अमरीका सीरिया में तैनाती बढ़ा रही हैं और इसी बीच रशिया-तुर्की-सीरिया के रक्षा मंत्री की हुई चर्चा

मास्को – अमरीका ने सीरिया में नई सैन्य तैनाती शुरू की हैं और वहां के कुछ हिस्से में सैन्य अड्डा स्थापित करना शुरू किया हैं। आतंकी संगठन ‘आयएस’ फिर से सिर उठा रही है, ऐसी वजह अमरिकी अधिकारी बता रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशिया, तुर्की और सीरिया के रक्षा मंत्री की शीघ्रता से बैठक हुई। रशिया की मध्यस्थता से आयोजित हुई इस बैठक में तुर्की और सीरिया के संबंध सुधारने पर चर्चा होने की जानकारी सामने आ रही हैं। इसी बीच तुर्की यह अमरीका प्रणित सैन्य गुट ‘नाटो’ का प्रमुख सदस्य देश हैं।

साल २०११ में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद रशिया, तुर्की और सीरिया के रक्षा मंत्री की बैठक हुई थी। इसके बाद तुर्की और सीरिया के संबंधों में तीव्र मतभेद निर्माण हुए थे। सीरिया के बशल अल-अस्साद की हुकूमत मंजूर ना होने का बयान करके तुर्की ने सीरियन सेना एवं वहां के कुर्दों पर हमले किए थे। वही, सीरिया ने भी आतंकियों का समर्थित होने का आरोप लगाकर तुर्की समर्थित विद्रोहियों पर हमले किए थे। इस वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था।

लेकिन, बुधवार को तुर्की के रक्षा मंत्री हुलूसी अकार, राष्ट्रीय गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख हकान फिदान ने रशियन राजधानी मास्को में सीरिया के रक्षा मंत्री अल महमूद अब्बास और गुप्तचर विभाग के प्रमुख अली मामलूक से मुलाकात की। इस दौरान रशियन रक्षा मंत्री सर्जेई शोईगू भी मौजूद थे। सीरिया का संकट दूर करने के साथ ही शरणार्थियों के मुद्दे पर इन दोनों नेताओं की चर्चा हुई, ऐसा रशियन रक्षा मंत्रालय ने कहा। साथ ही आतंकवाद विरोधी युद्ध का भी इस चर्चा में समावेश किया गया था।

सीरिया के साथ बने मतभेद दूर करके संबंध सुधारने पर प्रमुखता से चर्चा हुई। इसके अलावा तीनों देशों की बैठक का आगे भी आयोजन होगा, यह ऐलान रशिया ने किया। वही, राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन और सीरियन राष्ट्राध्यक्ष बशर अल-अस्साद की मुलाकात होगी, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। तुर्की नाटो का सदस्य देश हैं। इस वजह से सीरिया की बैठक में तुर्की को शामिल करके रशिया ने अमरीका और मित्रदेशों को चेतावनी दी है।

इसी बीच इस बैठक से पहले रशिया और तुर्की की नैसर्गिक ईंधन वायु के भंड़ार को लेकर अहम चर्चा हुई। रशियन ईंधन उत्पाद क्षेत्र की बड़ी कंपनी ‘गाझप्रोम’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अलेक्सी मिलर ने यह जानकारी साझा की। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की कीमत पारदर्शी रखना मुमकिन होगा, यह दावा मिलर ने किया।

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