समय की करवट (भाग ८१) – व्हिएतनाम युद्ध : रसायन ‘शस्त्र’

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं।

इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे हैं।
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‘यह दोनों जर्मनियों का पुनः एक हो जाना, यह युरोपीय महासंघ के माध्यम से युरोप एक होने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। सोव्हिएत युनियन के टुकड़े होना यह जर्मनी के एकत्रीकरण से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है; वहीं, भारत तथा चीन का, महासत्ता बनने की दिशा में मार्गक्रमण यह सोव्हिएत युनियन के टुकड़ें होने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है।’
– हेन्री किसिंजर
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इसमें फिलहाल हम पूर्व एवं पश्चिम ऐसी दोनों जर्मनियों के विभाजन का तथा एकत्रीकरण का अध्ययन कर रहे हैं।

यह अध्ययन करते करते ही सोव्हिएत युनियन के विघटन का अध्ययन भी शुरू हो चुका है। क्योंकि सोव्हिएत युनियन के विघटन की प्रक्रिया में ही जर्मनी के एकीकरण के बीज छिपे हुए हैं, अतः उन दोनों का अलग से अध्ययन नहीं किया जा सकता।

सोविएत युनियन का उदयास्त-४१

व्हिएतनाम युद्ध तो ख़त्म हुआ, लेकिन इस युद्ध से संबंधित कई कथाएँ/दंतकथाएँ पश्‍चात्समय में उजागर होने लगीं| उन्हीं में से एक यानी ‘अमरीका ने सन १९६१ से ७० के दशक में व्हिएतनामी भूमि पर ज़हरीले रसायनों का प्रयोग किया होने का’ वृत्त!

व्हिएतनाम युद्ध में अमरिकी सेना के साथ गुरिला युद्धतंत्र से लड़नेवाली हो ची मिन्ह के विद्रोही कम्युनिस्ट सेना के छिपने की जगह, अर्थात् व्हिएतनामस्थित घने जंगल, उन्हें नष्ट करने के लिए अमरीका द्वारा इस जंगलक्षेत्र में इस प्रकार ज़हरिले रसायन के फ़ौआरे मारे गये|

इस दशक में हो ची मिन्ह की कम्युनिस्ट विद्रोहियों की सेना अमरिकी सेना के खिलाफ़ गुरिला युद्धतंत्र का उपयोग करते समय छिपने के लिए वहॉं के घने जंगलों का इस्तेमाल करती थी| उसपर उपाय के तौर पर अमरिकी सेना द्वारा यह ‘ऑपरेशन रँच हँड’ यानी इन विद्रोहियों की छिपने के लिए पनाह लेने की जगह यानी जंगल कम करने के लिए, जंगल में होनेवाली घनी झाड़ी नष्ट करने के लिए हवाई जहाज़ों से ‘एजंट ऑरेंज’ इस ज़हरीले रसायन को जंगलों पर फुहारने का तय किया गया| इन नौं-दस सालों में तक़रीबन ८ करोड़ लिटर्स रसायन व्हिएतनाम के जंगलों पर फुहारा होने की जानकारी सामने आयी है| लेकिन अमरीका ने अधिकृत रूप में उसकी स्वीकृति नहीं की है|

उसका प्रत्यक्ष परिणाम शायद हुआ हों-या न भी हुआ हों, मग़र उसका अप्रत्यक्ष परिणाम व्हिएतनाम की जनता को, ख़ासकर ये रसायन फुहारनेवाले हवाई जहाज़ जिस दानांग हवाई अड्डे पर रखे गये थे उसके आसपास की जितनी जनता इस युद्ध में बची, उसे और बाद की सारी पीढ़ियों को भुगतना पड़ा|

शारीरिक-मानसिक अपाहिजता, कॅन्सर जैसीं दुर्धर बीमारियॉं, शारीरिक-मानसिक अपाहिजता होनेवालें बच्चों का जन्म होना ऐसी आपत्तियों का सामना व्हिएतनाम को करना पड़ा| व्हिएतनाम की सरकारी यंत्रणाओं ने प्रकाशित किये आँकड़ों के अनुसार लगभग ३० लाख व्हिएतनामी नागरिकों को युद्धकाल में इस ‘डायॉक्सिन’ (यह आधुनिक विज्ञान को ज्ञात होनेवाले सर्वाधिक ज़हरीले रसायनों में से एक है) श्रेणि के रसायन का सामना करना पड़ा, जिनमें से १० लाख लोग अभी तक किसी न किसी शारीरिक या मानसिक पीड़ा का-अपाहिजता का, दुर्धर बीमारियों का सामना कर रहे हैं| पश्‍चात्समय में कुछ न कुछ शारीरिक-मानसिक अपाहिज़ता लेकर ही जन्मे तक़रीबन डेढ़ लाख बालकों का भी इनमें समावेश है| वैसे यह रसायन प्राकृतिक तौर पर अत्यल्प मात्रा में दुनियाभर में ही पाया जाता है| लेकिन संशोधकों के अलग अलग अभ्यासगुटों ने कई साल संशोधन करने के बाद जब इस इलाक़े में होनेवाली इस रसायन की भारी मात्रा ध्यान में आयी (आम स्तर के लगभग ४०० गुना) तब वह सुराग पकड़कर संशोधन की शुरुआत की और फिर ये धक्कादायी निष्कर्ष सामने आये|) लेकिन इस रसायन की पायी गयी प्रचंड मात्रा और ये बीमारियॉं इनमें उपरी तौर पर तो कोई संबंध है ऐसा सिद्ध नहीं हुआ है, ऐसा कहकर अमरीका ने इस बात की ज़िम्मेदारी झटकने की कोशिश की|

