कोसोवो में आयोजित प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि पर सर्बिया के राष्ट्राध्यक्ष ने सेना को ‘हाय अलर्ट’ पर रखा

बेलग्रेड – दक्षिण यूरोप के कोसोवो में अल्पसंख्याक सर्बवंशियों ने किए प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि पर सर्बिया के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी सेना के लिए ‘हाय अलर्ट’ पर रखा है। सेना के कुछ दल सर्बिया कोसोवो सीमा की ओर रवाना करने की जानकारी देश के रक्षा मंत्री ने प्रदान की। पिछले वर्ष नवंबर और दिसंबर महीने में भी कोसोवो की सरकार ने किए निर्णय के बाद सर्बिया ने अपने हेलीकॉप्टर्स कोसोवो की सीमा के करीब रवाना किए थे। कोसोवो के मुद्दे पर यूरोप और पश्चिमी देश सर्बिया पर लगातार दबाव बना रहे हैं और राष्ट्राध्यक्ष अलेक्झांडर वुकिक ने ‘कलर रिवोल्युशन’ की कोशिश शुरू होने का बड़ा आरोप भी लगाया था।  

‘हाय अलर्ट’बाल्कन क्षेत्र के सर्बिया और कोसोवो के बीच पिछले कुछ महीनों से फिर से तनाव बढ़ रहा हैं। पिछले वर्ष कोसोवो की सरकार ने देश में सर्बियन वंशी नागरिकों के विरोध में कुछ योजनाओं की शुरुआत की थी। इसके विरोध में कोसोवो में अल्पसंख्यांक सर्बियन वंशियों ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी। सर्बियन वंशियों के प्रदर्शनों से हिंसा भी शुरू हुई थी। सर्बिया की सरकार ने कोसोवो में अपने रक्षा बल तैनात करने की मांग भी की थी।

इसके बाद अप्रैल महीने में कोसोवो की सरकार ने वर्ष २०१३ में किए समझौता तोड़कर स्थानिय स्तर पर मेयर्स के चुनाव किए। इन चुनाव का सर्बवंशी नागरिकों ने बहिष्कार किया था। इस वजह से चुनाव में अन्य वंशी मेयर्स और सदस्यों की जीत हुई। लेकिन, इन मेयर्स और सदस्यों का सर्बवंशियों ने तीव्र विरोध किया है और नए से प्रदर्शन शुरू किए हैं। कोसोवो के कुछ हिस्सों में इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस ने आक्रामक कार्रवाई की। इससे प्रदर्शन हिंसक मोड़ पर पहुंचे और वाहनों की आगज़नी एवं नुकसान पहुंचाने की घटनाएं हुई हैं।

इस वजह से उत्तर कोसोवो का माहौल तनाव से भरा हैं और सर्बिया की सरकार ने इसका गंभीरता संज्ञान लिया है। एक साल के अंदर दूसरी बार कोसोवो की सरकार ने सर्बवंशियों के विरोधी निर्णय करके उनका कार्यान्वयन भी किया है। इस वजह से सर्बवंशियों में असंतोष बढ़ रहा है और यह बड़ी हिंसा या संघर्ष में तब्दिल होने का ड़र जताया जा रहा है। इसके मद्देनज़र ही सर्बिया के राष्ट्राध्यक्ष वुकिक ने अपनी सेना को ‘हाय अलट’ पर रखा होने की बात कही जा रही है। इसी के तहत अतिरिक्त फौज भी कोसोवो की सीमा की ओर रवाना की गई है।

इस सभी मामले में यूरोपिय देश और अमरीका हमेशा से कोसोवो के पक्ष में खड़े रहे हैं। इस बार भी कोसोवो ने समझौता तोड़ने के बावजद इसपर ज्यादा कुछ प्रतिक्रिया दिए बिना यूरोपिय महासंघ ने दोनों देशों को समझदारी से तनाव खत्म करने का आवाहन किया है। पिछले वर्ष तनाव बढ़ने के बाद भी अमरीका और यूरोपिय देशों ने कोसोवो में नाटो की तैनाती बढ़ाई थी।

पिछली सदि में युगोस्लाविया बिखरने से निर्माण हुए देशों में सर्बिया, माँटेनेग्रो, बोस्निया-हर्झ्ोगोविना, नॉर्थ मैसिडोनिया और कोसोवो का समावेश होता है। कोसोवो सर्बिया से अलग होकर निकला प्रांत हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी देशों ने अभी कोसोवो को स्वीकृति प्रदान नहीं की है। इस मुद्दे पर अमरीका समेत पश्चिमी देश सर्बिया पर लगातार दबाव बना रहे हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यह दबाव अधिक बढ़ाया जा रहा है। इसी का ज़िक्र करते हुए सर्बिया के राष्ट्राध्यक्ष वुकिक ने ‘कलर रिवोल्युशन’ का आरोप लगाया था।

अमरीका ने पिछले कुछ दशकों में यूरोप में और खास तौर पर रशियन युनियन से अलग हुए देशों में तख्तापलट करने के लिए बड़ा मोर्चा खोला था। विपक्ष एवं छात्र, स्वयंसेवी गुट और युवा संगठनों के माध्यम से विभिन्न प्रदर्शन शुर किए गए। झेकोस्लोव्हाकिया, यूगोस्लाविया, यूक्रेन, जॉर्जिया, आर्मेनिया, किरगिझस्तान जैसे देशों में हुकूमतों के विरोधी प्रदर्शन आयोजित करके सत्ता परिवर्तन किया गया। यह प्रदर्शन ‘कलर रिवोल्युशन’ के नाम से जाने जाते है। इसमें अमरिकी प्रशासन एवं गुप्तचर यंत्रणाओं का हाथ होने की बात स्पष्ट हुई हैं। अमरीका के कुछ पूर्व अधिकारी एवं नेताओं ने इसे कबूल भी किया था।

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