अरब देशों को दोष दे रहे पैलेस्टिनी नेताओं के सौदी ने खिंचे कान

रियाध/गाझा – पैलेस्टिनी नेताओं ने बीते ७० वर्षों में इस्रायल से बातचीत करने के कई अवसर खोए हैं। इस दौर में पैलेस्टिनी नेताओं ने सौदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इजिप्ट एवं अरब देशों से बड़ी सहायता स्वीकारी है। लेकिन, अब यही पैलेस्टिनी नेता सौदी का शत्रू देश बने ईरान और तुर्की की सहायता से सौदी एवं अन्य अरब देशों को दोष दे रहे हैं। पैलेस्टिन के मुद्दे पर नाकाम हुए इन पैलेस्टिनी नेताओं का अरब देशों को दोष देना बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा, ऐसी तीखी आलोचना सौदी अरब के पूर्व प्रमुख गुप्तचर प्रिन्स बंदार बिन सुलतान बिन अब्दुलअझीझ ने की है। प्रिन्स बंदार द्वारा पैलेस्टिनी नेताओं पर की हुई इस आलोचना पर अरब देशों में अलग अलग प्रतिक्रिया व्यक्त हो रही है।

सौदी अरब के अमरीका में नियुक्त पूर्व राजदूत, सौदी की गुप्तचर यंत्रणा के पूर्व प्रमुख एवं सौदी के शाही परिवार के प्रभावी व्यक्ति के तौर पर जाने जा रहे प्रिन्स बंदार बिन सुलतान ने कुछ दिन पहले एक अरब समाचार चैनल को साक्षात्कार दिया। इस साक्षात्कार के मुद्दे अलग अलग समय पर प्रसिद्ध हुए हैं और इसमें प्रिन्स बंदार ने पैलेस्टिनी नेताओं पर प्रहार किया है। पैलेस्टिन के लिए जारी लड़ाई पूरी तरह से न्याय है। लेकिन, पैलेस्टिनी नेता इस लड़ाई में हमेशा नाकाम हुए हैं, यह आरोप प्रिन्स बंदार ने रखा है। बीते ७० वर्षों में पैलेस्टिन की लड़ाई के लिए सौदी ने हमेशा ही पैलेस्टिनी नेताओं को आर्थिक एवं राजनीतिक सहायता प्रदान की थी। लेकिन, पैलेस्टिनी नेताओं ने हमेशा सौदी से आर्थिक सहायता स्वीकारी है और राजनीतिक सहायता और सलाह अनदेखी की है, ऐसी तीखी आलोचना प्रिन्स बंदार ने की है।

वर्ष १९४८ के बंटवारे का प्रस्ताव और वर्ष १९७९ के कैम्प डेविड का समझौता, दोनों घटनाओं के समय स्वतंत्र पैलेस्टिन के मसले का हल निकाला जा सकता था। लेकिन, पैलेस्टिन के नेताओं ने इस्रायल के साथ बातचीत करने से इन्कार करने से इस्रायल को वेस्ट बैंक में अपनी बस्तियों का निर्माण करना आसान हुआ, यह कहकर प्रिन्स बंदार ने पैलेस्टिनी नेताओं को आड़े हाथों लिया। पैलेस्टिन के पूर्व नेता यासेर अराफत ‘कैम्प डेविड’ का समझौता स्वीकार ने का साहस नहीं रखते थे, यह बयान भी प्रिन्स बंदार ने किया। साथ ही इन ७० वर्षों के दौर में पैलेस्टिनियों ने मर्यादा छोड़कर हरकतें की, इसका समर्थन करना संभव नहीं था। फिर भी सौदी ने पैलेस्टिन के किसी भी गुट के विरोध में जाए बिना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका समर्थन ही किया, यह कहकर सौदी के प्रिन्स ने हमास, इस्लामिक जिहाद एवं अन्य पैलेस्टिनी आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर नाराज़गी व्यक्त की हुई दिख रही है।

महीने पहले इस्रायल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए ‘अब्राहम समझौते’ पर पैलेस्टिन के नेताओं ने व्यक्त की हुई तीखी प्रतिक्रिया पर भी प्रिन्स बंदार ने आलोचना की। इस समझौते का विरोध करने के लिए पैलेस्टिनी संगठनों ने रास्तों पर उतर कर ‘यूएई’ के क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन ज़ईद के फोटो भी जलाए थे। साथ ही इस्रायल के साथ समझौता करके ‘यूएई’ ने पैलेस्टिनियों की पीठ में खंज़र भोंका है, ऐसी आलोचना पैलेस्टिनी नेताओं ने की थी। पैलेस्टिन की लड़ाई के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की उम्मीद रखनेवाले नेताओं ने अरब देशों के नेतृत्व के विरोध में इस तरह की हीन स्तर की भाषा का प्रयोग करने की उम्मीद ना होने का अहसास प्रिन्स बंदार ने कराया है।

पैलेस्टिनी नेताओं ने अरब देशों से प्राप्त हो रही सहायता गृहीत पकड़ी है। अरब देशों से आर्थिक सहायता प्राप्त करनवाले पैलेस्टिनियों ने सौदी और अरब देशों को धमका रहे ईरान और तुर्की से हाथ मिलाया है। इस वजह से हम सौदी, सौदी के नेतृत्व या अन्य अरब देशों के नेतृत्व के लेकर कितने भी गलत बयान करें तब भी कुछ भी असर नहीं होगा, इस गलतफहमी में ना रहें, ऐसी कड़ी चेतावनी भी प्रिन्स बंदार ने दी है। प्रिन्स बंदार के बयानों पर पैलेस्टिन में दबी आवाज़ में आलोचना हो रही है। गाज़ा पट्टी के हमास प्रमुख इस्माईल हनिया ने सौदी का ज़िक्र करने से बचकर पैलेस्टिन की लड़ाई से बेईमानी करनेवाले अरब देशों को माफ नहीं किया जाएगा, यह धमकी दी है। तभी प्रिन्स बंदार की यह आलोचना यानी इस्रायल और यूएई-बहरीन के समझौते को सौदी का समर्थन होने के संकेत देनेवाली हैं, यह दावा वेस्ट बैंक में स्थित फताह के नेता कर रहे हैं।

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