‘एससीओ’ में ईरान के समावेश का रशिया ने किया स्वागत

समरकंद – ईरान ने ‘शांघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) की सदस्यता के निवेदन पर हस्ताक्षर किए। साथ ही यूरोप और एशियाई देशों के इस संगठन का हिस्सा होने के लिए ईरान की राह खुल गयी है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने ‘एससीओ’ में ईरान का प्रवेश होने का स्वागत किया। ईरान का ‘एससीओ’ का हिस्सा बनना रणनीतिक स्तर की काफी बड़ी घटना होने का दावा अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने पहले ही किया था।

उज़बेकिस्तान के समरकंद में दो दिन की ‘एससीओ’ बैठक गुरुवार को शुरू हुई। इस बैठक के लिए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी गुरुवार की सुबह को ही पहुँचे। लेकिन, यह बैठक शुरू होने से पहले बुधवार देर समय ईरान के विदेशमंत्री हुसेन आमिरअब्बोल्लाहियान ने ‘एससीओ’ की सदस्यता के निवेदन पर हस्ताक्षर किए। ईरान के विदेशमंत्री ने सोशल मीडिया के माध्यम से यह ऐलान किया।

‘‘एससीओ’ की सदस्यता का स्वीकार करके ईरान अब आर्थिक, व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र के सहयोग का भागीदार बना है’, ऐसा ईरान के विदेशमंत्री ने कहा। इस संगठन में ईरान के समावेश के लिए सभी देशों का समर्थन है, फिर भी पूरी सदस्यता पाने के लिए कम से कम एक साल का समय लगेगा, ऐसा इस बैठक का अध्यक्षस्थान संभाल रहे उज़बेकिस्तान ने कहा। इस वजह से फिलहाल आठ सदस्यों की ‘एससीओ’  जल्द ही नौं देशों का संगठन बनेगी।

इस बैठक की पृष्ठभूमि पर रशिया और ईरान के राष्ट्राध्यक्षों में स्वतंत्र चर्चा हुई। इस दौरान राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने ईरान के ‘एससीओ’ में शामिल होने का स्वागत किया। ‘ईरान विश्व की सबसे अहम, बड़ी और अधिकृत संगठन में शामिल हो रहा है’, ऐसा बयान राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किया। रशिया के समर्थन के कारण अमरीका के प्रतिबंधों का सामना करने के लिए सहायता मिल रही है, ऐसा ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने कहा है।

इसी बीच, अमरीका और यूरोपिय देशों ने परमाणु समझौता करने से इन्कार किया तो हमारे सामने रशिया-चीन के गुट का हिस्सा होने का विकल्प खुला हुआ है, यही बात ईरान ने ‘एससीओ’ का हिस्सा बनकर दिखाई है। ‘एससीओ’ जैसे ताकतवर संगठन का हिस्सा बनकर ईंधन का निर्यात एवं व्यापार बढ़ने से अमरीका और यूरोपिय देशों ने ईरान पर लगाए आर्थिक प्रतिबंधों का प्रभाव अधिक घटेगा। इससे ईरान का एससीओ में हुआ समावेश सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामरिक स्तर पर भी अहम घटना मानी जाती है।

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