संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी मज़बूत

रियाध – विश्‍व के सबसे बड़े जनतंत्र, पांचवे स्थान की अर्थव्यवस्था, परमाणु अस्त्रधारी देश और प्रौद्योगिकी का वैश्‍विक केंद्र एवं विश्‍व के साथ कारोबार करने की प्राचीन परंपरा प्राप्त करनेवाले देश के तौर पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भारत को मिलनी ही चाहिये, ऐसा विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने ड़टकर कहा। भारत को स्थायी सदस्यता के लिए इन्कार करना यानी भू-राजनीतिक वास्तव को पीठ दिखाना होगा, ऐसी चेतावनी जयशंकर ने दी है। अपने सौदी अरब दौरे के बीच में एक अखबार को दिए साक्षात्कार में भारतीय विदेशमंत्री ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर देश की भूमिका स्पष्ट शब्दों में रखी।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषदविदेशमंत्री जयशंकर की तीन दिवसीय सौदी यात्रा खत्म हुई। इससे पहले सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से विदेशमंत्री जयशंकर ने मुलाकात की। साथ ही जयशंकर ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं दिया संदेश प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान तक पहुँचाया। दोनों देशों के नेताओं की इस मुलाकात में द्विपक्षीय सहयोग और विश्‍व में जारी मौजूदा गतिविधियों पर चर्चा हुई। अपनी सौदी यात्रा काफी फलदायी होने का दावा जयशंकर ने किया हैं। साथ ही भारत और सौदी के ईंधन कारोबार का दाखिला देकर दोनों देशों का सहयोग अन्य मोर्चों पर भी बढ़ रहा हैं, इसपर विदेशमंत्री जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया।

अपने इस दौरे में सौदी के अखबार को जयशंकरने दिए इस साक्षात्कार की बड़ी चर्चा हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भारत का अधिकार बनता हैं, इसका अहसास जयशंकरने इस साक्षात्कार के दौरान कराया। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर भारत का समावेश ना करना यानी भू-राजनीतिक वास्तव को पीठ दिखाना होगा। भारत को स्थायी सदस्यता प्रदान करके सीर्फ सुरक्षा के मसले का हल नहीं होगा, बल्कि मौजूदा दौर में अपनी अहमियत बरकरार रखने का काम सुरक्षा परिषद करेगी, ऐसी सख्त चेतावनी विदेशंमत्री जयशंकर ने दी। जयशंकर और अन्य भारतीय नेताओं ने ने पहले भी स्थायी सदस्यता के लिए भारत का विचार किए बिना सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने विकल्प ना होने की चेतावनी दी थी। इसके लिए ज़रूरी सुधार करने के लिए राष्ट्रसंघ पहल करें, ऐसी माँग भारत लगातार कर रहा हैं। विश्‍व के सबसे अधिक जनसंख्या के देश के तौर पर भारत अब चीन को पीछे छोड़ रहा हैं, यह बात हाल ही में सामने आयी थी। यह दावा कर रहें विशेषज्ञों ने यह कहा था कि, इससे सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर भारत का दावा अधिक मज़बूत हुआ हैं। कुछ दिन पहले भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्‍व में पांचवे स्थान की अर्थव्यवस्था बनी थी। भारतीय समाज में युवाओं की बढ़ती संख्या, जनतांत्रिक व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में रहने की भारत की विधायक भूमिका, इन सबका विचार करें तो भारत को पहले ही सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त होनी थी। फिलहाल स्थायी सदस्यता प्राप्त अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स और रशिया इन देशों ने भारत की सदस्यता के लिए समर्थन घोषित किया था। लेकिन, चीन भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध कर रहा हैं।

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