इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र में चीन की नीतियों को भारत का विरोध

नई दिल्ली: इंडो-पसिफ़िक’ क्षेत्र में चीन की बढती आक्रमकता पर केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने निशाना साधा है| ‘इंडो-पसिफिक’ क्षेत्र स्वतंत्र, मुक्त और सर्वसमावेशक होना चाहिए, ऐसी अपेक्षा व्यक्त करके स्वराज ने चीन की आक्रमक नीतियों पर कड़ी नाराजगी जताई्| इससे पहले भी भारत ने इस समुद्री क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी नीतियों को स्पष्ट रूपसे विरोध किया था| इस बार दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के ‘आसियान’ के नेताओं के साथ हुई बैठक में स्वराज ने ‘इंडो-पसिफ़िक’ के बारे में भारत की भूमिका स्पष्ट की है|

इंडो-पसिफ़िक, क्षेत्र, चीन, नीतियों, विरोध, भारत, आसियानआसियान के दस सदस्य देश इस बैठक में उपस्थित थे| भारत की, इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र के बारे में भूमिका अत्यंत स्पष्ट है| इस क्षेत्र को केवल भैगोलिक दृष्टिकोण से जोड़कर बात नहीं बनने वाली| बल्कि इस क्षेत्र के देशों में विश्वास का सेतु निर्माण करना आवश्यक है, ऐसा दावा स्वराज ने अपने भाषण में किया है| एकदूसरे के प्रति विश्वास और आदर की आड़ आने वाली चीन की विस्तारवादी नीतियों पर विदेश मंत्री स्वराज ने सीधे उल्लेख न करते हुए आलोचना की है|इस क्षेत्र के देशों का सार्वभौमत्व और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने वाली नीतियों को कोई भी देश स्वीकार न करे, ऐसा भारत का कहना है ऐसा स्वराज ने कहा है|

इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र मुक्त होना ही चाहिए, ऐसा कहकर उसके आड़ आने वाली किसी भी देश की नीतियों को भारत का विरोध रहेगा, ऐसे संकेत सुषमा स्वराज ने दिए हैं| साथ ही इस समुद्री क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय समुदाय के नियमों की तहत ही व्यवहार होना चाहिए| देश का आकार और क्षमता ध्यान में रखकर यहॉं सभी को बराबर का स्थान मिलना चाहिए, ऐसा दवा भी स्वराज ने किया है| इस सन्दर्भ में भारत ने शुरू की कुछ योजनाओं का प्रमाण स्वराज ने दिया है| साथ ही इस क्षेत्र के देशों के साथ सहकार्य अधिकाधिक व्यापक करने की भारत की नीति का भी स्वराज ने पुरस्कार किया है|

दौरान, चीन की विस्तारवादी नीतियों का विरोध करके अमरिका ने साउथ चाइना सी के साथ ही इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र के सभी देशों के साथ सहकार्य बढाने की नीति अपनाई है| जापान और ऑस्ट्रेलिया यह देश भी चीन को विरोध दर्शाने के लिए आगे आए हैं और इसके लिए अमरिका की सहायता कर रहे हैं| साथ ही आसियान के सदस्य देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चे को सहकार्य करने का निर्णय लिया है| ऐसी परिस्थिति में भारत की इस सन्दर्भ में भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रही है| इसका ध्यान रखकर भारत ने इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र के बारे में स्पष्ट भूमिका लेना शुरू किया है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.