सऊदी अरब की सेना के प्रमुख भारत दौरे पर

नई दिल्ली – सऊदी अरब की सेना के प्रमुख लेफ्टनंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल मुतैर भारत दौरे पर दाखिल हुए हैं। सऊदी के सेनाप्रमुख ने भारत का किया यहा पहला दौरा है। वर्ष २०२० में भारत के सेनाप्रमुख जनरल मुकुंद नरवणे सऊदी के दौरे पर गए थे। इसके बाद दोनों देशों का सहयोग स्थापित हुआ, ऐसा माध्यमों का कहना था। सऊदी के सेनाप्रमुख का यह भारत दौरा दोनों देशों के रक्षा संबंधित एवं सैनिकी सहयोग अधिक व्यापक करेगा, यह बयान भारतीय सेना ने किया है।

सेना के प्रमुखसऊदी अरब फिलहाल येमन के युद्ध में व्यस्त है। साथ ही खाड़ी क्षेत्र की अस्थिरता का सऊदी अरब की सुरक्षा पर असर होता स्पष्ट दिख रहा है। ऐसें में सऊदी अरब के नेतृत्व पर अमरीका का बायडेन प्रशासन नाराज़ है और सऊदी के लिए दी जा रही हथियारों की सहायता रोकने का निर्णय बायडेन प्रशासन ने किया है। येमन के विद्रोहियों से तीव्र संघर्ष जारी होते समय, बायडेन प्रशासन का यह असहयोग सऊदी के लिए घातक साबित हो सकता है। इसी के साथ, अमरीका ईरान से परमाणु समझौता करके इस्रायल और सऊदी एवं यूएई इन खाड़ी के देशों की सुरक्षा को अधिक ही खतरे में धकेल रही है, ऐसीं खबरें भी प्राप्त हो रही है।

ऐसी स्थिति में सऊदी, यूएई और खाड़ी के अन्य देशों ने भी भारत के साथ रक्षा सहयोग मज़बूत करने का रणनीतिक निर्णय किया है। इस सहयोग की नींव भारतीय सेनाप्रमुख जनरल नरवणे की २०२० की सऊदी यात्रा में रखी गई। इसके बाद के दिनों में दोनों देशों का रक्षा सहयोग अधिक मज़बूत हुआ था। पिछले साल भारत और सऊदी की नौसेना ने अल मोहेद-अल हिंदी नामक संयुक्त युद्धाभ्यास किया था। सऊदी की समुद्री सीमा में इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया था। साथ ही गुप्त जानकारी का आदान-प्रदान, आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयाँ, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने का ऐलान भारत और सऊदी ने किया था।

लेफ्टनंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल मुतैर के इस भारत दौरे में यह सहयोग अधिक गतिमान होगा, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं। सऊदी अरब भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की तैयारी मे होने के दावे किए जा रहे हैं। ब्रह्मोस एवं आकाश हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद करके, सऊदी अरब अमरीका की पैट्रियॉट हवाई सुरक्षा यंत्रणा के लिए विकल्प तैयार करने की तैयारी जुटा रहा है। अमरीका ने सऊदी में तैनात पैट्रियॉट हवाई सुरक्षा यंत्रणा की कुछ बैटरीज्‌ हटाईं थीं। येमन के विद्रोही सऊदी की राजधानी तक मिसाइल्स एवं रॉकेटस्‌ का हमला कर रहे हैं और ऐसें में सऊदी को भरोसेमंद हवाई सुरक्षा यंत्रणा की आवश्‍यकता है।

ऐसी स्थिति में भारत के साथ रक्षा सहयोग स्थापित करके सऊदी ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल्स की खरीद कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो भारत के हथियारों की निर्यात को बड़ी गति प्राप्त होगी। यह सहयोग आगे के दिनों में अधिक व्यापक हो सकता है। क्योंकि, सऊदी अरब हथियारों की सबसे अधिक खरीद करनेवाले देश के तौर पर आगे आ रहा हैं। ऐसी स्थिति में भारत के सऊदी के साथ जारी रक्षा संबंधित सहयोग को बड़ी रणनीतिक अहमियत प्राप्त हुई है। भारत को ईंधन की सबसे अधिक आपूर्ति सऊदी ही करता है। साथ ही, भारत में करीबन १०० अरब डॉलर्स का निवेश करने का ऐलान सऊदी ने पहले ही किया था। इसके अलावा लाखों भारतीय कामगार सऊदी अरब में काम कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति में सऊदी अरब के साथ भारत का रक्षा सहयोग व्यापक हो रहा है। यह खाड़ी क्षेत्र में भारत का प्रभाव अधिक बढ़ानेवाली बात साबित होगी।

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