यूरोप के ‘एनर्जी क्रायसिस’ का रशिया ने गलत लाभ उठाया – अमरीका का आरोप

europe-energy-crisis-russia-1वॉशिंग्टन/मास्को – यूरोपिय महाद्विप में उभरे ऊर्जा संकट के पीछे रशिया का हाथ नहीं है। लेकिन रशिया ने इस स्थिति का गलत लाभ उठाया हुआ दिख रहा है, यह आरोप अमरीका ने लगाया है। अमरीका के विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एमोस हॉकस्टेन ने यह आरोप लगाया। यूरोप के ऊर्जा संकट की तीव्रता कम करने का अवसर रशिया के पास था। लेकिन, रशिया ने ऐसा नहीं किया, यह दावा भी अमरिकी अधिकारी ने किया।

कोरोना की तीव्रता कम हो रही है और तभी यूरोप के कई देशों ने प्रतिबंध शिथिल करके अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने की कोशिश शुरू की थी। इस वजह से यूरोप में ईंधन की माँग बढ़ने लगी। इस बढ़ती माँग के साथ ही ईंधन की कीमत की बढ़ोतरी होने से कुछ यूरोपिय देशों को ईंधन की अतिरिक्त खरीद करना मुमकिन नहीं हुआ। इससे लाखों यूरोपिय नागरिकों को नुकसान पहुँचने की बात कही जा रही है। उद्योग क्षेत्र पर भी इसका असर दिखाई दिया है।

europe-energy-crisis-russia-2रशिया, यूरोप को ईंधन प्रदान करनेवाला सबसे बड़ा देश है। यूरोपिय देशों की ईंधन आयात में से ४० से ५० प्रतिशत आयात रशिया से हो रहा है। इस स्थिति पर गौर करें तो रशिया यूरोपिय देशों को अतिरिक्त ईंधन की आपूर्ति करके ऊर्जा संकट टाल सकती थी, यह बयान अमरिकी अधिकारी ने किया है।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने रशिया यूरोप को सहायता करने के लिए तैयार होने का बयान किया था। लेकिन, पुतिन के बयान के अनुसार रशिया ने कृति नहीं की, इस ओर भी विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया। बल्कि, रशिया से यूरोप को हो रही ईंधन की आपूर्ति अनियमित हुई और ईंधन पाईपलाइन से ईंधन पीछे खींचने की घटना भी घटी है। रशिया ईंधन का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है, यह आरोप भी लगाया जा रहा है।

रशिया की इन गतिविधियों के पीछे ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाईन होने की संभावना कुछ विश्‍लेषकों ने व्यक्त की है। रशिया और जर्मनी का यह प्रकल्प पूर्ण हुआ है और ईंधन की आपूर्ति शुरू करने के लिए जर्मनी की आखरी अनुमति अभी प्राप्त नहीं हुई है। यह अनुमति प्राप्त करने के लिए रशिया यूरोप की ईंधन आपूर्ति का खेल खेल रही है, यह दावे भी किए जा रहे हैं। अमरिकी अधिकारी हॉकस्टेन ने भी ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ का ज़िक्र करते समय रशिया ईंधन का हथियार की तरह इस्तेमाल करने के काफी करीब होने का दावा किया।

लेकिन, रशिया ने यह सभी दावे ठुकराए हैं। रशियन कंपनियों ने यूरोप के साथ किए समझौते के अनुसार ही ईंधन की सप्लाई की है, यह खुलासा रशिया ने किया है।

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