो वे इस्तीफ़ा दे दें। लेकिन भावनाओं का प्रदर्शन करने से कट्टरपंथी एवं आतंकवादियों की मुक्त आवाजाही का रुकना संभव नहीं है। उसके लिए चाहिए कि सीमाओं पर नियंत्रण रखें’ इन शब्दों में संसद के ब्रिटीश सांसदों ने आलोचना की।

निर्वासितों के कारण युरोप में ९०० स्थानों पर सुरक्षायंत्रणाओं के लिए प्रवेश पाबंदी हंगेरियन प्रधानमंत्री का दावा

2C9E2D4300000578-0-image-a-4_1459511681765युरोपीय देशों में निर्वासितों के बढ़ते रेले पर काबू पाना सुरक्षायंत्रणाओं की भी पहुँच के बाहर गया होकर, कई इलाक़ों में तो सुरक्षायंत्रणाओं पर भी ‘प्रवेशपाबंदी’ रहने का सनसनीखेज़ दावा हंगेरी के प्रधानमंत्री व्हिक्टर ऑर्बन ने किया। युरोपीय शहरों में तक़रीबन ९०० स्थान ‘नो गो झोन्स’ बने होकर उनमें स्टॉकहोम, बर्लिन, पॅरिस एवं लंडन जैसे प्रमुख शहरों का समावेश है। हंगेरी में निर्वासितों के मुद्दे पर सार्वमत लिया जा रहा है। इस पार्श्वभूमि पर, सरकार ने एक स्वतंत्र वेबसाईट शुरू की है। उसपर प्रस्तुत किये गए रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

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