अफ़गानिस्तान में हुए आत्मघाती विस्फोटों में ३४ की मौत

काबुल – अफ़गानिस्तान के गज़नी और ज़ाबुल प्रांत में किए गए आत्मघाती बम विस्फोटों में ३१ सैनिकों समेत कुल ३४ लोग मारे गए हैं। इन हमलों में ४० से अधिक घायल हुए हैं और इनमें कुछ छोटे बच्चों का भी समावेश हैं। इन हमलों की ज़िम्मेदारी अभी किसी भी संगठन ने स्वीकारी नही हैं। लेकिन, इन हमलों में पीछे तालिबान का हाथ होने की आशंका जताई जा रही हैं। बीते सप्ताह में ही अफ़गान सुरक्षा बलों ने तालिबान के खिलाफ़ बड़ी कार्रवाई करके कई आतंकियों को ढ़ेर किया था। इसका प्रतिशोध लेने के लिए आतंकियों ने लष्करीअड्डे को लक्ष्य किया होगा, यह दावा सूत्रों ने किया हैं।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अफ़गानिस्तान में तैनात अपनी सेना हटाने का निर्णय किया हैं। इस निर्णय के अनुसार अब अमरीका के सीर्फ २,५०० सैनिक अफ़गानिस्तान में तैनात रहेंगे। ट्रम्प ने किए इस निर्णय पर अमरीका में उनके विरोधक एवं यूरोपिय देशों ने भी आलोचना की हैं। अमरिकी सेना की वापसी के बाद अफ़गानिस्तान में आतंकी हमलों में बढ़ोतरी होगी और ‘आयएस’ जैसी आतंकी संगठन इस देश पर कब्जा करेगी, यह ड़र जताया जा रहा हैं। अमरीका के एक अख़बार ने दिए वृत्त के अनुसार अमरिकी सेना ने अफ़गानिस्तान में बने अपने १० अड्डे बंद भी किए हैं।

इस पृष्ठभूमि पर रविवार के दिन हुए इन आत्मघाती हमलों के साथ ही अफ़गानिस्तान में आतंकी संगठनों की ताकत दुबारा बढ़ रही हैं, यह संकेत प्राप्त हो रहे हैं। गज़नी प्रांत में हुए हमले के दौरान आतंकियों ने रविवार सुबह के समय लष्करी अड्डे पर विस्फोटकों से भरीं ‘हमवी’ गाड़ी टकराई। इसके बाद हुए बड़े धमाके में ३१ सैनिक जगह पर ही मारे गए और २४ गंभीर रूप से घायल हुए। इन में अड्डे पर तैनात कमांड़ोज्‌ का भी समावेश होने की बात कही जा रही हैं।

इस हमले के बाद ज़ाबुल प्रांत के कलात शहर में भी आत्मघाती विस्फोट हुआ। हमलावरों ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी स्थानीय प्रशासन के प्रमुख अताजान हकबयान के दल से टकराई। इस दौरान हुए विस्फोट में तीन की मौत हुई और २० से अधिक घायल हुए। घायलों में छोटे बच्चों का भी समावेश हैं।

अमरिकी सेना ने वापसी शुरू की हैं और इसी बीच अफ़गानिस्तान की सरकार और तालिबान में हो रही शांतिवार्ता भी आगे बढ़ नही सकी हैं। इस वार्ता के दौरान अपना वर्चस्व रहें, इस इरादे से तालिबान हमलें करके दबाव बना रहा हैं, यह आरोप अफ़गान सरकार कर रही हैं। लेकिन, तालिबान ने यह आरोप ठुकराए हैं। इस शांतिवार्ता का पुख्ता हल निकालने में हो रही देरी से अफ़गान जनता को बड़ा नुकसान पहुँच रहा हैं, यही बात अफ़गानिस्तान में आतंकी हमलों में हुई बढ़ोतरी से स्पष्ट हो रही हैं।

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