समय की करवट (भाग ७७) – व्हिएतनाम वॉर – पूर्वरंग

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं।

इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे हैं।
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‘यह दोनों जर्मनियों का पुनः एक हो जाना, यह युरोपीय महासंघ के माध्यम से युरोप एक होने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। सोव्हिएत युनियन के टुकड़े होना यह जर्मनी के एकत्रीकरण से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है; वहीं, भारत तथा चीन का, महासत्ता बनने की दिशा में मार्गक्रमण यह सोव्हिएत युनियन के टुकड़ें होने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है।’
– हेन्री किसिंजर
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इसमें फिलहाल हम पूर्व एवं पश्चिम ऐसी दोनों जर्मनियों के विभाजन का तथा एकत्रीकरण का अध्ययन कर रहे हैं।

यह अध्ययन करते करते ही सोव्हिएत युनियन के विघटन का अध्ययन भी शुरू हो चुका है। क्योंकि सोव्हिएत युनियन के विघटन की प्रक्रिया में ही जर्मनी के एकीकरण के बीज छिपे हुए हैं, अतः उन दोनों का अलग से अध्ययन नहीं किया जा सकता।

सोविएत युनियन का उदयास्त-३७

किसिंजर के इस उपरिनिर्दिष्ट विधान में वर्णित सोव्हिएत युनियन के उदयास्त को हम इतनी बारिक़ी से देख रहे हैं, क्योंकि भारत के स्वतन्त्रतापश्‍चात् के काफ़ी लंबे अरसे तक, भारत को इस ‘कोल्ड वॉर’ को मद्देनज़र रखकर ही अपनी नीतियाँ बनानी पड़ीं थीं। (इस ‘कोल्ड वॉर’ के दरअसल इतने पहलू, इतनी परतें हैं कि हम उनमें से चन्द कुछ मुद्दों को केवल थोड़ासा स्पर्श करके ही आगे जा रहे हैं। ख़ैर!)

सोव्हिएत रशिया का कम्युनिस्टबंधु चीन सोव्हिएत से दूर जाने की प्रक्रिया धीरे धीरे शुरू हुई थी। लेकिन चीन की उस समय की ताकत देखते हुए सोव्हिएत को इससे परेशान होने की कोई वजह नहीं थी। पूँजीवादी अमरीका को दुनिया की सर्वोच्च सत्ता न होने देने का ध्येय हावी हो चुके सोव्हिएत, अमरीका के साथ के ‘कोल्ड वॉर’ में ही इतने उलझ गये थे कि इस घटनाक्रम की उनके लिए तत्कालीन कोई भी अहमियत नहीं थी।

….और फिर इस कोल्डवॉर का अगला ‘एपिसोड’ आया – ‘व्हिएतनाम वॉर’!

यह व्हिएतनाम युद्ध दरअसल बहुत पहले से चल रहा था….लेकिन सन १९६५ में अमरीका की उसमें एन्ट्री हो जाने के बाद वह इस ‘कोल्ड वॉर’ का हिस्सा बन गया। कैसे, यह जानने के लिए हमें उसकी थोड़ीसी पूर्वपीठिका (बॅकग्राऊंड) देखनी होगी।

ईसवी सन से पहले से लगभग हज़ार वर्ष व्हिएतनाम पर विभिन्न चिनी राजघरानों की सत्ता थी। ईसवी दसवीं सदी में, राष्ट्रीय भावना जागृत होनेवाले कुछ सरदारों ने चिनी सेना के साथ घमासान युद्ध करने के बाद व्हिएतनाम चिनी सत्ता के अमल में से बाहर आया था। बाद में दिनबदिन उसका विकास ही होता गया। बीच में एकाद-दो बार फिर से थोड़ी थोड़ी कालावधि के लिए चिनी सम्राट के अमल में रहने के बाद व्हिएतनाम पुनः आज़ाद हो गया था।

लेकिन इसी दौरान फ़्रेंचों ने वहाँ चंचुप्रवेश किया था। फ़्रेंच सेना ने कई बार आक्रमण करने के बाद १९वीं सदी के मध्य के बाद वह फ्रेंचों का उपनिवेश बना। लेकिन उस समय उसका नाम ‘व्हिएतनाम’ न होकर उस प्रदेश को ‘इन्डो-चायना’ बुलाते थे। रबर के बागान, गृहनिर्माण उद्योग आदि के लिए सस्ते में मज़दूर पो के लिए उन्होंने उस इन्डो-चायना का इस्तेमाल कर लिया। उसके बाद बीच बीच में स्थानिक जनता से व्हिएतनाम को आज़ादी बहाल करने की माँगें बढ़ती गयीं, कुछ छोटीं-मोटीं बग़ावतें भी हुईं, जिन्हें कुचल दिया गया।

