दरों पर नियंत्रण लाने पर रशिया तेल का निर्यात रोकेगी

मॉस्को/वॉशिंग्टन – पश्चिमी देशों ने रशियन तेल के दर पर मर्यादा डालने की कोशिश की तो रशिया अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल का निर्यात बंद कर देगी, ऐसा इशारा रशिया के उपप्रधान मंत्री ऐलेक्ज़ैंडर नोवाक ने दिया। पिछले महीने ’जी7’ गुट की बैठक में रशियन तेल के दर पर नियंत्रण लाने के संकेत दिए गए थे। तत्पश्चात अमेरिका ने इसके लिए नेतृत्व करने की बात सामने आई है और कुछ दिन पहले वित्तमंत्री जैनेट येलन ने यूरोपिय राष्ट्रों के साथ-साथ अन्य कई राष्ट्र दरों पर मर्यादा डालने की योजना में हैं ऐसा कहा था।

तेल का निर्यातरशिया ने युक्रेन में शुरु की हुई सैनिकी कार्यवाई को चार महीनों से अधिक समय बीत चुका है। इस दौरान अमेरिका एवं यूरोपिय राष्ट्रों ने रशिया के ईंधन क्षेत्र समेत कई क्षेत्रों को लक्ष्य किया है। यूरोप के कुछ राष्ट्रों ने रशिया से होनेवाले ईंधनवायु का आयात बंद किया है। तो यूरोपिय महासंघ ने आनेवाले वर्षभर में रशिया से आयात होनेवाले कच्चे तेल का आयात लगभग 80 प्रतिशत तक घटाने का निर्णय लिया है। पर रशियन ईंधन पर पूरी बंदी डालना यूरोपिय राष्ट्रों के लिए अब तक संभव नहीं हो पाया है। रशिया के ईंधन क्षेत्र पर लादे गए प्रतिबंधों से कुछ यूरोपिय राष्ट्रों ने रिहायत का बहाना चुना है।

तेल का निर्यातदूसरी तरह चीन एवं भारत समेत अन्य कुछ राष्ट्रों ने रशियन ईंधन का आयात बडे पैमाने पर बढाया है। इसलिए शुरुवाती दौर में लगे हुए झटके के बाद रशिया का ईंधन क्षेत्र फिर से पूर्वस्थान पर आने की बात सामने आ रही है। जून में कच्चे तेल के निर्यात से रशिया को कुल 20.4 अरब डॉलर्स की आय मिलने की बात का पता चला था। इसलिए रशियन अर्थव्यवस्था को अपेक्षित झटका देने में अमेरिका समेत पश्चिमी राष्ट्र असफल हुए हैं।

इसे बदलने के लिए अमेरिका ने रशियन तेल के दरों पर नियंत्रण लाने का प्रस्ताव रखा है। यूरोपिय राष्ट्रों ने भले ही इसे समर्थन दिया हो पर ईंधन उत्पादक राष्ट्र तथा विशेषज्ञों ने इसका विरोध किया है। इस तरह लाया गया नियंत्र ईंधन क्षेत्र एवं अतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिए खतरनाक होगा, ऐसा विश्लेषकों ने आगाह किया है। दर नियंत्रण में लाने के बाद रशिया ने तेल का निर्यात घटाया तो ईंधन बाज़ार को बडा झटका लगेगा और तेल का दर पूरे 380 डॉलर्स प्रति बैरल तक उछलेंगे, ऐसा इशारा आघाडी की वित्तसंस्था ’जेपी मॉर्गन चेस’ ने हाल में दिया था। रशियन उपप्रधान मंत्री ने सीधे निर्यात बंद करने की बात कहकर यह संकट अधिक पेचिदा बन सकता है, इसका अहसास कराया है।

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