भारत ने रशिया से ईंधन खरीद काफी बढ़ाई

नई दिल्ली – यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले रशिया से अपनी ज़रूरत का १ प्रतिशत से भी कम ईंधन खरीद रहा भारत अब सबसे अधिक मात्रा में रशिया से ही ईंधन खरीद रहा हैं। मार्च महीने में भारत ने रशिया से प्रति दिन करीबन १६ लाख, ४० हज़ार बैरल्स ईंधन तेल खरीदा हैं। भारत पारंपरिक पद्धती से इराक से ईंधन खरीदता रहा हैं। लेकिन भारत अब इराक से दोगुने ईंधन तेल की रशिया से खरीद कर रहा हैं, यह जानकारी भी इस बीच सामने आयी है। अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया के ईंधन निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद भारत ने रशिया से की हुई इस खरीद का असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाई देने लगा है। जापान ने भी अमरीका और यूरोपिय देशों के प्रतिबंधों की परवाह किए बिना रशियन ईंधन की खरीद जारी रखी होने की जानकारी हाल ही में प्रसिद्ध हुई थी।

ईंधन खरीदचीन, अमरीका और भारत यह ईंधन तेल की सबसे अधिक खरीद कर रहे देश हैं। भारत हमेशा से इराक और सौदी अरब के साथ अन्य खाड़ी देशों से भारी मात्रा में ईंधन खरीद रहा था। इसके अलावा भारत ने कुछ अफ्रीकी देशों से भी ईंधन खरीद शुरू की थी। लेकिन, रशिया से भारत काफी हम मात्रा में ईंधन तेल खरीद रहा था। इसकी मात्रा भारत की कुल ज़रूरत के एक प्रतिशत से भी कम थी। लेकिन, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका और पश्चिमी देशों ने रशिया के ईंधन निर्माण को लक्ष्य करने की नीति अपनाई थी। इसे नज़रअंदाज करके अपनी ईंधन निर्यात बढ़ाने के लिए रशिया ने भारत को सहुलियत की कीमत से कच्चे तेल की आपूर्ति करने का प्रस्ताव दिया था। 

इसके बाद भारत ने रशियन ईंधन की खरीद काफी बढ़ाई। अमरीका और यूरोपिय देशों ने इस मुद्दे पर भारत को धमकाया भी था। लेकिन, भारत ने इसकी परवाह किए बिना रशियन ईंधन की खरीद जारी रखी। मार्च महीने में भारत ने रशिया से हर दिन लगभग १६ लाख ४० हज़ार बैरल्स ईंधन खरीद शुरू की। यह मात्रा भारत की ज़रूरत का ३४ प्रतिशत हिस्सा हैं। इसके बाद भारत को कच्चे तेल की सबसे ज्यादा आपूर्ति कर रहे देशों में सौदी अरब और इराक का समावेश होता हैं। वहीं, भारत को ईंधन तेल की आपूर्ति कर रहे देशों की सूचि में तीसरे स्थान से अमरीका को पिछे छोड़कर यूएई ने ने ाहसिल किया है। मार्च महीने में इसके आंकड़े भारत की ईंधन संबंधित नीति पर गौर फर्माते हैं।

अपनी जनता के लिए कम कीमत से उपलब्ध होगा वहीं से ईंधन खरीद करने की भारत की नीति है। इसके अनुसार भारतीय ईंधन कंपनियां अपनी नीतियां तय करती है। फलाना देश से ईंधन खरीदे या ना करें, ऐसी सूचना भारत सरकार अपनी राष्ट्रीय कंपनियों को नहीं देती, ऐसा बयान पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने किया था। इस मुद्दे पर पश्चिमी देश बना रहे दबाव का भारत शिकार नहीं होगा, इसपर भारत की नीति स्वतंत्र रहेगी, इसका स्पष्ट अहसास भारत ने कराया था। इसके बाद अमरीका एवं यूरोपिय देशों ने भी इस मामले में भारत पर दबाव बनाने की कोशिश छोड़ दी। इसी वजह से रशिया से भारत सबसे अधिक मात्रा में ईंधन खरीद कर रहा हैं, फिर भी इसपर अब अमरीका और यूरोपिय देशों की प्रतिक्रियाएं सामने नहीं आयी हैं।

उल्टा भारत ने अपनाई इस स्वतंत्र नीति का असर दिखाई देने लगा हैं और ईंधन उत्पादक खाड़ी देश अब रशिया के साथ खुलेआम सहयोग करने लगे हैं। इसके अलावा यूक्रेन पर रशिया ने किए हमले का तीव्र विरोध कर रहा जापान भी अब रशिया से सबसे अधिक ईंधन खरीद करने लगा हैं। अमरीका और यूरोपिय देशों ने मिलकर कोई भी रशिया से प्रति बैरल ६० डॉलर से ज्यादा कीमत पर ईंधन खरीद ना करें, इसके लिए ‘प्राईस कैप’ लगाई थी। इसकी भी जापान ने परवाह नहीं की हैं। इसके पीछे भारत ने अपनाई नीति का काफी बड़ा प्रभाव होने की बात स्पष्ट दिख रही हैं।

इसी बीच, अमरीका और यूरोपिय देश रशिया से भारत ईंधन खरीद ना करें, ऐसी मांग कर रहे हैं। लेकिन, वास्तव में यही देश भारत के ज़रिये रशियन ईंधन खरीद रहे हैं, ऐसे दावे पश्चिमी समाचार चैनलों ने किए थे। रशिया से कच्चे तेल खरीदकर भारतीय कंपनियां उसपर प्रक्रिया करती हैं और इस ईंधन की आपूर्ति यूरोपिय देशों के साथ अमरीका को भी करती हैं, ऐसा इन समाचार चैनलों ने कहा था। लेकिन, भारतीय ईंधन क्षेत्र की निजी कंपनियां ऐसा करती होगी तो इससे भारत की सरकार का संबंध नहीं हैं, यह खुलासा पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने किया था। 

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