‘लोन वूल्फ’ के हमले रोकना कठिन हो रहा है – ‘एफबीआई’ और ‘एमआई ५’ के प्रमु्खों की चेतावनी

लंदन – ‘लोन वूल्फ’ यानी अकेले हमला करनेवालों की तलाश करना या उन पर कार्रवाई करना कठिन हो रहा है क्योंकि, किसी भी संगठन से यह हमलावर जुड़े ना होने से उनको खोजने के लिए पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं होती’, ऐसी चेतावनी अमरीका और ब्रिटेन की शीर्ष गुप्तचर यंत्रणाओं के प्रमुख ने दी। ब्रिटेन को ऐसे ‘लोन वूल्फ’ आतंकियों से काफी बड़ा खतरा होने की चेतावनी पहले भी दी गई थी।

अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा ‘फेडरल ब्युरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ (एफबीआई) के प्रमुख क्रिस्टोफर रे ने पिछले हफ्ते ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआई ५’ के संचालक केन मैक्लम से मुलाकात की। इसी दौरान रे ऑर मैक्लम ने ‘लोन वूल्फ’ के खतरे पर पूरे विश्‍व का ध्यान आकर्षित किया। ‘इस तरह के हमलों के लिए बड़ी योजना बनाने की ज़रूरत नहीं होती। एक से अधिक लोगों का समावेश नहीं होता। यानी कि, कम से कम समय में और हाथ लगी अपर्याप्त जानकारी की सहायता से इन हमलों को रोकने का बड़ा काम सुरक्षा यंत्रणाओं पर होता है’, ऐसी जानकारी अमरीका और ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणाओं के प्रमुखों ने साझा की।

ऐसे में दो देशों के गुप्तचर यंत्रणाओं को प्राप्त जानकारी एक-दूसरे के लिए सहायक साबित हो सकती है, ऐसा कहकर एफबीआई के प्रमुख ने ‘एमआई ५’ के साथ नए से सहयोग स्थापित करने का ऐलान किया। दोनों देशों का सहयोग समय के रहते बढ़ाया नहीं गया तो इन हमलों की तीव्रता बढ़ेगी, ऐसी चेतावनी रे और मैक्लम ने दी।

अपने देश में लौटे स्थानांतरितों में से ही इस तरह के हमले होने की संभावना अधिक है, यह दावा ‘एमआई ५’ के संचालक ने किया। पिछले कुछ सालों में ब्रिटेन में हुए लोन वूल्फ के हमलों के पीछे विदेशी स्थानांतरित नागरिक होने की बात स्पष्ट हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर ‘एमआई ५’ के प्रमुख ने लोन वूल्फ के हमले और स्थानांतरितों की तार जोड़ने की कोशिश करना ध्यानआकर्षित कर रहा है।

पिछले आठ दशकों से अमरीका और ब्रिटेन की सुरक्षा यंत्रणाओं में सहयोग जारी है। लेकिन, लोन वूल्फ के हमले रोकने के लिए यह सहयोग अधिक व्यापक करने की ज़रूरत है, ऐसा दोनों गुप्तचर यंत्रणाओं के प्रमुखों ने स्पष्ट किया। 

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