आतंकी गतिविधियों को फंडिंग करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल – भारत के पास सबूत होने का ‘एनआईए’ के प्रमुख का दावा

नई दिल्ली – ‘आतंकियों को पैसों की आपूर्ति करने के लिए ‘सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म’ का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। इसके सबूत भारत ने प्राप्त किए हैं’, ऐसा ऐलान ‘एनआईए’ के महासंचालक दिनकर गुप्ता ने किया। शुक्रवार से नई दिल्ली में ‘नो मनी फॉर टेरर’ परिषद शुरू हो रही है। इसमें विश्व के ७३ देश शामिल हो रहे हैं और इनमें २० देशों के मंत्री उपस्थित रहेंगे। आतंकवाद से होने वाले खतरे और आतंकियों के आर्थिक स्रोत यह इस परिषद की चर्चा का विषय रहेगा। इस वजह से परिषद शुरू होने से पहले वार्ता परिषद में ‘एनआईए’ के महासंचालक ने यह दावा किया और इस वजह से इसकी अहमियत बनती है।

सोशल मीडियाफ्रान्स के पैरिस में साल २०१८ और साल २०१९ में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में ‘नो मनी फॉर टेरर’ का आयोजन किया गया था। इसकी तीसरी परिषद नई दिल्ली में आयोजित हो रही हैं और प्रधानमंत्री मोदी इसे संबोधित करेंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा, विदेश मंत्री एस.जयशंकर इस परिषद में मौजूद रहेंगे। इस परिषद में करीबन ७३ देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और इनमें ‘फायनान्शियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) और इंटरपोल भी शामिल होगी, यह जानकारी दिनकर गुप्ता ने साझा की। लेकिन, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान इस परिषद का हिस्सा नहीं होंगे, ऐसा गुप्ता ने कहा। इसके अलावा चीन ने अभी तक इस परिषद की उपस्थिति को लेकर जानकारी साझा नहीं की हैं, ऐसा गुप्ता ने कहा।

आतंकियों को प्रदान हो रही आर्थिक सहायता बड़ा गंभीर मुद्दा बनता है। इसके लिए हवाला रैकेट का इस्तेमाल होता हैं और उसी तरह सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स का भी इसके लिए इस्तेमाल किया जा रहा हैं। आंतकियं के लिए क्राऊड फंडिंग यानी जनता से पैसे जमा किए जाते हैं और इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल होता है, इसके सबुत भारत को प्राप्त हुए हैं, ऐसा एनआईए के प्रमुख ने कहा। नो मनी फॉर टेरर परिषद में इन सभी मुद्दों पर गहरी चर्चा होगी। इस परिषद में आयोजित चार सत्रों में शामिल हुए देश खुले माहौल में अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, ऐसा गुप्ता ने कहा।

इसी बीच, कुछ दिन पहले इंटरपोल की आमसभा और संयुक्त राष्ट्र संघ की आतंकवाद विरोधी कमेटी की बैठक भारत में आयोजित हुई ती। इसके बाद अब ‘नो मनी फॉर टेरर’ का नई दिल्ली में आयोजन किया जा रहा हैं। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनाएं आक्रामक भूमिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिसाद मिल रहा है, यही इससे दिखाई दे रहा है। इसकी गूंज सुनाई देने लगी है। आतंकवाद का प्रायोजक देश पाकिस्तान पर इसका दबाव आ रहा हैं और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठनों के सरगनों का सुरक्षा परिषद में बचाव करने वाला देश चीन भी इससे बेचैन हुआ हैं। इसी कारण से चीन ने इस परिषद में अपने समावेश के मुद्दे पर किया निर्णय अभी तक भारत से साझा नहीं किया होगा।

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