इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर भारत और आसियान की भूमिका समान – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

बैंकॉक – वर्ष २०१८ के जून महीने में हुई ‘शांग्रि-ला’ परीषद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर भारत की अहम भूमिका स्पष्ट की थी| यह क्षेत्र मुक्त, खुला और सर्वसमावेशक एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में चलनेवाला हो, यह उम्मीद प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त की थी| इसे आसियान के सदस्य देशों ने समर्थन दिया है और यही समान भूमिका काफी अहम बात होती है, ऐसा भारत के विदेशमंत्री ने कहा है| आसियान देशों की बैठक में विदेशमंत्री जयशंकर बोल रहे थे|

भारत का विकास और समृद्धी में आसियान देश काफी अहम भूमिका निभाएंगे, यह भारत का भरोसा है, यह कहकर जयशंकर ने भारत के निती में आसियान की असाधारण अहमियत होने की बात स्पष्ट की| साथ ही ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र की अहमियत रेखांकित करके इस क्षेत्र में शांति, सुव्यवस्था बरकरार रखने के लिए भारत आग्रही होने की बात इस की ओर दौरान जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया| इस बारे में आसियान के सदस्य देश और भारत की भूमिका समान है, इस ओर भी विदेशमंत्री जयशंकर ने ध्यान केंद्रीत किया| यह सहमति और सहयोग की वजह से भारत और आसियान में धारणात्मक भागीदारी और भी मजबूत और व्यापक हुई है| इस वजह से भारत और आसियान देशों का सागरी क्षेत्र में बना सहयोग नई उंचाई पर जा रहा है, ऐसा भी जयशंकर ने कहा|

इस दौरान, थायलैंड के बैंकॉक में हुई इस बैठक में विदेशमंत्री जयशंकर ने थायलैंड के विदेशमंत्री एवं न्यूजीलैंड के विदेशमंत्री के साथ द्विपक्षीय बातचीत की| थायलैंड ने भारत के सामने ब्रह्मोस मिसाइल देने की मांग रखने का वृत्त इशी दौरान प्रसिद्ध हुआ है| ब्रह्मोस के साथ अन्य रक्षा सामान की भी मांग थायलैंड ने भारत के सामने रखी है| साथ ही भारत, थायलैंड और सिंगापूर के बीच त्रिपक्षीय युद्धाभ्यास का आयोजन करने पर भी इस दौरान बातचीत होने की बात कही जा रही है| इस वजह से भारत का प्रभाव इस क्षेत्र में और भी बढता दिखाई दे रहा है| खास तौर पर चीन ने इस क्षेत्र के देशों पर लष्करी दबाव बढाने की तैयारी की है और ऐसे में भारत का इस क्षेत्र में प्रभाव बढना आसियान के सदस्य एवं अन्य देशों को भी दिलासा देनेवाला साबित हो सकता है|

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