कोझिकोड भाग-५

कोझिकोड भाग-५

  सात वर्ष की आयु में कलरि में यानि कि ‘कलरिपयट्टु’ का प्रशिक्षण देनेवाली पाठशाला में दाखिल होनेवाला छात्र सबसे पहले दाहिना कदम भीतर रखकर प्रवेश करता था, ऐसा पढने में आता है। अब ज़ाहिर है कि वह छात्र कलरि में किसी पवित्र दिन या नये सत्र के आरम्भ में दाखिल होता था। कलरि में […]

Read More »

कोझिकोड भाग-४

कोझिकोड भाग-४

केरल की भूमि को कुदरत ने भरपूर सुन्दरता प्रदान की है। घने हरे जंगल और नीला जल इनका तो इस भूमि के साथ अटूट रिश्ता है। ऐसी इस केरल की भूमि में प्राचीन समय में कुछ ऐसी सांस्कृतिक धरोहरों का निर्माण हुआ कि आज वे सांस्कृतिक धरोहरें सारे भारतवर्ष का गौरवस्थान बन गयी हैं। इनमें […]

Read More »

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ६२

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ६२

जिसे हरिनाम का आलस। बाबा भी रहते उससे दूर। कहते व्यर्थ ही रोहिले को क्यों परेशान करते हो। भजन की आदत जिसे॥ (जयासी हरिनामाचा कंटाळा। बाबा भीती तयाच्या विटाळा। म्हणती उगा कां रोहिल्यास पिटाळा। भजनीं चाळा जयातें॥) रोहिले की कथा के संदर्भ में हमने पिछले भाग में नाम एवं नामस्मरण के संबंध में देखा। परमात्मा का […]

Read More »

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ६०

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ६०

मानव अर्थात बुद्धि, मन एवं शरीर इन तीनों का संयोग। मन एवं बुद्धि ये दो तत्त्व हरएक मनुष्य के पास होता ही है। बुद्धिी, मन एवं शरीर का यह त्रैराशिक मानव का जीवन चलाते रहता है मात्र मानव का मन चलाने में मन एवं बुद्धी ये दोनों की जोड़ी (ही द्वयी) अगुआई (अग्रेसर) होती हैं। […]

Read More »

तिरुचिरापल्ली भाग-५

तिरुचिरापल्ली भाग-५

जिस गर्भगृह में शेषशायी भगवान विष्णु यानि ‘श्रीरंगनाथजी’ विराजमान हैं, उसका विमान स्वर्ण से बना हुआ है। श्रीरंगनाथजी के गर्भगृह के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका स्वर्ण से बना विमान यह ॐकार का प्रतीक है। इस विमान पर जो चार कलश हैं, वे चार वेदों के प्रतीक हैं और मंदिर के […]

Read More »

नेताजी-१२७

नेताजी-१२७

सुभाषबाबू के विदेशगमन की तैयारी आहिस्ता आहिस्ता, किसी को भनक तक न लगने देते हुए चल रही थी। अब शिशिर अपनी वाँडरर गाड़ी लेकर बराड़ी तक भी जाकर लौट आया था। उसने एक्स्ट्रॉ टायर भी ख़रीदा था। ‘उस’ रात को पुलीस की नज़र में न आयें, इसलिए आजकल वह हररोज़ रात को वाँडरर लेकर निकलता […]

Read More »

बीकानेर भाग – १

बीकानेर भाग – १

गगन में से आग बरसाता सूरज और पैरों तले दूर दूर तक फैला हुआ गरम रेत का सागर! तो आइए! आज इस रेत के सागर की यानि कि रेगिस्तान की सफ़र करने निकलते हैं। इस वर्णन से आप यह समझ ही गये होंगे कि आज हम सफ़र करने निकले हैं, राजस्थान की। जी हाँ! आपका […]

Read More »

हृदय एवं रक्ताभिसरण संस्था- ३१

हृदय एवं रक्ताभिसरण संस्था- ३१

हम ने इसेंसियल हायपरटेंशन की जानकारी प्राप्त की। इसके बारे में और थोड़ी जानकारी हम प्राप्त करते हैं। उच्च रक्तदाबवाले लगभग ९० से ९५.५ लोगों में इस विकार के मूल कारण का पता ही नहीं चलता। फिर भी यह बीमारी एक गंभीर विकार है। सामान्य लोगों में इसकी अनभिज्ञता काफी दिखायी देती है। कई बार […]

Read More »

शालिहोत्र अश्वविद्यापारंगत

शालिहोत्र अश्वविद्यापारंगत

आवागमन के लिए घोड़े का उपयोग आजकल केवल पर्वतीय स्थानों पर ही विशेष तौर पर होता हुआ दिखाई देता है। इसके अलावा सर्वसामान्यों के जीवन में घोड़े का प्रवास कम ही हो गया है। ऐसे में फौजी टुकड़ियों के लिए अथवा पर्यटकों के मनोरंजन के लिए, किसी सर्कस में या प्रतियोगिता के मैदान में घोड़ों […]

Read More »

त्रिचूर भाग २

त्रिचूर भाग २

‘वदक्कुंनाथन’ के यानि कि साक्षात् भगवान शिव के मन्दिर के इर्दगिर्द बसे इस त्रिचूर शहर की स्थिति कुछ शतकों पूर्व का़फ़ी दुर्लक्षित हो चुकी थी। उस समय इस वदक्कुंनाथन मन्दिर के चारों ओर का़फ़ी घना जंगल बढ़ चुका था और उसमें सागौन के का़फ़ी पेड़ थे। ‘सक्थन थंपुरन’ राजा ने इस जंगल की कटाई कर […]

Read More »