बीच के समय में दूसरा विश्‍वयुद्ध शुरू हुआ और उसमें सन १९४० की लड़ाई में नाझी जर्मनी द्वारा फ़्रान्स को परास्त कर दिया गया। तब जर्मनी की शर्त के अनुसार पूर्वी एशियास्थित यह फ़्रेंच उपनिवेश फ़्रान्स को, इस युद्ध में जर्मनी के पक्ष में पूर्वी एशिया क्षेत्र में लड़नेवाले जापान को हस्तांतरित कर देना पड़ा। लेकिन उस समय पॅरिस में अक्षराष्ट्र-परस्त ‘विची फ़्रेंच’ सरकार सत्ता में बिठायी गयी थी। यानी व्हिएतनाम के उस दौर के राज्यकर्ता यानी पॅरिसस्थित फ़्रेंच सरकार, यह एक दृष्टि से जापान का इस युद्ध में सहयोगी ही था। इस कारण जापानी सेना ने व्हिएतनामस्थित फ़्रेंच सेना को वहाँ से निकाल बाहर न करते हुए, उस समय विद्यमान स्थानिक शासनव्यवस्था को वैसे ही बरक़रार रहने दिया, लेकिन उसपर नियंत्रण जापान का ही रहा।

फ़्रेंचों को और उसके बाद के इस जापानी आक्रमण को वास्तविक चुनौती दी, वह कम्युनिस्ट विचारधारा के ‘हो चि मिन्ह’ इस व्हिएतनामी क्रांतिकारी नेता ने!

विभिन्न विदेशी शासकों के चंगुल से व्हिएतनाम को आज़ाद कर ‘डेमोक्रॅटिक रिपब्लिक ऑङ्ग व्हिएतनाम’ की स्थापना करने में ‘हो-चि-मिन्ह’ इनका सबसे अहम हिस्सा था।

सन १९४१ में फ़्रेंच कॉलोनिझम के खिलाफ़ और अब जापानी आक्रमण के खिलाफ़ व्हिएतनाम में ‘हो चि मिन्ह’ के नेतृत्व में ‘व्हिएत मिन्ह’ इस आन्दोलन की शुरुआत हुई। इस आन्दोलन को अमरीका ने और चँग-कै-शेक के नेतृत्व में होनेवाली चिनी सरकार ने जापान के खिलाफ़ लड़ने के लिए खुले हाथों सहायता की। लेकिन चँग-कै-शेक यह अमरीका-परस्त होने के कारण और अमरीका के समर्थन पर ही सत्ता में होने के कारण उसे भी कम्युनिस्टों से घिन थी। बीच के समय में उसने, कम्युनिस्ट होने के शक़ पर हो चि मिन्ह को एक साल के लिए जेल में भी रखा था।

व्हिएतनाम पर ज़ुल्म से कब्ज़ा कर पहले ङ्ग्रेंच और फिर जापानी शासकों ने इस व्हिएतनामी राजा को – सम्राट बाओ-दाई को – राजगद्दी पर बिठाकर उसकी आड़ में खुद ही अप्रत्यक्ष रूप में राज किया।

आगे चलकर मार्च १९४५ के आसपास, जर्मनी विश्‍वयुद्ध में हार जाने के बाद फ़्रान्स पर होनेवाला जर्मनी का नियंत्रण ख़त्म हुआ। अब इस इंडोचायनास्थित फ़्रेंच प्रशासन ने इस नयी फ़्रेंच सरकार के साथ गोपनीय रूप में संधान बाँधना शुरू किया। इस बात की भनक लग जाते ही जापान ने मार्च १९४५ में फ़्रेंच सेना को ही व्हिएतनाम में से निकाल बाहर कर दिया। लेकिन स्वयं राज न करते हुए जापान ने, फ़्रेंच आने से पहले और फ्रेंच थे तब भी, उनके सहमति से जो व्हिएतनाम पर राज कर रहा था, उस ‘बाओ-दाई’ नाम के राजा को ही पुनः वहाँ सम्राट बनाकर वहाँ उनके हाथों की कठपुतली होनेवाली सरकार लायी और उस देश को ‘एम्पायर ऑफ़ व्हिएतनाम’ घोषित किया।

लेकिन गत चार साल चल रहे उस सत्ता हस्तांतरण के क्रियाकलापों में, आम व्हिएतनामी जनता ही झुलस रही थी! दोनों देशों की सेनाओं ने अपने लिए व्हिएतनाम के संसाधनों को भारी मात्रा में लूट लिया था। जापान ने तो केवल व्हिएतनाम में तैनात अपने सैनिकों के लिए ही नहीं, बल्कि एशिया में अन्य मोरचों पर लड़नेवाले अपने सैनिकों के लिए भी व्हिएतनाम से ही अनाज की आपूर्ति की। उसीके साथ आये अकाल ने व्हिएतनामी जनता की कमर ही तोड़ दी। इस कालखंड में तक़रीबन १० से २० लाख व्हिएतनामी नागरिक भूख़मरी से मर गये ऐसा कहा जाता है। इस कारण से व्हिएतनामी जनता में असंतोष बढ़ता ही चला जा रहा था। लेकिन राज्यकर्ताओं को उससे कोई लेनादेना नहीं था।

‘व्हिएत मिन्ह’ संगठन ने व्हिएतनामी जनता में धधक रहे इस असन्तोष को हवा देना शुरू किया। उन्होंने अनाज के सरकारी गोदामों को लूटने के लिए और टॅक्सेस का भुगतान न करने के लिए व्हिएतनामी जनता को उक़साया।

इस असंतोष की हवा पाल में भरकर व्हिएतनाम का जहाज़ आगे किस दिशा में गया?

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