विदेशमंत्री जयशंकर की ‘जी ४’ और ‘ब्रिक्स’ से चर्चा

न्यूयॉर्क – संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भारत का अधिकार हैं, ऐसा बयान विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने एक ही दिन पहले किया था। इसके बाद भारत के साथ ही सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर अधिकार जता रहें ब्राज़ील, जर्मनी और जापान के विदेशमंत्री के साथ जयशंकर की चर्चा हुई। ‘जी ४’ नाम से जाने जा रहें इन देशों की इस चर्चा में एक दूसरें की सदस्यता के लिए पूरा समर्थन देने पर सहमति हुई। साथ ही विदेशमंत्री जयशंकर की ब्रिक्स देशों के विदेशमंत्री से भी चर्चा हुई। ब्रिक्स की इस बैठक के दौरान चीन के विदेशमंत्री वैंग ई और विदेशमंत्री एस.जयशंकर की हुई चर्चा ने ध्यान आकर्षित किया।

‘जी ४’भारत की तरह ब्राज़ील, जर्मनी और जापान यह देश भी स्थायी सदस्यता पर दावा बता रहे हैं। इन चारों देशों ने साथ मिलकर ‘जी ४’ का गठन किया हैं और राष्ट्रसंघ की आम सभा से पहले इनकी बैठक हुई। इस बैठक में एक-दूसरें की दावेदारी को पूरा समर्थन देने पर सहमति हुई। साथ ही सुरक्षा परिषद के सुधार की प्रक्रियाखुली और पारदर्शी ना होने का आरोप भी इन चारों देशों ने लगाया। साथ ही इस मुद्दे पर सरकारी स्तर पर जारी चर्चा को ज्यादा गति प्राप्त नहीं हो रही है, यह कहकर ‘जी ४’ ने इसपर नाराज़गी जतायी। इस मुद्दे पर अधिक समय बरबाद किए बिना जल्द से जल्द चर्चा की प्रक्रिया शुरू हो, यह उम्मीक ‘जी ४’ ने व्यक्त की।

‘जी ४’भारत, रशिया, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की ‘ब्रिक्स’ संगठन के विदेशमंत्री की हुई चर्चा भी आम सभा के दौरान ही हुई। इस बैठक में यूक्रेन की स्थिति पर चिंता जतायी गई। रशिया की सदस्यता होनेवाली इस बैठक में यूक्रेन पर हुई चर्चा ने ध्यान आकर्षित किया। इस बैठक के दौरान भारत और चीन के विदेशमंत्री की चर्चा को भी विशेष अहमियत प्राप्त होती दिख रही थी। विदेशमंत्री जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर परिषद की कार्रवाई रोकनेवाले चीन की आलोचना की थी।

भारत इस तरह से खुलेआम अपनी नाराज़गी व्यक्त कर रहा हैं तभी चीन इसपर प्रत्युत्तर दिए बिना अनदेखा करता दिख रहा हैं। लेकिन, ब्रिक्स की इस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ दोहरी नीति अपनाने की कड़ी आलोचना की गई और संयुक्त निवेदन में भी इसका स्पष्टतौर पर ज़िक्र किया गया है। इसे समर्थन देने के लिए चीन भी मज़बूर हुआ, यह बात विशेष हैं। आनेवाले समय में भारत के विदेशमंत्री आतंकवाद के विरोध में देश की भूमिका अधिक तीव्रता से रखेंगे, यही इससे स्पष्ट हो रहा है। इसपर अन्य देशों से प्राप्त हो रहा रिस्पान्स पाकिस्तान समेत चीन को भी बेचैन कर रहा हैं। इसके साथ ही भारत योजना के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा हैं और इससे पाकिस्तान को नुकसान पहुँचेगा, ऐसी चिंता यह देश व्यक्त कर रहा हैं।

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