भारत के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए रशिया उत्सुक – रशिया के उप-प्रधानमंत्री का दावा

नई दिल्ली – रशिया चीन के साथ करीबन २०० अरब डॉलर्स का व्यापार कर रही हैं और यह व्यापार संतुलित है। भारत के साथ रशिया को भी अपना व्यापार काफी ज्यादा बढ़ाना है। इसके लिए रशिया अपने ‘युरेशियन इकॉनॉमिक कमिशन’ के ज़रिये मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए उत्सुक हैं। साथ ही द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए रशिया स्वतंत्र कोशिश कररही हैं’, ऐसा बयान भारत दौरे पर दाखिल हुए रशिया के उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव ने किया है। भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर से भी उन्होंने मुलाकात की। इस दौरान विदेश मंत्री जयशंकर मौजूदा दौर में भारत का रशिया के साथ शुरू व्यापार का झुकाव रशिया की होने का बायन करके रशिया भी अपना बाज़ार भारत के लिए खोल दे, यह आवाहन किया।

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रशिया से सहुलियत की कीमत से प्रापत ईंधन की काफी खरीद की है। इससे द्विपक्षीय व्यापार पर सकारात्मक परिणाम हुआ है और २०२२-२३ के वित्तीय वर्ष में भारत और रशिया का व्यापार लगभग ४० अब्ज़ डॉलर्स तक पहुंचा है। लेकिन, इस व्यापार में काफी बड़ा असुंलन हैं और रशिया से भारत हो रही निर्यात की मात्रा इसमें काफी बड़ी हैं। इसका अहसास विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने रशिया के उप-प्रधानमंत्री को कराया। इसके साथ ही द्विपक्षीय व्यापार में संतुलन बनाने के लिए रशिया अपने बाज़ार में भारत के लिए अधिक अवसर उपलब्ध कराए, यह आवाहन भी विदेश मंत्री जयशंकर ने इस दौरान किया। 

इस दौरान रशिया के उपप्रधानमंत्री मंतुरोव ने यूरेशियन इकॉनॉमिक कमिशन नामक संगठन के तहत भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने पर जोर दिया। इस विषय में हमारी भारत से चर्चा शुरू होने की जानकारी मंतुरोव ने साझा की। यूरेशियन इकॉनॉमिक कमिशन में रशिया, बेलारूस, कज़ाकस्तान, किरगिझिस्तान और आर्मेनिका यह देश हैं। इस वजह से यह मुक्त व्यापार समझौता होता हैं तो भारत का मध्य एशियाई देशों में प्रभाव बढ़ेगा। दो दिन पहले भारत ईरान में छाबर बंदरगाह के विकास संबंधित बैठक का आयोजन हुआ था। यह प्रकल्प पूरा हुआ तो ईरान के इस बंदरगाह का इस्तेमाल करके भारत रशिया समेत मध्य एशियाई देशों में आसानी से सामान की यातायात कर सकेगा। इस पृष्ठभूमि पर रशिया के उप प्रधानमंत्री ने किए बयानों की अहमियत बढ़ी है।

खास तौर पर चीन के साथ २०० अरब डॉलर्स का व्यापार कर रही रशिया भारत के साथ भी इतने बड़ी मात्रा में व्यापार करने के लिए तैयार हैं, ऐसा रशिया के उप प्रधानमंत्री कह रहे हैं। लेकिन, सीर्फ भारतीय रुपयों में इतनी बड़ी मात्रा में कारोबार नहीं हो सकेगा, यह भी उन्होंने कहा। पिछले कुछ हफ्तों से रशिया ब्रिक्स के स्वतंत्र मुद्रा की मांग करके इसके लिए अन्य सदस्य देशों से भी इसके लिए तीव्रता से कोशिश करते देखे गए हैं। इसपर भारत ने अभी अधिकृत स्तर पर प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की हैं। लेकिन, ब्रिक्स की मुद्रा डॉलर का प्रभाव खत्म कर सकेगी, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। मंतुरोव इसके लिए भारत के साथ चर्चा कर रहे हैं, यह संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं। 

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