लेकिन उसी समय, इस युद्ध में सहभागी हुए अमरिकी सैनिकों में से जिन्हें, इस रसायन के संपर्क में आने के कारण विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ा, उन्हें तो अमरिकी सरकार की ओर से भारी मुआवज़ा दिया गया| मग़र ‘व्हिएतनाम युद्ध’ यह एक क़िस्म से हमारी हार है, ऐसी चुभन मन में चुभती हुई अमरीका ने, इस मामले में व्हिएतनामी जनता के दावों को नकार दिया| इस घातक रसायन की व्हिएतनाम में पायी गयी इतनी बड़ी मात्रा और व्हिएतनामी जनता को हुईं व्याधियॉं इनका परस्परसंबंध होने की बात की पुष्टि करने के लिए अमरीका तैयार ही नहीं थी|

इस युद्ध के नज़दीकी भविष्य में दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ शत्रुत्व की भावना ही रखे हुए थे और लगभग दो दशक उनके बीच राजनैतिक संबंध नहीं थे| क्योंकि राजनैतिक संबंध पूर्ववत् होने के लिए व्हिएतनाम की मुख्य शर्त ‘युद्ध-नुकसान-मुआवज़ा’ यह थी, जो अमरीका को कतई मान्य नहीं थी|

पश्‍चात्समय में अमरीका द्वारा सन १९९५ में व्हिएतनाम के साथ राजनैतिक संबंध प्रस्थापित किये गये, अमरिकी कंपनियों को व्हिएतनाम के साथ कारोबार करने की भी अनुमति दी गयी| भरपूर आर्थिक सहायता भी दी गयी| दुर्धर बीमारियॉं हो चुकीं व्हिएतनामी जनता के पुनर्वास के लिए अमरीका द्वारा आर्थिक-वैद्यकीय पॅकेजेस भी दी गयीं, लेकिन उनके साथ – ‘फिर चाहे उनकी बीमारियों की वजहें कुछ भी हों’ ऐसा टॅग जोड़ा गया| लेकिन किसी भी हालत में अधिकृत रूप में उसे ‘युद्ध-नुकसान-मुआवज़ा’ संबोधित करने के लिए अमरीका तैयार नहीं थी|

इस प्रकार हालॉंकि व्हिएतनाम युद्ध ख़त्म हुआ, फिर भी व्हिएतनामी जनता उसके परिणामों में झुलसती ही रही| इस युद्ध में व्हिएतनाम के लगभग सभी युवा और वृद्ध नागरिक मौत के घाट उतार दिये गये थे, लाखों लोग लापता हो चुके थे, जो कभी वापस लौटे ही नहीं| अचानक व्हिएतनाम की औसत राष्ट्रीय उम्र ‘छोटी’ हो चुकी थी!

वहॉं की खेती पूरी तरह नष्ट हो चुकी थी| उसीमें अकाल ने अपना असर दिखाने की शुरुआत की थी| इसपर उपाय के तौर पर – अमरिकी सेना वहीं पर पीछे छोड़ गये हुए अनगिनत शस्त्र-अस्त्र – उनमें से जो अच्छी स्थिति में थे, उन्हें अन्य ग़रीब देशों को बेचकर और जो नादुरुस्त थे उन्हें स्क्रॅप में बेचकर – व्हिएतनाम ने उस दौर में गुज़ारा किया| उसके बाद देश के कुछ भागों में जब खेती पूर्ववत् हुई, तब वहॉं विभिन्न प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाते हुए और उसे आंतर्राष्ट्रीय मार्केट रेट से बहुत ही कम दामों में बेचकर व्हिएतनाम ने गुज़ारा किया|

ख़ैर! अब १९७० का दशक शुरू हुआ था और आंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति ने भी अलग मोड़ ले लिया था| दूसरे विश्‍वयुद्ध के पश्‍चात् आज़ाद हुए भारत जैसे कई देशों ने प्रगतिपथ पर चलना आरंभ किया था|

इसे मद्देनज़र रखते हुए ही ‘कोल्ड वॉर’ की स्ट्रॅटेजी भी धीरे धीरे बदलती गयी|

(ता.क. – व्हिएतनाम में अभी तक बड़े पैमाने पर पाये जानेवाले ‘एजंट ऑरेंज’ इस घातक रसायन के अवशेष स्वखर्चे से नष्ट करा देने की तैयारी सन २०१२ में अमरीका ने दिखायी थी और उसके लिए ४३ मिलियन डॉलर्स का पॅकेज घोषित किया था| लेकिन अभी भी इसे ‘युद्ध-नुकसान-मुआवज़ा’ कहने के लिए अमरीका तैयार नहीं है| व्हिएतनाम में पायी जानेवाली इस रसायन भारी मात्रा और व्हिएतनामी जनता को हुईं ये बीमारियॉं इनके बीच वास्तविक रूप में कुछ भी संबंध अबतक साबित नहीं हुआ है, ऐसी टिप्पणी जोड़ते हुए, ‘यह अमरीका केवल ‘मानवता के दृष्टिकोण से’ कर रही है’ ऐसा अमरीका का दावा है| लेकिन अमरीका अचानक यह जो व्हिएतनाम पर कृपादृष्टि दिखा रही है, वह किसी पश्‍चात्ताप के चलते या मानवता के दृष्टिकोण से नहीं; बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया में, ख़ासकर ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में चीन के बढ़ते कारनामों को मात देने हेतु स्थानिक ‘मित्र’ निर्माण करने के लिए अमरीका इस पुरानी ‘शत्रुता’ को भूलने के लिए तैयार हो रही है, ऐसा दावा आंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विश्‍लेषक कर रहे हैं|)

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