रशिया ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाईपलाईन बंद करने से यूरोप की बेचैनी बढ़ी

ईंधन पाईपलाईनमास्को/बर्लिन – रशिया ने यूरोपिय देशों को ईंधन वायु की आपूर्ति कर रही ‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ पाईपलाईन बंद करने का ऐलान किया। मरम्मत और रखरखाव के लिए यह ईंधन पाईपलाईन सोमवार से १० दिनों तक ईंधन की आपूर्ति नहीं करेगी, ऐसा रशिया ने बताया है। रशिया ने पिछले महीने ही इस पाईपलाईन से हो रही र्इंधन की आपूर्ति में ६० प्रतिशत कटौती की थी। साथ ही फ्रान्स, इटली और ऑस्ट्रिया की कंपनियों को हो रही ईंधन की आपूर्ति भी कम किए जाने की बात सामने आयी है। पिछले दो महीनों में रशिया ने र्इंधन वायु की आपूर्ति कम करने के लिए लगातार कदम उठाने से यूरोपिय देशों में बेचैनी बढ़ी है।

ईंधन पाईपलाईनपिछले महीने तकनीकी वजह बताकर रशिया ने यूरोप के प्रमुख देश जर्मनी की ईंधन आपूर्ति कम की थी। इसके बाद जर्मन सरकार ने भागादौड़ी करके और यूक्रेन का विरोध ठुकराकर रशिया की तकनीकी मुश्‍किल दूर करने के लिए कदम उठाए थे, और इसके लिए रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों से कनाड़ा सरकार से रिहायत पाने में कामयाबी पाई थी। लेकिन, जर्मनी की इन गतिविधियों को रशिया ने ज्यादा अहमियत नहीं दी है और यूरोपिय देशों को झटका देने की तैयारी शुरू करने की बात दिख रही है।

एक दशक पहले कार्यान्वित की गई ‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ ईंधन पाइपलाइन ‘सब-सी’ वर्ग की विश्‍व में सबसे लंबी ईंधन पाईपलाईन है। कुल १,२०० किलोमीटर्स से अधिक लंबी इस पाईपलाईन से यूरोपिय देशों को सालाना १.९ ट्रिलियन घन फीट इतनी बड़ी मात्रा में ईंधन वायु की आपूर्ति होती है। रशिया के वायबोर्ग से जर्मनी के लुबमिन शहर तक जा रही इस र्इंधन पाईपलाईन में रशिया के अलावा जर्मन, फ्रेंच और डच कंपनियों की भागीदारी है। रशिया से यूरोपिय देशों को हो रही ईंधन आपूर्ति बढ़ाने के लिए ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ नामक ईंधन पाईपलाईन का निर्माण किया गया था। लेकिन, इसे जर्मन सरकार ने अनुमति देने से इन्कार किया।

ईंधन पाईपलाईन‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ से हो रही ईंधन आपूर्ति अस्थायी समय के लिए बंद करने से पहले रशिया ने यूरोपिय देशों की ईंधन सप्लाई कम करना शुरू किया था। इस वजह से यूरोपिय देशों में ईंधन का आरक्षित भंड़ार ज्यादा बचा नहीं है। ऐसी स्थिति में रशिया ने ईंधन सप्लाई पूरी तरह से रोक दी तो यूरोपिय देशों के पैरों तले जमीन खिसकेगी, ऐसे संकेत यूरोपिय नेता और उद्योगक्षेत्र दे रहे हैं। ऐसे में जर्मनी के वाणिज्यमंत्री रॉबर्ट हैबेक ने यह ड़र व्यक्त किया है कि, शायद रशियन ईंधन सप्लाई फिर कभी भी शुरू नहीं होगी। इस दौरान फ्रान्स की ‘मिशेलिन’ कंपनी के प्रमुख फ्लौरेंट मेनेगॉक्स ने संकेत दिए हैं कि, फ्रेंच उद्योगक्षेत्र ने तेल और कोयले पर आधारित यंत्रणा कार्यरत की है।

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