प्रधानमंत्री मोदी की आसियान के राष्ट्रप्रमुख से चर्चा

नई दिल्ली: गणतंत्र दिन के प्रमुख मेहमान के तौर पर भारत में दाखिल हुए आसियान देशों के राष्ट्रीय प्रमुख से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनकी द्विपक्षीय चर्चा हुई है। भारत के गणतंत्र दिन के समारोह को राष्ट्रप्रमुख की उपस्थिति भारत का उत्तर पूर्व आशियाई क्षेत्र पर बढ़ता प्रभाव रेखांकित कर रहा है। गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी इनकी आसियान के सभी देशों के साथ चर्चा संपन्न हुई है।

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बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी इनकी म्यांमार की स्टेट काउंसलर ‘एँग सैन स्यू की’ इनसे चर्चा हुई। रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा इस चर्चा में अग्रणी पर होने की बात कही जा रही है। तथा व्हिएतनाम के प्रधानमंत्री ‘ग्नूएन झुआन फूक’ तथा फिलीपाईन्स के राष्ट्राध्यक्ष ‘रोड्रिगो दुअर्ते’ इनसे प्रधानमंत्री मोदी इनकी द्विपक्षीय चर्चा संपन्न हुई है। तथा गुरुवार को थाईलैंड के प्रधानमंत्री ‘प्रयुत चान ओचा’ तथा सिंगापुर के प्रधानमंत्री ‘ली सीएन लूंग’ एवं ब्रुनेई के सुल्तान ‘दारूसलाम हसनल बोलकिया’ इनसे भी भारत के प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय चर्चा की है।

भारत एवं आसियान के संबंधों को २५ वर्ष का कालखंड पूर्ण हो रहा है और उसके औचित्य से आसियान के राष्ट्रप्रमुख को भारत के गणतंत्र दिन पर आमंत्रण दिया गया था। उसे आसियान से मिली प्रतिक्रिया से भारत का उत्तर पूर्व एशियाई क्षेत्र में बढ़ते महत्व को रेखांकित कर रहा है। विशेष रूप से उत्तर पूर्व आशियाई क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन से आक्रामक गतिविधियां शुरू है। ऐसी परिस्थिति में ‘आसियान’ के सदस्य देश भारत की तरफ अपेक्षा से देख रहे है।

पिछले दशकभर से भारत ने अपने ‘लुक ईस्ट’ धारणा को चालना देकर आसियान के सदस्य देशों के साथ सभी स्तर पर सहयोग बनाए थे। पर पिछले ३ वर्षों के कालखंड में ‘लुक ईस्ट’ धारणा का ‘ऐक्ट ईस्ट’ में रूपांतर हुआ है और इसकी वजह से उत्तर-पूर्व आशिआई क्षेत्रों में देशों से संबंधित निवेश एवं सहयोग बढ़ते जा रहे हैं। इसकी वजह से चीन की अस्वस्थता समय-समय पर उजागर हो रही है। पर आसियान के सदस्य देश भारत के गणतंत्र दिन के समारोह में उपस्थित रहेंगे इस पर चीन ने अत्यंत ध्यानपूर्वक प्रतिक्रिया जताई है।

भारत एवं आसियान देशों के सहयोग को चीन का विरोध नहीं है। इसके विपरीत चीन के इस सहयोग के अग्रणी पर सकारात्मक भूमिका संबंध कर सकता है, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है। उसमें भारत के माध्यमों का चीन पर विश्वास न होकर भारतीय माध्यम चीन के नकारात्मक चित्र बना रहे हैं, ऐसी टीका चुनयिंग ने की है।

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