पश्चिमी देशों के बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर

प्रिटोरिआ/मास्को – रशिया-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद अफ्रीकी महाद्विप के कई देशों ने पश्चिमी गुट का साथ देने से इन्कार किया था। इस मुद्दे पर अमरीका एवं यूरोपिय देशों में दबाव डालने की कोशिश के बावजूद अफ्रीकी देशों ने अपनी भूमिका कायम रखी थी। इसी पृष्ठभूमि पर रशिया और चीन ने अफ्रीका में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश गतिमान की। कुछ दिन पहले चीन के विदेश मंत्री ने अफ्रीका का दौरा किया था। इसके बाद अब रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रहे हैं।

सोमवार को विदेश मंत्री लैवरोव ने प्रिटोरिया में दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री नलेदी पैन्डोर से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों का द्विपक्षीय सहयोग अधिक व्यापक करने के लिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान रशियन मंत्री ने रशिया-यूक्रेन संघर्ष में पश्चिमी  देशों के गुट की भूमिका की आलोचना की। संघर्ष शुरू होने के बाद मार्च में ही रशिया ने शांति प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन, पश्चिमी देशों के दबाव के कारण यूक्रेन ने यह प्रस्ताव ठुकराया, ऐसा दावा लैवरोव ने किया।

विदेश मंत्री लैवरोव ने अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास के आयोजन का भी समर्थन किया। चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ आयोजित होने वाले इस युद्धाभ्यास की पूरी जानकारी रशिया ने प्रदान की है, इसकी वजह से इस पर विवाद होने का सवाल ही नहीं उठता, ऐसा लैवरोव ने स्पष्ट किया। रशिया और चीन फ़रवरी में दक्षिण अफ्रीका के साथ नौसनिक युद्धाभ्यास कर रहे हैं। ‘ऑपरेशन मोसी’ नामक इस बहुराष्ट्रिय युद्धाभ्यास का आयोजन १७ से २६ फ़रवरी के दौरान होगा, यह जानकारी दक्षिण अफ्रीका की सेना ने प्रदान की थी। डरबन और रिचर्डस्‌ बे के समुद्री क्षेत्र में युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाएगा, ऐसा दक्षिण अफ्रीका ने कहा है। यह युद्धाभ्यास चीन और रशिया के अफ्रीका में बढ़ रहे प्रभाव का संकेत देगा, यह दावा विश्लेषकों ने किया था।

दक्षिण अफ्रीका में आयोजित युद्धाभ्यास में रशिया की ‘एडमिरल गोर्शकोव’ विध्वंसक शामिल होगी, यह जानकारी रशिया ने प्रदान की। इस विध्वंसक पर रशिया ने हायपरसोनिक मिसाइल तैनात किए हैं।

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