पर्यावरण के नाम पर विकास रोकने की साज़िशों से सावधान रहें – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवाहन

अहमदाबाद – पर्यावरण के साथ समझौता किए बिना भी विकास तेज़ी से करना मुमकिन है। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ ही राज्यों की सरकारों को भी विकास प्रकल्प तेज़ी से आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। पर्यावरण से जुड़ी मंजूरी ना मिलने से छह हज़ार प्रकल्प और वनक्षेत्र की मंजूरी ना मिलने से ६.५ हज़ार प्रकल्प राज्यों में फंसे हुए हैं। इससे कई हज़ार करोड़ रुपयों के प्रकल्प फंसे हुए होंगे, इसके बारे में सोचना चाहिए। विकास में रोड़े डालने के लिए जारी साज़िशों के प्रभाव में आकर राज्य इन प्रकल्पों को ना रोकें, ऐसा आवाहन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

गुजरात के एकता नगर में देश के सभी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की राष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया गया था। इस दौरान संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देश का विकास रोकने के लिए अर्बन नक्सलवादियों द्वारा जारी कोशिशों को सफल ना होने दें, ऐसा इशारा दिया। वैश्विक स्तर के संगठन और फाऊंडेशन्स से करोड़ों रुपये पाकर अर्बन नक्सलवादी इसका इस्तेमाल देश के विकास को रोकने के लिए करते हैं। इसके लिए पर्यावरण सुरक्षा का कारण आगे बढाया जाता है और प्रकल्पों के खिलाफ जोरदार आलोचना की जाती है। इसका प्रभाव वैश्विक बैंक पर भी पड़ सकता है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने देश विरोधी ऐसी साज़िश का अहसास कराया। इसके लिए उन्होंने सरदार सरोवर प्रकल्प का दाखिला दिया।

इस प्रकल्प की नींव देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथों रखी गयी थी। लेकिन इस प्रकल्प को पूरा करने के लिए कई दशक लगे। इसके पीछे यह प्रकल्प रोकने की साज़िश थी। देश के खिलाफ इसके लिए ज़हरी प्रचार अभियान चलाया गया था, इसका दाखिला भी प्रधानमंत्री ने दिया। इस तरह देश के विकास प्रकल्प रोकने की साज़िश अब भी की जाती है और इसका हमें शिकार नहीं होना चाहिये क्योंकि, पर्यावरण का संतुलन बनाए रखकर भी हम हर हाल में विकास कर सकते हैं, ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। मौजूदा समय में पर्यावरण विभाग की मंजूरी ना मिलने से छह हज़ार से अधिक प्रकल्प और वनक्षेत्र की मंजूरी ना मिलने से ६.५ हज़ार प्रकल्प रुके हुए हैं। ठोस वजह ना होगी तो राज्य इन प्रकल्पों को मंजूरी देने के लिए समय जाया ना करें, ‘ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज़ ऑफ डुईंग बिज़नेस’ में पर्यावरण के नाम से किसी भी तरह के रोड़े निर्माण ना हों, इसका हमें ध्यान रखना पडेगा। जितनी तेज़ी से पर्यावरण से संबंधित मंजूरी प्रकल्पों के लिए प्राप्त होगी, उतनी ही तेज़ी से देश का विकास होगा’, यह संदेश प्रधानमंत्री ने इस दौरान दिया।

इसी बीच, नई दिल्ली के प्रगति मैदान में टनेल का दाखिला देकर विकास प्रकल्पों की वजह से यातायात का समय और ईंधन का खर्च एवं प्रदूषण कम होता है, इस पर उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। प्रगति मैदान टनेल की वजह से ५५ लाख लीटर से अधिक ईंधन की बचत होगी, तथा इससे १३ हज़ार टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा। इतनी बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन कम करना हो तो छह लाख से अधिक पेड़ों की जरुरत पड़ती है, इस पर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। इसी कारण विकास और पर्यावरण दोनों एक-दूसरे के विरोधी मुद्दे नहीं हैं, इसका मेल करके भी विकास हो सकता है, इस पर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

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